भोपाल। देश की आजादी के 9 साल बाद मध्यप्रदेश राज्य अस्तित्व में आया था. मध्यप्रदेश का गठन भाषायी आधार पर सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलकर किया गया. एक नवंबर 1956 को राज्य का गठन हुआ और इस नए राज्य का नाम हुआ मध्यप्रदेश. मध्यप्रदेश अपनी स्थापना का 67वां दिवस इस साल मना रहा है. इन सालों में मध्यप्रदेश ने तरक्की के कई नए सोपान तय किए, लेकिन आज भी कई इमारतें प्रदेश के लोकतंत्र और नवाबी हुकूमतों की कहानी पेश करती हैं. (buildings here tell the beauty of state) (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh) (madhya pradesh heart of country)
लाल कोठी है अब प्रदेश का राजभवनः मध्यप्रदेश के प्रथम पुरुष का निवास स्थल यानी राजभवन का पुराना इतिहास है. पूर्व में राजभवन को लाल कोठी के नाम से जाना जाता था. इतिहासकारों के मुताबिक देश में अंग्रेजों का प्रभुत्व बढ़ने के बाद अंग्रेजों और भोपाल राज्य के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए. जिसमें तय हुआ कि अंग्रेज भोपाल रियासत में एक अपना राजनीतिक एजेंट नियुक्त करेंगे. यह समझौता नवाब मेजर मोहम्मद खान के शासन काल में हुआ. मेजर मोहम्मद 1816 से 1819 तक भोपाल के नवाब रहे. समझौते के तहत सीहोर छावनी में एक ब्रिटिश सशस्त्र बल की टुकड़ी भी तैनात कर दी गई. मौजूदा राजभवन का हिस्सा उस समय सैन्य छावनी का क्षेत्र था. ब्रिटिश अधिकारी छावनी के सुरक्षित हिस्से में ही ठहर सकें. इसके लिए 1880 में कोठी का निर्माण कराया गया. इसे लाल कोठी इसलिए कहा गया, क्योंकि इस कोठी में पहली बार लाल चाइना क्ले यानी कवैलू यानी खप्पर का उपयोग किया गया. इस पूरी कोठी का कलर भी लाल था. आजादी और मध्यप्रदेश के गठन के बाद इसे राज्यपाल निवास यानी राजभवन बन गया. (lal kothi is now the state raj bhavan) (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh)
मध्यप्रदेश का पुलिस मुख्यालयः राजधानी भोपाल के बीचो-बीचों लाल रंग की यह ऐतिहासिक बिल्डिंग आज भी यहां से गुजरने वालों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं. अब यह मध्यप्रदेश पुलिस का मुख्यालय है, लेकिन इसकी खूबसूरती अब भी मनमोहती है. यह खूबसूरत बिल्डिंग भोपाल के इतिहास और विकास की गवाह है. इस भवन का निर्माण 1839 में नवाब शाहजहां बेगम के पिता नवाब जहांगीर मोहम्मद खान ने भोपाल रेजिमेंट के लिए छावनी के रूप में कोठी जहांगीराबाद का निर्माण कराया था. हालांकि इस भवन का उपयोग उस समय भी सुरक्षा व्यवस्था में जुटे सैन्य अधिकारियों के लिए किया जाता था और आज भी इसका उपयोग पुलिस अधिकारी करते हैं. इस भवन के सामने लाल परेड ग्राउंड है, जिसका पहले उपयोग सैन्य छावनी के रूप में होता था. (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh)
मिंटो हाॅल बना लोकतंत्र की मजबूत का गवाहः भोपाल की सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों में शामिल मिंटो हाॅल, जो अब कुशाभाऊ ठाकरे भवन हो गया है. लोकतंत्र की मजबूती का गवाह रहा है. मिंटो हाॅल का निर्माण तत्कालीन भोपाल नवाब सुल्तान जहां बेगम ने गवर्नर जनरल लाॅर्ड मिंटों के स्वागत के लिए बनाया गया. एक नवंबर 1956 से इस भवन में लोकतंत्र की यात्रा शुरू हुई. एक नवंबर 1956 को राज्य का पुनर्गठन हुआ तो एकीकृत विधानसभा भवन के लिए मिंटो हाॅल का चयन किया गया. मध्यप्रदेश के उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एम हिदायत उल्लाह ने 31 अक्टूबर 1956 की रात्रि में नए मध्यप्रदेश के पहले राज्यपाल डाॅ. पट्टाभि सीतारमैया को मिंटो हाॅल में शपथ दिलाई गई. एक नवंबर 1956 को मिंटो हाॅल में ही राज्यपाल डाॅ. पट्टाभि सीतारमैया ने मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल को शपथ दिलाई. (minto hall witness to strength of democracy)
MP Foundation Day सुनो, मैं मध्यप्रदेश बोल रहा हूं, हिंदुस्तान के दिल की सुनो
लाल परेड ग्राउंडः भोपाल रियासत से लेकर लोकतंत्र की मजबूती तक मध्यप्रदेश के बीचो बीच स्थित लाल परेड ग्राउंड का उपयोग सैन्य छावनी के रूप में होता था. इसका निर्माण 1844 में जहांगीर मोहम्मद खान ने कराया था. प्रदेश के गठन की घोषणा की अगली सुबह एक नवंबर 1956 को लाल परेड ग्राउंड पर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पंडित रविशंकर शुक्ल का पहला उद्धबोधन यहीं हुआ था. (Lal Parade Ground) (mp foundation day on 1st november) (67th foundation day of madhya pradesh)