भोपाल। आखिरकार 308 साल बाद इस्लामनगर को जगदीशपुर नाम मिल गया है. ईटीवी भारत में ग्राउंड रिपोर्ट करने और तमाम प्रमाण के आधार पर खबर प्रकाशित करने के बाद शिवराज सरकार ने बुधवार को इस्लाम नगर का नाम बदलने वाला नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. अब इस्लामनगर जगदीशपुर के नाम से ही जाना जाएगा. राजपत्र में इसकी अधिसूचना भी प्रकाशित कर दी गई है. महलों का भी रिनोवेशन होगा.
30 साल की लड़ाई को मिला अंजाम: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बगल में बसा इस्लामनगर किसी समय औरंगजेब के भगोड़े दोस्त मोहम्मद खान की राजधानी हुआ करता था. वर्ष 1992 में पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा ने इस्लामनगर को जगदीशपुर बनाने के लिए पहल की थी. बताया जाता है कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्री काल में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था. उस कार्यक्रम को इतना समर्थन मिला था कि जब वे अपने काफिले के साथ इस्लाम नगर के लिए रवाना हुए तो उनकी गाड़ी निकलने की भी जगह नहीं बची थी. वे मुश्किल से कार्यक्रम स्थल तक पहुंच पाए. इसके बाद यह लड़ाई 30 साल से निरंतर चल रही थी और अब जाकर अंजाम तक पहुंच पाई.
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ईटीवी भारत ने की थी ग्राउंड रिपोर्टिंग: भाजपा की फायर ब्रांड नेता और भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने इस्लाम नगर के नाम को जगदीश को करने के लिए तगड़ी मुहिम शुरू की. उन्हें बैरसिया विधायक विष्णु खत्री का भरपूर साथ मिला. जगदीशपुर के पास बसे मस्ती पुरा गांव के नौजवानों ने गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया. उसी गांव का नवयुवक जितेंद्र बजरंगी निरंतर सभी भाजपा नेताओं को ज्ञापन देता रहा. इन सभी के प्रयासों से आखिरकार सितंबर 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से सहमति मिल गई कि जगदीशपुर नाम करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इसके बाद भी जब नाम परिवर्तन नहीं हुआ तो ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर पूरे मामले को कवर किया और बताया कि किस तरह से शिवराज सरकार नाम बदलने से कतरा रही है.
इनके भी बदले गए नाम: इसके पहले भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन कर दिया गया. होशंगशाह की राजधानी होशंगाबाद को नर्मदापुरम नाम दिया गया. वहीं भोपाल का नाम भोजपाल करने का अभियान भी लंबे समय से चलाया जा रहा है.
ये है इतिहास: जिस दोस्त मोहम्मद खान ने जगदीशपुर का नाम बदलकर इस्लामनगर किया और अपनी राजधानी बनाया. वह असल में अफगानिस्तान का रहने वाला था. 1696 में वह उत्तर प्रदेश के जलालाबाद आ गया. उसकी छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाया करते थे और उसने खुद को शरण देने वाले अमीर जलाल खान के दामाद को सरेआम मार डाला. यहीं वह मुगल सेना में भर्ती हो गया. मुगल और मराठा की युद्ध के चलते दोस्त मोहम्मद 1703 में मालवा आ गया और यहां उसने अपने हथियार विदिशा के शासक मोहम्मद फारुख के पास जमा कर दिए, बाद में धोखे से उनकी हत्या भी कर दी. इसके बाद उसने पास की रियासत मंगल गढ़ में शरण ली और यहां के महाराज की मौत होते ही वहां का खजाना लूट कर बैरसिया आ गया. बेरसिया रियासत पर कब्जा किया और इसके बाद उसकी निगाह जगदीशपुर पर जम गई.
क्यों नदी का नाम पड़ा हलाली: इतिहासकारों के अनुसार जगदीशपुर में 11वीं सदी के परमार कालीन मंदिर के पत्थर मूर्तियां मिलती थी. इसके पहले यहां पर गोंड राजाओं का शासन हुआ करता था. 1715 में दोस्त मोहम्मद ने जगदीशपुर पर आक्रमण किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद उसने धोखे से तत्कालीन शासक को मार दिया और जगदीशपुर को अपने कब्जे में लेकर उसका नाम इस्लामनगर कर दिया. इतिहासकार बताते हैं कि दोस्त मोहम्मद का असली नाम गौस मोहम्मद था और उसने जब धोखे से जगदीश के शासकों को मारा था. कहा जाता है कि वहां की नदी का खून लाल हो गया था और तब से उस नदी को हलाली के नाम से जाना जाता है.
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यहां अटका था मामला: इस्लाम नगर के नाम परिवर्तन को लेकर वर्ष 2010 में जब राज्य की तरफ से केंद्र के साथ पत्राचार हुआ. केंद्र की तरफ से जवाब आया की सहमति देना संभव नहीं. उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. दोबारा यह मामला वर्ष 2018 में उठा और इस बार केंद्र में भाजपा की सरकार थी, लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और उसने वर्ष 2010 के लेटर के आधार पर इस्लामनगर को जगदीशपुर बनाने से इंकार कर दिया, लेकिन सितंबर 2022 नोटिफिकेशन जारी हो गया और इसमें केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें इस्लामनगर का नाम जगदीशपुर किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है.
गोंड राजा की बसाई नगरी है जगदीशपुर: अपर कलेक्टर भोपाल द्वारा आयुक्त राजस्व ग्वालियर को लिखे गए एक पत्र में स्पष्ट लिखा है कि पूर्व में जगदीशपुर गोंड राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. यह जगदीशपुर के राजा विजय राम गुण की राजधानी थी और इसका प्राचीन ऐतिहासिक नाम जगदीशपुरी ही है. इस पत्र में यह भी स्पष्ट लिखा कि ग्राम का नाम बदलने को लेकर ग्रामीणों को कोई आपत्ति नहीं है.