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साइकिल वितरण योजना का हाल-बेहाल, बजट 2023 में सरकार कर रही ई-स्कूटी का वादा - Mp news hindi

MP में फिर सत्ता पाने के लिए शिवराज सरकार 2023 के बजट में सरकारी स्कूल की फर्स्ट डिवीजन पास छात्राओं को स्कूटी देने का वादा कर दिया है. अब सरकार की इस घोषणा पर सवाल उठ रहे हैं. कारण है कि, वर्तमान में जो योजनाएं चल रही हैं, वे बजट के कारण रुकी हैं. इस साल बजट की कमी के चलते साइकिल वितरण का काम अधूरा ही हुआ. इसके लिए महज 200 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी.

e scooty budget 2023
ई स्कूटी बजट 2023
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Published : Mar 2, 2023, 3:18 PM IST

भोपाल। एमपी में 8 साल पहले शुरू की गई साइकिल वितरण योजना बजट की कमी के चलते आधी अधूरी ही अमल में आ पाई. यह हाल तब हैं, जब वर्ष 2020 और 2021 में साइकिल वितरण किया ही नहीं गया. जून 2022 में जब स्कूल का शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ तो बताया गया कि कुल 5.30 लाख स्टूडेंट के लिए साइकिल खरीदी की जाएगी. पहले तो इसे टेंडर के नाम पर अटकाया गया. मई में जारी हुए टेंडर में अचानक जून माह में एक नई शर्त जाेड़ दी गई.

साइकिल वितरण योजना का हाल: पता चला कि इसमें प्रदेश की आधा दर्जन कंपनियां बाहर होने की कगार पर खड़ी हो गई थी. इसके बाद जैसे तैसे टेंडर फाइनल हुए तो इसके बांटने पर मामला उलझ गया. अफसरों ने साइकिल बांटने की बजाय सुझाव दिया कि राशि खातों में दे दी जाए. आखिरकार तय हुआ कि भोपाल और इंदौर में ई रुपे दिए जाएंंगे. बाकी जिलों में साइकिल दी जाएगी. जानकारी के अनुसार कुल टारगेट 5.30 लाख साइकिल में से अब तक 2.92 लाख साइकिल ही अब तक बाटी जा सकी हैं. यह वितरण भी नवंबर-दिसंबर से शुरू हो पाया, जब सत्र समापन की ओर था. अब एग्जाम शुरू हो चुके हैं और साइकिल बांटने का काम जारी है. यह हाल मजह 200 करोड़ रुपए लागत वाली योजना के हैं.

ई-स्कूटी में फंस सकती है सरकार: एमपी सरकार की ई-स्कूटी वाली योजना के भी फसने की संभावना है. सरकार ने घोषणा के साथ इसका बजट घोषित नहीं किया. ऐसे में इस योजना पर कितना खर्च आएगा. यह समझने के लिए ईटीवी भारत ने पुरानी लैपटॉप वितरण योजना का एनालिसिस किया. इस योजना के अंतर्गत हर साल फर्स्ट आने वाले करीब 30 हजार से अधिक बच्चों को लैपटॉप दिए जाते हैं. यह राशि एमपी बोर्ड के खाते से खर्च की जाती है. यानी हर साल एमपी में औसतन 30 हजार से अधिक बच्चे फर्स्ट आते हैं.

मध्यप्रदेश के बजट से जुड़ीं अन्य खबरें भी पढ़ें

सरकार कहां से लाएगी फंड: लैपटॉप वितरण रिकार्ड के अनुसार इनमें छात्राओं की संख्या लगभग 60 फीसदी रहती है. इस हिसाब से एक साल में 18 हजार से अधिक फर्स्ट डिवीजन वाली छात्राओं को ई स्कूटी देनी होगी. अब इस पर कितना खर्च आएगा, इसका अंदाजा लगाने के लिए सर्च किया तो पता चला कि भारत में एक ठीक ठाक ब्रांडेड कंपनी वाली सबसे सस्ती ई स्कूटी की कीमत भी 67 हजार रुपए है. ऐसे में 18 हजार ई-स्कूटी बांटने के लिए करीब 120 करोड़ रुपए की जरूरत होगी. अब सवाल यह है कि जब 200 करोड़ की योजना के लिए पर्याप्त फंड नहीं है तो फिर इस नई योजना के लिए सरकार कहां से फंड लाएगी?

