भोपाल। एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में रिकार्ड मतों से जीत के कई रिकार्ड तो बने ही. कई उम्मीदवारों ने भारी मतों के साथ लगातार जीत का भी रिकॉर्ड बनाया. एमपी में ऐसी कई सीटें हैं, जो हर आंधी से बेअसर होती रहीं और अपने एक ही उम्मीदवार पर हर पांच साल में भरोसा दिखाया, वो भी इतनी मजबूती से कि आप ये कहने को मजबूर हो जाएंगे इस सीट पर इन जनाब का ही पट्टा है. मध्य प्रदेश में ऐसी सीटें हैं जहां उम्मीदवार अब प्रचार के लिए भी नहीं जाते और जनता उन्हें भारी मतों से जिताती है. इन सीटों पर एक परिवार का ही बीसियों साल से दबदबा कायम है. ये सीटें हर आंधियों से बेअसर हैं.
2 नंबर सीट ने 1 नंबर की रिकॉर्ड जीत की: इंदौर की दो नंबर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार रमेश मैंदोला ने संभवत: चारों प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. रमेश मैंदोला के वोटों का रिकॉर्ड हर साल बढ़ रहा है, लेकिन बड़ी बात ये भी है कि एक ही सीट वे लगातार चौथी बार विधायक हैं. यानि इंदौर नंबर दो के वोटर ने मैंदोला के सिवाय किसी को मौका ही नहीं दिया. इस चुनाव में उन्होंने एक लाख 6 हजार 563 वोटों से चुनाव जीता है. जो प्रदेश में किसी भी उम्मीदवार का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. वैसे तो 1993 से इंदौर की दो नंबर सीट बीजेपी का गढ़ है. लेकिन 2008 से लगातार यहां से चुनाव जीत रहे मैंदोला जीत के रिकॉर्ड बनाते आगे बढ़ रहे हैं. इसके पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने 91 हजार वोटों से रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी.
गोविंदपुरा ने हमेशा 'गौर' ही किया : एमपी के भोपाल जिले की गोविंदपुरा विधानसभा सीट के लिए ये कहा जाना गलत नहीं होगा कि गोविंदपुरा ने गौर पर ही गौर किया है. बीजेपी का गढ़ जहां से पहले पूर्व सीएम और दिवंगत बीजेपी नेता बाबूलाल गौर ने आठ बार यानि करीब चालीस साल अपनी सल्तनत बनाए रखी. उनके जाने के बाद विरासत में ये सीट उनकी बहू कृष्णा गौर को मिली.
दूसरे नंबर की रिकॉर्ड मतों से जीतने वाली उम्मीदवार: कृष्णा गौर ने इस सीट से अपने दूसरे ही चुनाव में मतों का रिकॉर्ड बनाकर बता दिया कि उनकी तैयारी भी यहां लंबी पारी की है. कृष्णा गौर प्रदेश में दूसरे नंबर की रिकॉर्ड मतों से जीतने वाली उम्मीदवार हैं. उन्हें इस चुनाव में एक लाख से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की है. वैसे ये भी सही है इस सीट पर भोपाल जिले में सबसे ज्यादा वोटर हैं. इस सीट पर तीन लाख 93 हजार से ज्यादा वोटर हैं. पांच बार से बीजेपी का मजबूत गढ़ रही इस सीट पर इस बार कृष्णा गौर ने मतों का रिकॉर्ड बना डाला.
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प्रचार में एक दिन नहीं गए, बना दिया जीत का रिकॉर्ड: सीएम शिवराज लगभग बीस साल से एमपी की सत्ता पर काबिज हैं. बुधनी सीट की नुमाइंदगी भी वो पिछले बीस वर्ष से कर रहे हैं. वे चुनाव में केवल पर्चा भरने बुदनी जाते हैं. एमपी के रिकॉर्ड धारी सीएम ने पहली बार 1990 में बुधनी से चुनाव जीता. फिर सोलह साल के ब्रेक के बाद 2006 में बुधनी से ही उन्होंने उपचुनाव लड़ा. जीते भी और यहीं से इस सीट पर ही नहीं प्रदेश की राजनीति पर भी उनका अंगद पांव जम गया. 2008 से लेकर फिर 2013 2018 और फिर अब 2023 में तो एक लाख चार हजार नौ सौ चौहत्तर मतों से उन्होंने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है. एक आंकड़े के मुताबिक बुधनी के सत्तर फीसदी वोट अकेले शिवराज सिंह चौहान के खाते में गए.
तीन दशक से इस सीट पर एक चेहरे की जीत: ये भी इतिहास ही माना जाएगा. रहली विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार गोपाल भार्गव ने नौवीं बार चुनाव जीता है. 1985 से लगातार इस सीट से चुनाव लड़ रहे गोपाल भार्गव का लगातार जीत का रिकॉर्ड तो है ही, मतों के लिहाज से भी बड़ी जीत है. गोपाल भार्गव ने अपनी प्रतिद्वंदी ज्योति पटेल को 72 हजार से ज्यादा मतों से हराया है. 38 साल से लगातार रहली में जीत का रिकॉर्ड बना रहे गोपाल भार्गव ने यहां 21 हजार से ज्यादा बेटियों का विवाह करवाके भी एक रिकॉर्ड बनाया है.