भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के बाद बीजेपी में मुख्यमंत्री पद को लेकर मशक्कत चल रही है, वहीं करारी हार के बाद अब कांग्रेस में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर कशमकश चल रही है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान मध्य प्रदेश में करारी हार के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कमान युवाओं के हाथ में सौंपने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस सीनियर नेताओं के संरक्षण में युवा नेताओं की पौध को आगे बढ़ाने की रणनीति बना रही है. दरअसल, चुनाव में कांग्रेस के जो नतीजे सामने आए हैं, उसकी उम्मीद पार्टी के नेताओं को भी नहीं थी. कांग्रेस को चुनाव में सिर्फ 66 सीटें ही मिली हैं.
चुनाव में नेता प्रतिपक्ष भी हारे चुनाव: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कई पूर्व मंत्री अपनी सीट नहीं बचा सके. इनमें कांग्रेस के दिग्गिज नेता सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे, तरूण भनोट के अलावा विधानसभा नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह तक शामिल हैं. विधानसभा में गोविंद सिंह सबसे सीनियर विधायकों में से एक थे, उनके नेतृत्व में युवा विधायकों ने सदन में सरकार को कई बार जमकर घेरा. हालांकि, इस बार विधानसभा में कांग्रेस के इन युवा और अनुभवी चेहरों के न होने की कमी कांग्रेस को जरूर खलेगी.
नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में यह नेता: माना जा रहा है कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष की कमान नहीं संभालेंगे. उन्होंने पिछली बार ही इस पद के लिए गोविंद सिंह के नाम पर सहमति दी थी. इसलिए इस पद पर बड़े दावेदार के रूप में अजय सिंह (राहुल भैया) को माना जा रहा है. वे पहले भी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. इसके अलावा आदिवासी चेहरे के रूप में उमंग सिंघार भी इसके मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी सौंप सकती है. इसके अलावा आदिवासी नेता बाला बच्चन का नाम भी चर्चाओं में है. बाला बच्चन भी पहले नेता प्रतिपक्ष की कमान संभाल चुके हैं.
क्या युवाओं को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी ? : हालांकि, बताया जा रहा है कि पार्टी युवा चेहरों को अब प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर रही है. इसके तहत प्रदेश की कमान भी कमलनाथ के स्थान पर किसी युवा नेता को सौंपी जा सकती है. जीतू पटवारी पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं, हालांकि कमलनाथ और दिग्जिवय सिंह उनको जिम्मेदारी दिए जाने के पक्ष में पूर्व में भी नहीं रहे हैं. इसके अलावा उमंग सिंघार को भी पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. इसको देखते हुए उमंग सिंघार ने हाल ही में पुराने विवाद को लेकर दिग्विजय सिंह से सार्वजनिक मांफी मांग ली है. एक दिन पहले वे दिग्विजय सिंह के निवास पर जाकर उनसे मुलाकात भी कर चुके हैं. नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में एक नाम जयवर्द्धन सिंह का भी है. वे तीसरी बार राघौगढ़ से चुनाव जीतकर आए हैं, उनकी छवि निर्विवाद भी है.