भोपाल। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में वोट की आहूती डलवाने चुनाव आयोग द्वारा घर घर पीले चावल बांटे जा रहे हैं. यह पीले चावल लोगों को 17 नवंबर को वोट डलवाने के लिए बांटे जा रहे हैं. अधिकारियों का ग्रामीण इलाकों से ज्यादा फोकस प्रदेश के शहरी इलाकों में हैं, क्योंकि शहरी इलाकों में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले कम मतदान होता है. छुट्टी घोषित होने के बाद भी कई मतदाता मतदान के लिए घर से ही नहीं निकलते. ऐसे मतदाताओं को जागरूक करने दीपावली पर मिठाई खरीदते वक्त डिब्बों पर भी मतदान की अपील के पोस्टर साथ मिलेंगे.
10 फीसदी वोट परसेंटेज बढ़ाए कई नवाचार: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने इस बार मतदान प्रतिशत 10 फीसदी बढ़ाने का टास्क दिया है. आयोग के टास्ट को पूरा करने के लिए सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी कई तरह के नवाचार कर रहे हैं. जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर लोगों को पीले चावल बांटने का काम सौंपा गया है. यह कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को पीले चावल दे रही हैं और उन्हें 17 नवंबर को वोट डालने की अपील कर रही हैं.
मतदान के लिए अनोखी पहल: प्रदेश में पहली बार 22 लाख युवा मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. ऐसे मतदाताओं को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सभी कॉलेजों में रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिताएं कराई जा रही हैं. कॉलेजों से लेकर कॉलोनियों तक में युवाओं के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. उधर आंगनबाड़ी केन्द्रों, राशन की दुकानों, गैस सिलेंडर की दुकान और हॉट में लोगों को मतदान के संबंध में जानकारी दी जा रही है.
पलायन करने वाले मजदूरों को लेकर चुनौती: आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती सीमावर्ती विधानसभा सीटों को लेकर है. बुंदेलखंड, ग्वालियर-चंबल के अलावा मालवा निमाड क्षेत्र में बड़ी संख्या में गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान काम के लिए जाते हैं. ऐसे मतदाताओं से मतदान कराना प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए जिला निर्वाचन अधिकारी प्रवास पर गए मतदाताओं की सूची तैयार की है और उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करने की कोशिश की जा रही है. अधिकारी इन मतदूरों के नियोक्ताओं से भी संपर्क साध रहे हैं. उधर सहायक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कोल कहते हैं कि ''वोट परसेंटेज बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.''
2018 में हुआ था 75.63 फीसदी मतदान: मध्यप्रदेश के 2018 के विधानसभा चुनाव में 75.84 फीसदी पुरूषों और 74.01 फीसदी महिलाओं ने लोकतंत्र के सबसे बड़े कर्तव्य को निभाया था. 2018 में प्रदेश में 75.63 फीसदी मतदान हुआ था. प्रदेश के आगामी चुनाव के लिए 17 नवंबर को होने वाले मतदान में आयोग की कोशिश 85 फीसदी मतदान कराने की है.
हर चुनाव में बढ़ता गया वोटिंग परसेंटेज:
- मध्यप्रदेश में हर विधानसभा चुनाव में लोगों का मतदान को लेकर उत्साह बढ़ता गया है. देश की आजादी के बाद हुए मध्यप्रदेश में पहला चुनाव 1951 में हुआ था. उस वक्त मध्यप्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 10 लाख 75 हजार 142 थी. इसमें से 45.11 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था.
- 1962 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 58 लाख 74 हजार 238 थी. प्रदेश में 44.52 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था.
- 1972 के विधानसभा में मध्यप्रदेश में मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 8 लाख 59 हजार 747 थी. इसमें से 55.26 फीसदी लोगों ने अपना वोट दिया. इसमें 66 फीसदी पुरुष और 44.37 फीसदी महिलाओं ने वोट डाला.
- 1985 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 91 लाख 56 हजार 519 थी. इसमें से 49.85 फीसदी मतदाताओं ने अपना मत डाला.
पिछले 5 चुनाव में 65 फीसदी से ज्यादा रहा मतदान
- मध्यप्रदेश में 2003 के विधानसभा चुनाव से मतदाताओं ने मतदान के लिए खूब उत्साह दिखाया. 2003 के चुनाव में बीजेपी ने रिकॉर्ड सीटों से प्रदेश में वापसी की थी. इस चुनाव में 67.25 फीसदी मतदान हुआ था.
- 2008 के विधानसभा चुनाव में 69.78 फीसदी मतदान हुआ.
- 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ.
- 2018 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 75.63 फीसदी मतदान हुआ.