भोपाल। एमपी में आखिर किस नाम पर लगेगी पीएम मोदी की मुहर. 2003 के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है, जब एमपी में सीएम पद के लिए कतार लंबी है. सांसदी छुड़ाकर विधानसभा के मैदान में उतारे गए केन्द्रीय मंत्री और सांसदों की लॉटरी लगेगी या कोई चौंकाना वाला नाम आएगा...अचानक सुर्खियों में राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम भी तेजी से चर्चा में आया है. हालांकि ये पहली बार नहीं है.
एमपी में विधानभाचनाव से पहले भी जब जब मुख्यमंत्री के चेहरे पर बदलाव की अटकलें तेज हुई. सुमेर सिंह सोलंकी का नाम चर्चा में रहा है. आदिवासी वर्ग से आने सुमेर सिंह सोलंकी की गिनती संघ के करीबियों में होती है. एमपी में जिस तरह की बंपर जीत पीएम मोदी के चेहरे पर बीजेपी को मिली है. उसने बीजपी हाईकमान को एमपी में सीएम चेहरे पर बदलाव का फ्री हैंड दे दिया है.
क्या ट्राइबल पर होगा फोकस: आम चुनाव से पहले बीजेपी आदिवासी वोटर पर फोकस कर रही है. एमपी में चुनाव के काफी पहले से आदिवासी वोटर के बीच पैठ बनान जननायकों के सम्मान के साथ कोशिश शुरु हो गई थी. अब राजनीतिक हल्कों में अटकले हैं कि पार्टी आदिवासी पर फोकस करते हुए एमपी में सीएम पद को लेकर फैसला ले सकती है. एमपी उन राज्यों में है, जहां के 54 जिलों में 56 ट्राइबल जातियां हैं. प्रदेश में इस वर्ग की आबादी एक करोड़ 53 लाख से ज्यादा है.
विधानसभा में 47 आदिवासी सीटें हैं. जिनके हाथ में ही हमेशा सत्ता की चाबी होती है. शहडोल, मंडला, बैतूल, खरगोन, धार और रतलाम मिलाकर छह आदिवासी आरक्षित लोकसभा सीटे हैं. आरक्षित सीटों की संख्या एससी एसटी मिलाकर करीब दस है. इस गणित के हिसाब से माना जा रहा है कि जो गैर विधायक और चौंकाने वाला नाम हो सकता है. वो आदिवासी वर्ग से भी आ सकता है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी चौंकाती रही है और बीजेपी ही दश में अकेला दल है, जो नेताओं को गढ़ता है, लेकिन चार महीने के फासले पर जब चुनाव हो तो क्या बीजेपी ट्रस्टेड से ज्यादा टेस्टेड च्वाइस पर नहीं जाएगी.
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सुमेर सिंह सोलंकी का नाम अचानक क्यों आया: ये पहली बार नहीं है कि राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम चर्चाओं में है. इसके पहले भी कई बार उनका नाम सीएम पद के लिए हवाओं में तैरता रहा है. संघ का करीबी होना सुमेर सिंह की काबिलियत में शामिल है. इसके अलावा वे आदिवासी वर्ग से आते हैं. उस मालवा निमाड़ अंचल से हैं, जहां बीजेपी अपने गढ़ में एक बार फिर बेहतरीन प्रदर्शन किया है. आदिवासी वर्ग से होना सुमेर सिह सोलंकी की काबिलियत में इजाफा करता है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, अभी कयास हैं हालांकि आदिवासी वोटर टटोला जाए तो सुमेरसिंह का नाम पहल भी चर्चाओं में रहा है. ये तय मानिए कि बीजेपी हाईकमान आम चुनाव के मद्देनजर एमपी में सीएम पद के लिए फैसला बहुत ठोक बजा कर लेने वाला है.