भोपाल। मध्यप्रदेश में पहले पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश की तरह जातिवाद के आधार पर वोट नहीं पड़ते थे. लेकिन अब यहां पर करीब 65 प्रतिशत वोट जाति को देखकर दिए जाते हैं. यही वजह है कि दल भी जाति देखकर उम्मीदवार तय करते हैं. एमपी में एसटी वर्ग की आबादी 22 प्रतिशत, एससी करीब 17 प्रतिशत तो ओबीसी 51 प्रतिशत के करीब हैं. कुछ सालों से एमपी में पार्टियों ने जातिवाद का जहर बोया है. उसका प्रतिकूल प्रभाव अब उनकी राजनीति को प्रभावित कर रहा है. caste census politics
विंध्य व ग्वालियर में जातिगत समीकरण : विंध्य और ग्वालियर-चंबल ऐसे क्षेत्र हैं, जहां सरकारी योजनाएं नहीं बल्कि जाति चुनावी मुद्दा बन रहा है. इन क्षेत्रों में मध्यम वर्ग में आने वाले सवर्ण और निर्धन वर्ग में आने वाली पिछड़ी जातियों की संख्या बहुत ज्यादा है. मालवा-निमाड़ और महाकौशल में 39 सीटों पर आदिवासी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. विंध्य में अगड़ी और पिछड़ी जाति पर वोट तय होते हैं. 15 पर्सेंट ब्राह्मण वोटर्स हैं. सबसे ज्यादा 31 प्रतिशत सवर्ण मतदाता हैं. एमपी में मुस्लिम वोटर करीब 10.17 प्रतिशत करीब 51 लाख वोटर हैं, जो पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा-निमाड़ और भोपाल की 42 सीटों के नतीजों को प्रभावित करते हैं. Caste equation MP elections 2023
ओबीसी को टिकट देने में कौन कहां : कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने की गारंटी दी है. उसका मानना है कि आबादी के अनुपात में ओबीसी व अन्य वर्गों को सुविधाएं मिलें. एमपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अन्य पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस की तुलना में 3 प्रतिशत ज्यादा टिकट बांटे हैं. वहीं ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण व जातिगत जनगणना करा कर उन्हें न्याय दिलाने का दावा करने वाली कांग्रेस इस मामले में भाजपा से फिसड्डी निकली. हालांकि, ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया और जैन को दोनों ही दलों ने करीब करीब बराबर टिकट दिए हैं. भाजपा ने ओबीसी को 69 टिकट दिए है, जो अब तक घोषित 230 सीट के करीब 30 प्रतिशत हैं. वहीं, कांग्रेस ने ओबीसी को 62 टिकट दिए हैं, जो कुल टिकट के करीब 27 फीसदी है, लेकिन भाजपा से कम कम हैं.
महिलाओं को कांग्रेस ने 13 प्रतिशत टिकट दिए : कांग्रेस ने महिलाओं को 30 टिकट दिए हैं, जो 13 फीसदी हैं. वहीं भाजपा ने 28 महिलाओं को टिकट दिए, जो 12 फीसदी हैं. कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बैतूल जिले की आमला सीट से मनोज मालवे को उम्मीदवार बनाया है. गुना सीट से पन्ना लाल शाक्य और विदिशा से मुकेश टंडन को बीजेपी ने उतारा है. यहां जातिगत समीकरण और एक से ज्यादा दावेदारों के चलते विचार किया गया. कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने की गारंटी दी, जिससे आबादी के अनुपात में वह ओबीसी व अन्य वर्गों को सुविधाएं दे सके.
50 फीसदी आबादी ओबीसी : मध्य प्रदेश में करीब 50 प्रतिशत आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग की है. ऐसे में इस वर्ग को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जोर लगा रहे हैं. यही वजह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर आबादी के अनुसार हक देने का बात की. भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस से ज्यादा टिकट बांटे हैं. 229 सीटों में कांग्रेस ने सामान्य वर्ग को 83, अन्य पिछड़ा वर्ग को 62 सीटें दी हैं
किस वर्ग को कितना टिकट : भाजपा ने सामान्य वर्ग को 78 और ओबीसी को 69 टिकट बांटे. वहीं, कांग्रेस ने ब्राह्मण और ठाकुर वर्ग को 60 सीटें दी हैं. यह संख्या कुल टिकट की 26 प्रतिशत है. कांग्रेस ने ब्राह्मण को 29, ठाकुर को 31, अहिरवार को 14, 2 मुस्लिम को टिकट दिया है. वहीं, आधी आबादी यानी महिलाओं को 30 सीटों पर अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, भाजपा ने ब्राह्मण, ठाकुर को 59 टिकट दिए. यह कुल सीट का 25 प्रतिशत है. भाजपा ने बनिया 6, गोस्वामी 2, मीणा 3, ठाकुर 29, ब्राह्मण 30, कुशवाह , खटीक 10, धाकड़ 3, जैन 7, लोधी 11 मैदान में उतारे हैं.
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इन सीटों पर जाति फैक्टर : जाति फैक्टर का दबदबा ही है कि बीजेपी और कांग्रेस ने इसी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. जिन सीटों पर उम्मीदवारों का चयन जाति के आधार पर हुआ है, ये हैं सबलगढ़, सुमावली, गोहद, पिछोर, चाचौड़ा, चंदेरी, बंडा, महाराजपुर, पथरिया, गुन्नौर (पन्ना), चित्रकुट, छतरपुर, पुष्पराजगढ़, बड़वारा, बरगी, जबलपुर, पेटलावाद, कुक्षी, धरमपुरी, राऊ, घटिया व तराना. दोनों दलों को लगता है कि जाति का फैक्टर पूरे प्रदेश में पड़ता है. इसलिए इस फैक्टर को प्राथमिकता में रखा है. Caste equation MP elections 2023