भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विश्व हिंदू परिषद द्वारा संचालित जीवदया गौशाला गायों की तस्करी, चमड़े के व्यापार और मौतों को लेकर सवालों के घेरे में है. सरकार के गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरी ने विवादित जीवदया गौशाला को क्लीन चिट दी है. गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में गौशाला का बचाव करते हुए गायों की मौतों के लिए किसान और नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया है. जानिए गौशाला विवाद पर और क्या बोले अखिलेश्वारानंद गिरी.
किसान और निगम को ठहराया जिम्मेदार: भोपाल की विश्वहिंदू परिषद द्वारा चलाई जा रही है जीवदया गोशाला में अध्यक्ष महोदय के सामने ही गायों की मौत हुई. गौशाला के कर्मचारी ने बताया कि गाय की मौत हो गई, ये बछड़ा मर गया, लेकिन अध्यक्ष महोदय ने इतनी जहमत भी नहीं उठाई कि पूछे कि इन गायों की मौतें क्यों हुई, बल्कि जब ईटीवी संवाददाता ने उनसे पूछा तो वे भड़क गए और कहा कि गाय की मौतों के लिए ये गौशाला नहीं बल्कि किसान नगर निगम जिम्मेदार है. अखिलेश्वारानंद ने कहा कि जब मैंने मीडिया में सुना कि इस गौशाला में कंकाल और गायें मरी पड़ी है, तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं सीधे ही गौशाला पहुंच गया, लेकिन यहां आकर देखा कि सभी गाय दुरुस्त हालत में हैं और सभी का ख्याल रखा जा रहा है.
तत्कालीन कमलनाथ सरकार जिम्मेदार: अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा कि जो वर्तमान में गायों की दुर्दशा हो रही है. उसके लिए 15 महीने रही कमलनाथ की सरकार जिम्मेदार है. जब उनसे पूछा गया कि आपकी सरकार तो 18 सालों से है. गाय की रक्षा का दावा करने वाली सरकार क्या कर रही थी, तो स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी के पास कोई जवाब नहीं था. दरअसल जीवदया गौशाला का भूमिपूजन अखिलेश्वरानंद गिरी द्वारा ही किया गया था. इसका संचालन संघ से नाता रखने वाली विश्व हिंदू परिषद कर रही है और अब ये विवादों में आ गई है. इसे देखने के लिए अध्यक्ष खुद वहां पर पहुंचे. गौशाला के चारों तरफ बदबू के मारे बुरा हाल था. गायों के शवों को नगर निगम समेटने में जुटा था. मीडिया में खबर आने के बाद पूरा नगर निगम अमला चौकन्ना था. पिछले दो दिनों से गायों के शवों को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा था.
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4000 हजार से ज्यादा गाय गायब: अखिलेश्वरानंद गिरी के वक्त भी भोपाल के नजदीक बैरसिया में एक महिला बीजेपी नेत्री की गौशाला में 100 से ज्यादा गायों की मौत हुई थी. इस गौशाला में 500 गाय थीं. कुएं में 20 गायों के शव और मैदान में 80 से ज्यादा गायों के शव और कंकाल पड़े मिले थे. उसके बाद बीजेपी नेत्री पर पुलिस ने केस दर्ज किया और प्रशासन ने गौशाला का संचालन अपने हाथ में ले लिया था. इसके बाद अब भोपाल की गौशाला पर सवाल खड़े हो गए हैं. बता दें कि भोपाल की गौशाल का संचालन विश्व हिंदू परिषद की देखरेख में चल रहा था. फिलहाल इस संस्था के पास 1560 गाएं रजिस्टर्ड हैं, लेकिन गांव वालों के मुताबिक 4000 हजार से ज्यादा गायें गायब की गई हैं. पिछले साल संस्था को 27 लाख रुपए दिए गए थे. इसके अलावा आसपास के गांवों से सैंकड़ों क्विंटल भूसा भी दिया जाता है.
गौ पालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड: गाय हितैषी और शुभचिंतक बताने वाली मध्य प्रदेश सरकार ने गोपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड का गठन किया और प्रति गाय का खर्च 20 रुपए कर दिया, लेकिन गौशालाओं के हालात नहीं सुधरे. आइए एक नजर डालते हैं मध्यप्रदेश के गौवंश पर खर्च होने वाले बजट पर...
- फिलहाल मध्यप्रदेश में 2200 गौशालाएं सक्रिय हैं.
- इनमें से 1587 गौशालाएं सरकार चलाती है.
- इन गौशालाओं में 2 लाख 55 हजार गौवंश पल रहा है.
- प्राइवेट संस्थाएं 627 गौशाला चला रही हैं.
- इनमें 1,73,874 गौवंश का पालन किया जा रहा है.
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मुख्यमंत्री गौसेवा योजना: मध्य प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गौसेवा योजना शुरू की है. इस योजना में 960 गौशालाओं का निर्माण किया जा चुका है. इस पर कुल 256.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए. प्रदेश सरकार प्रति गाय 20 रुपए खर्च कर रही है. चालू साल 2021-22 में कुल 81 करोड़ खर्च किए गए.