भोपाल। पिछले कई दिनों से ये देखने में आया है कि फौज की तरफ नौजवानों का रुझान कम हुआ है. ऐसे में देखें तो राजपूत महापंचायत में लिया गया ये फैसला वाकई सराहनीय है. क्योंकि पहल समाज की ओर से हुई है. बीते दिनों भोपाल में हुई राजपूतों की महापंचायत में ये फैसला लिया गया है कि राजपूत समाज के हर परिवार से कम से कम एक संतान को भारतीय सेना में अधिकारी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. मकसद और लक्ष्य ये कि राजपूत समाज के हर परिवार का एक बेटा- बेटी सेना में अधिकारी बनकर देश सेवा के काम में जुटे.
राजपूत महापंचायत में लिए गए फैसले : भोपाल में हुई राजपूत समाज की महापंचायत में जुटे राजपूतों ने समाज में शिक्षा, रोजगार और आर्थिक मजबूती के लिए कई फैसले लिए हैं. जिसमें व्यवसायी राजपूतों से आग्रह किया गया है कि वे अपने संस्थानों में 50 फीसदी रोजगार और व्यापार के मौके राजपूत समाज के किसी व्यक्ति को देंगे. एक कोष बनाया जा रहा है जो आर्थिक रूप से अक्षम राजपूत परिवारों को उनके किसी संकट में तुरंत मदद उपलब्ध करा सकें. इसके अलावा किसी को व्यवसाय की शुरुआत के लिए जो पूंजी चाहिए उसमें भी मदद करें. इसी तरह से शारीरिक शिक्षा संस्कार स्किल डेव्लपमेंट के लिए राजपूत गुरुकुल भी बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं, राजपूत समाज के युवा बेरोजगारों व्यवसायी और किसानों की आय के सही आंकड़े जुटाए जाएं ताकि समाज की आर्थिक स्थिति की सही जानकारी मिल सके.
राष्ट्र समाज से भी पहले है : राजपूत महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह तोमर के मुताबिक राजपूत समाज के इस फैसले के पीछे की वजह है. वे बताते हैं यूं इस समाज के डीएनए में है देशभक्ति. हमेशा से ही राजपूत समाज से नौजवान सेना में प्राथमिकता से गए हैं और देश की रक्षा की है. लेकिन इनमें अफसरों की तादाद कम रही. अब हमारा प्रयास ये है कि राजपूत समाज से सेना की तीनों विंग में चाहे फिर वो आर्मी हो एयर फोर्स हो या नेवी राजपूत समाज से अधिकारी भी पहुंचे. दूसरी अहम बात ये है कि जिन समाजों को आरक्षण नहीं मिलता उनमें राजपूत समाज भी है. तो उनके लिए ये अवसर है. क्योंकि यहां मैरिट के आधार पर ही चयन होता है. महापंचायत ने इस सोच के साथ ये फैसला लिया है कि देश सेवा का जज्बा तो है ही. लेकिन जो सेना के सिलेक्शन प्रोसेस तक भी पहुचेंगे वो देश के बेहतर नागरिक तो कम से कम बन ही जाएंगे.
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महापंचायत में जुटे समाज के 16 संगठन : इस राजपूत महापंचायत में मध्यप्रदेश के मालवा, निमाड़, ग्वालियर, चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड तकरीबन हर हिस्से से राजपूत संगठन जुटे थे. प्रदेश में पहली बार समाज इस तादाद में जुटा था. महापंचायत में अलग -अलग वर्गों में काम कर रहे राजपूतों ने भी अपने अनुभव साझा किये. इसके अलावा देश के अलग- अलग हिस्सों से समाज से जुड़े विषय विशेषज्ञों ने भी इसमें शामिल होकर शिक्षा रोजगार जैसे विषयों पर अपनी राय रखी.