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MP Election 2023: एमपी में आधी आबादी की जुगत में BJP-कांग्रेस, राखी के बाद बहनें किसे सौंपेंगी सत्ता की चाबी - एमपी महिला वोटर्स पर कांग्रेस बीजेपी का भरोसा

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां महिला वोटर्स को साधने का प्रयास कर रहे हैं. कांग्रेस ने जहां महिला सम्मान योजना के जरिए 1500 रुपए देने का वादा किया. तो वहीं सीएम शिवराज भी पीछे नहीं रहे, मामा और भाई बन महिलाओं के लिए कई घोषणाएं कर दी.

MP Election 2023
कमलनाथ और शिवराज
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 8:55 PM IST

भोपाल। बहनों का दिन है आज, बहनें क्या कर सकती हैं. चुनाव से गुजर रहे मध्यप्रदेश जैसे राज्य में ये बहनें ही हैं, जिनकी मुट्ठी में सरकार की चाबी है. ये बहनें जो चाहें तो सत्ता भी पलट सकती हैं. देश का इकलौता राज्य होगा एमपी. जहां बहने सूबे की राजनीति का सेंटर पाइंट बन गई हैं. 2023 के साल में एमपी में तस्वीर साफ है कि ये बहनें जिस तरफ जाएंगी, उस दल की सरकार बनाएंगी. देश का पहला राज्य है, एमपी जहां विपक्षी दल कांग्रेस से लेकर सत्ता में बैठी बीजेपी तक सौगातों की सबसे बड़ी झड़ी लाडली बहना यानि महिला वोटर के नाम है. शिवराज सरकार तो गेमचेंजर मानकर अकेली लाडली बहना योजना पर 19 हजार 800 करोड़ का दांव लगा चुकी है. ये सब इसलिए कि इस बार एमपी में महिला वोटर की तादात दो करोड़ साठ लाख से ज्यादा है और 52 जिलों में से 41 जिलों में महिला वोटर की संख्या पुरुषों को भी पीछे छोड़ चुकी है.

बहना का वोट ही करेगा चोट: तो ये अचानक नहीं है कि एमपी में महिला वोटर पर पार्टियों का फोकस बढ़ गया है. हालांकि बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की सरकार में तो शुरुआत से ही लाड़ली लक्ष्मी योजना के साथ जो शुरुआत की. तो महिला वोटर बीजेपी के फोकस में हमेशा से रही है. मामा की छवि को मांजते शिवराज ने हमेशा महिला वोटर को अपना ट्रस्टेड और टेस्टेड वोटर जाना है, लेकिन हर बार की तरह इसी वोटर पर इतना बड़ा दांव नहीं लगाया. बीजेपी की नैया कि खिवैय्या इस बार बहने ही हैं. पहले बहना को हजार रुपए की सौगात जो अब बढ़ाकर 1250 कर दी गई है. पहले सरकार इस पर हर साल पंद्रह हजार करोड़ रुपए का बजट बनाकर बैठी थी. अब जो 250 रुपए बढ़ाए गए हैं, तो हर महीने 400 करोड़ का खर्च और बढ़ जाएगा, लेकिन बीजेपी ये मान रही है ये दांव ही है जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौतियों के बावजूद सत्ता दिलाने वाला होगा.

बहना का सौगात तू डाल-डाल मैं पात-पात: बहनों को सौगात देने के मामले में कांग्रेस बीजेपी के बीच टक्कर तू डाल-डाल मैं पात-पात के अंदाज में है. कांग्रेस महिला सम्मान योजना के साथ 1500 रुपए की राशि देने का वादा किया तो उसकी टक्कर में सीएम शिवराज ने तुरंत ही महिलाओं के खाते में 1250 रुपए डालने का ऐलान कर दिया और सरकार बनजाने के बाद ये राशि तीन हजार कर देने की घोषणा की. रिश्तों की राजनीति में माहिर शिवराज अब मामा नहीं भाई हैं. चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले तक बहनों के खाते में राशि आती रहेगी. शिवराज ने जिस अंदाज में बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि राखी के लिए अभी 250 रुपए डाल रहे हैं, सिंगल क्लिक से....ताकी तुम्हारा त्योहार अच्छे से मनाया जा सके. फिर 10 सितम्बर को खाते में एक हजार आएंगे. फिर अक्टूबर में 1250 रुपए डाले जाएंगे. बाकी लाडली बहना को हजार देने के साथ बिजली के बिल में भी रियायत की सौगात मिलेगी.

यहां पढ़ें...

किन जिलों में महिला वोटर गेम चेंजर: एमपी में दो करोड़ साठ लाख से ज्यादा यूं तो महिला वोटर हैं. 52 जिलों में से चालीस से ज्यादा ऐसे जिले हैं. जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों को भी पीछे छोड़ चुकी है. फिर 18 ऐसे जिले भी हैं, जहां महिला वोटर की तादात पुरुषों से कहीं ज्यादा है. इनमें डिंडौरी, परसवाड़ा, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, कुक्षी और सरदारपुर जैसे आदिवासी जिले भी हैं.

