भोपाल। भाजपा की सूची घोषित करने के बाद एक बड़ी खबर यह आ रही है कि इन सीटों पर जो लोग अपनी दावेदारी कर रहे थे, अब भारी नाराज हैं. अब तक खुलकर नाराजगी के स्वर सामने नहीं आए हैं, लेकिन पता चला है कि बड़े नेताओं को बार-बार फोन कर कहा जा रहा है कि यह गलत है. इनमें राजधानी की भोपाल मध्य सीट, पिछोर और गुना की चाचौड़ा सीट पर असंतोष नजर आया. भोपाल मध्य की बात करें तो यहां से पूर्व विधायक रहे ध्रुव नारायण सिंह को भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. जबकि इसी सीट पर भाजपा के ही पूर्व विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह उर्फ मम्मा, भाजपा के राहुल कोठारी, भाजपा जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी और पूर्व नगर निगम भोपाल अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान लंबे समय से सक्रिय थे.
सीएम शिवराज के खास हैं सुरेंद्र सिंह: इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कृष्ण घाड़गे भी दावेदारी में लगे थे, लेकिन पार्टी ने इन सब को दरकिनार कर ध्रुव नारायण सिंह पर ही दांव लगाया है. जिन प्रत्याशियों द्वारा दावेदारी की जा रही थी. फिलहाल उनमें से कोई इतना बड़ा नेता नहीं है, जो खुलकर बगावत कर सके, क्योंकि सुरेंद्र सिंह भाजपा के जिला अध्यक्ष रहने के साथ विधायक भी रहे हैं और सीएम शिवराज सिंह चौहान के करीबी भी हैं. ऐसे में यदि वे विरोध करते हैं, तो सवाल शिवराज सिंह चौहान के ऊपर उठेंगे. राहुल कोठारी दिल्ली से जुड़े हैं, तो सुमित पचौरी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खासम खास हैं.
भोपाल उत्तर सीट पर आलोक शर्मा पर भरोसा: अब बात करें भोपाल उत्तर विधानसभा सीट की तो यहां से भाजपा ने पहली सूची में आलोक शर्मा का नाम दिया है. वे इसके पहले वर्ष 2008 में आरिफ अकील के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, तब उन्हें महज 4026 वोटों से हार मिली थी. ऐसा नहीं है कि भोपाल उत्तर से भाजपा की तरफ से कोई दावेदार ना हो. संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे चेतन भार्गव और देवेंद्र भार्गव मिलकर तैयारी कर रहे थे. चेतन भार्गव इस सीट से प्रभारी बनकर आए थे, तो वहीं देवेंद्र भार्गव उत्तर विधानसभा क्षेत्र के नारियल खेड़ा इलाके से नगर निगम में पार्षद हैं. वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय थे. इनके अलावा आलोक शर्मा के ही बेहद करीबी और नगर निगम में पार्षद मनोज राठौर भी इस विधानसभा सीट से दावेदारी कर रहे थे, लेकिन इन तीनों में से अब कोई भी खुलकर आलोक शर्मा का विरोध करने की स्थिति में नहीं है.
प्रदेश की इन सीटों पर सामने आ सकता है असंतोष: 39 में से चाचौड़ा और पोहरी सीट से बगावत के सुर देखने को मिल सकते हैं. चाचौड़ा में अभी कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह विधायक हैं. उनके पहले ममता मीना भाजपा से विधायक थीं, लेकिन वे 2018 में चुनाव हार गईं. उसके बाद भी क्षेत्र में सक्रिय रही और जिला पंचायत का चुनाव लड़ा. उनके पति आईपीएस रघुवीर मीणा भी जिला पंचायत का चुनाव लड़े और जीते. दोनों पति-पत्नी ने जिला पंचायत का चुनाव जीतने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर भी दावेदारी की. तब इसमें सफल नहीं हो पाए और ऐसा कहा गया कि विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने भी ज्यादा दम नहीं दिखाई. अचानक उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र से जीएसटी कमिश्नर प्रद्युम्न सिंह मीणा की पत्नी प्रियंका मीणा ने भाजपा ज्वाइन की और पहले ही बार में उनको प्रत्याशी घोषित कर दिया. ऐसे में ममता मीणा के विरोध के स्वर उठना तय है. इसके अलावा पिछोर विधानसभा सीट पर प्रीतम सिंह लोधी को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है. प्रीतम सिंह लोधी को बाबा बागेश्वर के खिलाफ टिप्पणी करने के कारण भाजपा ने निष्कासित कर दिया था, लेकिन जब उनकी सक्रियता देखी तो वापस पार्टी ज्वाइन कराई और टिकट दे दिया. इस बात से वहां के स्थानीय नेता खासे नाराज हैं, लेकिन लोधी वोट की संख्या अधिक होने के कारण पार्टी में असंतोष की चिंता ना करना ही बेहतर समझा.
1 महीने का समय देगी पार्टी प्रत्याशियों को ताकि वे असंतोष दबा सकें: भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं से बात हुई तो उन्होंने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि "यह सही है कि असंतोष होगा और कुछ नेताओं की नाराजगी भी सामने आएगी, लेकिन यह वह आकांक्षी सीट है, जहां नाराज होने वाले नेताओं की संख्या कम है. दूसरी बात यहां से जिन नेताओं को प्रत्याशी बनाया है. वह एक-एक करके सभी को मना लेंगे. पार्टी उन्हें 1 महीने का समय दे रही है.
इन सीटों पर सामने आ सकता है असंतोष: सुमावली, पिछोर, चाचौड़ा, बांदा, छतरपुर पुष्पराजगढ़, बरगी, लांजी, मुलताई, भोपाल मध्य, कसरावद और अलीराजपुर.