भोपाल। मध्यप्रदेश में बुधवार से डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे. डॉक्टरों के हड़ताल पर जाते ही कई जिलों और अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराने लगी है. मरीज इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. वहीं राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते एक मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. जबकि दोपहर तक 38 ऑपरेशन टालने पड़े. वहीं मर्चुरी में 3 बॉडी का पोस्टमार्टम ही नहीं हो पाया. कई मरीजों को भर्ती न करते हुए अन्य जगह रेफर किया गया तो मरीज परेशान होते हुए इधर-उधर भटकते नजर आए.
एक मरीज की हुई मौत: यह नजारा हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते नजर आया. यहां डॉक्टरों की हड़ताल के चलते आने वाले सभी मरीज परेशान होते हुए नजर आए, तो एक मरीज की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. भोपाल के निवासी इस मरीज को परिजन हमीदिया अस्पताल लेकर आए थे. परिजनों का कहना है कि जब उसे लेकर आए थे, तब वह स्वस्थ था और आधे घंटे चेकअप के बाद इलाज न मिलने से उसकी मौत हो गई. परिजनों ने इस दौरान अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए, लेकिन अस्पताल में मौजूद ड्यूटी डॉक्टरों का कहना था कि जो मरीज आया था, वह पहले से ही मृत था. जबकि परिजनों का कहना है कि मरीज जब यहां आए थे, तब वह जिंदा था. अगर पहले से मृत था तो आधे घंटे तक उसकी जांच क्यों की गई, तभी क्यों नहीं बताया गया. हमीदिया प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगे तो आनन-फानन में मरीज के परिजन और डेड बॉडी को यहां से वापस भेज दिया गया
परेशान होते रहे मरीज: वहीं दूसरी ओर चंदेरी से आए एक युवक खासा परेशान होता नजर आया. उसको शरीर पर कई जगह टांके लगे हुए थे और उसे भर्ती करने के लिए रेफरेंस लेटर भी चंदेरी के अस्पताल से मिला था, लेकिन बावजूद उसको यहां पर ना ही भर्ती किया गया और ना ही उसका इलाज किया गया. जिसके चलते वह चक्कर लगाने को मजबूर है. वहीं चंदेरी से आए एक अन्य युवक हड्डी टूटने के कारण परेशान था, उसके हाथ और कमर में फैक्चर था. उसे भी एडमिट होने के लिए आज की तारीख दी गई थी, लेकिन उसे यहां भर्ती नहीं किया गया. यह स्थिति सिर्फ एक मरीज की नहीं थी, यहां आए कई मरीज ऐसे ही परेशान होते रहे. जबकि एक बुजुर्ग मरीज के साथ आए परिजनों ने अस्पताल के लोगों पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं है. जिस वजह से ड्यूटी पर जो लोग तैनात हैं, उन्होंने जांच के नाम पर ही ₹600 इन से ले लिए जबकि इनके पास आयुष्मान का कार्ड है. ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी कह रहे हैं कि फिलहाल आयुष्मान फॉर्म की भर्ती करने वाला कोई भी डॉक्टर यहां मौजूद नहीं है. इसलिए पैसे दो और इलाज कराओ.
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पड़ी रही डेडबॉडी, टले 38 ऑपरेशन: इधर हमीदिया अस्पताल में दोपहर तक 38 ऑपरेशन को टाल दिया गया. ऑपरेशन कराने आए मरीज खासे परेशान होते हुए नजर आए. ईटीवी भारत से करते हुए निवासी अजगरी कहती है कि वह अपनी बहन के पैर का ऑपरेशन कराने आई हैं. उन्हें आज की तारीख अस्पताल में दी गई थी, लेकिन अंदर ना डॉक्टर है ना ही कोई ऑपरेशन करने के लिए मौजूद. ऐसे में उन्हें यहां कोई बता भी नहीं रहा कि आज ऑपरेशन होगा या नहीं. जबकि कर्मचारी कह रहे हैं कि अब ऑपरेशन नहीं होंगे, हड़ताल के चलते सब टाल बदिए गए हैं. इधर सिटी स्कैन और एक्सरे रूम पर भी ताले नजर आए और मरीज खासे परेशान होते हुए नजर आए. जबकि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को ऑथराइज किया था, जो भी गंभीर मरीज आए, उन्हें चिरायु से लेकर अन्य प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती और रेफर किया जाए. इधर मर्चुरी विभाग में भी होने वाले तीन पोस्टमार्टम तक नहीं हो पाए. सुबह से रखी बॉडी पोस्टमार्टम के लिए मर्चुरी में ही पड़ी रही. इनका पीएम करने वाले डॉक्टर वहां नहीं थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि पहले दिन ही डॉक्टरों की हड़ताल से खासी असुविधा लोगों को हुई.