भोपाल। मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए हमेशा आदर्श संगठन रहा है. ये हमेशा हुआ कि मध्यप्रदेश बीजेपी की चुनावी रणनीति अन्य राज्यों में फॉलो की गई. लेकिन एमपी में ये पहला चुनाव है जब केन्द्रीय नेतृत्व के साथ बाकी राज्यों की इतनी सख्त निगरानी में हो रहे हों. फुटबाल की वन टू वन मार्किंग की तरह हर सीट पर अलग-अलग राज्यों से आए विधायकों की तैनाती कर दी गई है. यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र से आए इन विधायकों को बाकायदा ट्रेंड करके विधानसभा सीटों पर पहुंचाया जा रहा है. भोपाल में हुई ट्रेनिंग के बाद अब ये प्रवासी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का रुख करेंगे.
तीन साल का रिपोर्ट कार्ड पेश होगा : बीजेपी तीन साल के कार्यकाल का भी रिपोर्ट कार्ड पेश कर रही है. भोपाल में रिपोर्ट कार्ड पेश किया जाएगा और उसमें सरकार की वो सारी योजनाएं, जिनमें मध्यप्रदेश की तस्वीर बदली और आम आदमी की जिंदगी में जिनकी बदौलत बदलाव आया. उन योनजाओं के ब्यौरे के साथ आंकड़ों समेत मध्यप्रदेश के विकास की तस्वीर दिखाई जाएगी. जिसमें टाइगर स्टेट के तमगे से लेकर महिलाओं की जिंदगी बदलने वाला वो चक्र भी दिखाया जाएगा कि कैसे एमपी में बच्ची के जन्म से लेकर उसके ब्याह तक और फिर उसकी जरूरतों तक का ख्याल रखती है शिवराज सरकार.
पहली बार उम्मीदवारों की भी क्लास : ये पहला चुनाव है कि जब बीजेपी उम्मीदवारों को भी चुनाव मैदान में उतरने से पहले प्रशिक्षित कर रही है. 21 अगस्त को अब तक 39 सीटों पर घोषित किए गए उम्मीदवारों को भोपाल बुलाया गया है. इन्हें ना केवल चुनाव के दौरान का पूरा टाइम टेबल सौंपा जाएगा. बल्कि डूज एण्ड डोंट की सूची भी होगी कि भाषण से लेकर कार्यकर्ताओं से संवाद तक इन प्रत्याशियों का रवैया और मर्यादा क्या रहेगी. इसकी सीख भी इस क्लास में दी जाएगी. हालांकि बीजेपी में प्रशिक्षण वर्ग हमेशा चलने वाली एक प्रक्रिया रही है.
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बीजेपी में प्रयोग नई बात नहीं : बीजेपी नेता दीपक विजयवर्गीय इन प्रयोगों पर ईटीवी भारत से बातचीत में कहते हैं भारतीय जनता पार्टी एक जीवंत पार्टी है. समय के साथ राजनीति में चुनौतियां और उनके प्रकार बदलते रहते हैं. अवसरों को किस तरह से समय रहते इस्तेमाल किया जाए. ये कोशिश तो राजनीतिक दलों में होती ही है. अब युग बदला हुआ है. सोशल मीडिया का दौर है तो पार्टी में भी उसी हिसाब से बदलाव आएंगे. वहीं, कांग्रेस कांग्रेस की मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं ये प्रयोग असल में बीजेपी का डर है कि इस बार हार रही है पार्टी. लेकिन तीन महीने पहले चाहे उम्मीदवारों का एलान कर दें या सर्वे तैयार कर लें, होना कुछ नहीं. जनता का मोहभंग हो चुका है.