शिवराज बीजेपी के सबसे मजबूत ब्रांड: वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं "शिवराज सिंह चौहान की छवि 2005 से ही महिलाओं के बीच भाई और मामा की है. जिसे उन्होंने लगातार अपने विजन योजनाओं और योजनाओं को अमल में लाने के साथ मजबूत ही किया है. शिवराज अकेले ऐसे नेता हैं, महिला वोटर में जिनके लिए भरोसा है.

भोपाल। बहनों का दिन है आज, बहनें क्या कर सकती हैं. चुनाव से गुजर रहे मध्यप्रदेश जैसे राज्य में ये बहनें ही हैं, जिनकी मुट्ठी में सरकार की चाबी है. ये बहनें जो चाहें तो सत्ता भी पलट सकती हैं. देश का इकलौता राज्य होगा एमपी. जहां बहने सूबे की राजनीति का सेंटर पाइंट बन गई हैं. 2023 के साल में एमपी में तस्वीर साफ है कि ये बहनें जिस तरफ जाएंगी, उस दल की सरकार बनाएंगी. देश का पहला राज्य है, एमपी जहां विपक्षी दल कांग्रेस से लेकर सत्ता में बैठी बीजेपी तक सौगातों की सबसे बड़ी झड़ी लाडली बहना यानि महिला वोटर के नाम है. शिवराज सरकार तो गेमचेंजर मानकर अकेली लाडली बहना योजना पर 19 हजार 800 करोड़ का दांव लगा चुकी है. ये सब इसलिए कि इस बार एमपी में महिला वोटर की तादात दो करोड़ साठ लाख से ज्यादा है और 52 जिलों में से 41 जिलों में महिला वोटर की संख्या पुरुषों को भी पीछे छोड़ चुकी है.

बहना का वोट ही करेगा चोट: तो ये अचानक नहीं है कि एमपी में महिला वोटर पर पार्टियों का फोकस बढ़ गया है. हालांकि बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान की सरकार में तो शुरुआत से ही लाड़ली लक्ष्मी योजना के साथ जो शुरुआत की. तो महिला वोटर बीजेपी के फोकस में हमेशा से रही है. मामा की छवि को मांजते शिवराज ने हमेशा महिला वोटर को अपना ट्रस्टेड और टेस्टेड वोटर जाना है, लेकिन हर बार की तरह इसी वोटर पर इतना बड़ा दांव नहीं लगाया. बीजेपी की नैया कि खिवैय्या इस बार बहने ही हैं. पहले बहना को हजार रुपए की सौगात जो अब बढ़ाकर 1250 कर दी गई है. पहले सरकार इस पर हर साल पंद्रह हजार करोड़ रुपए का बजट बनाकर बैठी थी. अब जो 250 रुपए बढ़ाए गए हैं, तो हर महीने 400 करोड़ का खर्च और बढ़ जाएगा, लेकिन बीजेपी ये मान रही है ये दांव ही है जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौतियों के बावजूद सत्ता दिलाने वाला होगा.

बहना का सौगात तू डाल-डाल मैं पात-पात: बहनों को सौगात देने के मामले में कांग्रेस बीजेपी के बीच टक्कर तू डाल-डाल मैं पात-पात के अंदाज में है. कांग्रेस महिला सम्मान योजना के साथ 1500 रुपए की राशि देने का वादा किया तो उसकी टक्कर में सीएम शिवराज ने तुरंत ही महिलाओं के खाते में 1250 रुपए डालने का ऐलान कर दिया और सरकार बनजाने के बाद ये राशि तीन हजार कर देने की घोषणा की. रिश्तों की राजनीति में माहिर शिवराज अब मामा नहीं भाई हैं. चुनाव की तारीखों के ऐलान के पहले तक बहनों के खाते में राशि आती रहेगी. शिवराज ने जिस अंदाज में बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि राखी के लिए अभी 250 रुपए डाल रहे हैं, सिंगल क्लिक से....ताकी तुम्हारा त्योहार अच्छे से मनाया जा सके. फिर 10 सितम्बर को खाते में एक हजार आएंगे. फिर अक्टूबर में 1250 रुपए डाले जाएंगे. बाकी लाडली बहना को हजार देने के साथ बिजली के बिल में भी रियायत की सौगात मिलेगी.

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किन जिलों में महिला वोटर गेम चेंजर: एमपी में दो करोड़ साठ लाख से ज्यादा यूं तो महिला वोटर हैं. 52 जिलों में से चालीस से ज्यादा ऐसे जिले हैं. जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों को भी पीछे छोड़ चुकी है. फिर 18 ऐसे जिले भी हैं, जहां महिला वोटर की तादात पुरुषों से कहीं ज्यादा है. इनमें डिंडौरी, परसवाड़ा, अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, कुक्षी और सरदारपुर जैसे आदिवासी जिले भी हैं.

शिवराज बीजेपी के सबसे मजबूत ब्रांड: वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं "शिवराज सिंह चौहान की छवि 2005 से ही महिलाओं के बीच भाई और मामा की है. जिसे उन्होंने लगातार अपने विजन योजनाओं और योजनाओं को अमल में लाने के साथ मजबूत ही किया है. शिवराज अकेले ऐसे नेता हैं, महिला वोटर में जिनके लिए भरोसा है.

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