भोपाल। एमपी में 8 साल पहले शुरू की गई साइकिल वितरण योजना बजट की कमी के चलते आधी अधूरी ही अमल में आ पाई. यह हाल तब हैं, जब वर्ष 2020 और 2021 में साइकिल वितरण किया ही नहीं गया. जून 2022 में जब स्कूल का शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ तो बताया गया कि कुल 5.30 लाख स्टूडेंट के लिए साइकिल खरीदी की जाएगी. पहले तो इसे टेंडर के नाम पर अटकाया गया. मई में जारी हुए टेंडर में अचानक जून माह में एक नई शर्त जाेड़ दी गई.

साइकिल वितरण योजना का हाल: पता चला कि इसमें प्रदेश की आधा दर्जन कंपनियां बाहर होने की कगार पर खड़ी हो गई थी. इसके बाद जैसे तैसे टेंडर फाइनल हुए तो इसके बांटने पर मामला उलझ गया. अफसरों ने साइकिल बांटने की बजाय सुझाव दिया कि राशि खातों में दे दी जाए. आखिरकार तय हुआ कि भोपाल और इंदौर में ई रुपे दिए जाएंंगे. बाकी जिलों में साइकिल दी जाएगी. जानकारी के अनुसार कुल टारगेट 5.30 लाख साइकिल में से अब तक 2.92 लाख साइकिल ही अब तक बाटी जा सकी हैं. यह वितरण भी नवंबर-दिसंबर से शुरू हो पाया, जब सत्र समापन की ओर था. अब एग्जाम शुरू हो चुके हैं और साइकिल बांटने का काम जारी है. यह हाल मजह 200 करोड़ रुपए लागत वाली योजना के हैं.

ई-स्कूटी में फंस सकती है सरकार: एमपी सरकार की ई-स्कूटी वाली योजना के भी फसने की संभावना है. सरकार ने घोषणा के साथ इसका बजट घोषित नहीं किया. ऐसे में इस योजना पर कितना खर्च आएगा. यह समझने के लिए ईटीवी भारत ने पुरानी लैपटॉप वितरण योजना का एनालिसिस किया. इस योजना के अंतर्गत हर साल फर्स्ट आने वाले करीब 30 हजार से अधिक बच्चों को लैपटॉप दिए जाते हैं. यह राशि एमपी बोर्ड के खाते से खर्च की जाती है. यानी हर साल एमपी में औसतन 30 हजार से अधिक बच्चे फर्स्ट आते हैं.

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सरकार कहां से लाएगी फंड: लैपटॉप वितरण रिकार्ड के अनुसार इनमें छात्राओं की संख्या लगभग 60 फीसदी रहती है. इस हिसाब से एक साल में 18 हजार से अधिक फर्स्ट डिवीजन वाली छात्राओं को ई स्कूटी देनी होगी. अब इस पर कितना खर्च आएगा, इसका अंदाजा लगाने के लिए सर्च किया तो पता चला कि भारत में एक ठीक ठाक ब्रांडेड कंपनी वाली सबसे सस्ती ई स्कूटी की कीमत भी 67 हजार रुपए है. ऐसे में 18 हजार ई-स्कूटी बांटने के लिए करीब 120 करोड़ रुपए की जरूरत होगी. अब सवाल यह है कि जब 200 करोड़ की योजना के लिए पर्याप्त फंड नहीं है तो फिर इस नई योजना के लिए सरकार कहां से फंड लाएगी?

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