भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव चुनाव प्रचार में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी के नेताओं ने ज्यादा ताकत झोंकी. लेकिन सभाएं लेने के मामले में अव्वल रहे शिवराज सिंह चौहान. औसतन हर दिन 12 से 13 सभाएं ली हैं शिवराज सिंह चौहान ने. जिसमें रोड शो अलग हैं. इस तरह पूरे चुनाव के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने करीब 165 जनसभाएं की. खुद शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक उन्होंने हर दिन 12-13 सभाएं की और तकरीबन सारी दौड दौड़कर. उनका कहना है कि वे हेलीकॉप्टर से दौड़कर उतरते थे. दौड़कर हेलीकॉप्टर में चढ़ते थे और दूसरी जगह सभा के लिए पहुंच जाते थे. शिवराज का कहना है कि इतनी रफ्तार के बावजूद वे 165 सभाएं ही कर पाए, इसका अफसोस है. शिवराज सिंह चौहान उन नेताओं में हैं जिनकी बीजेपी उम्मीदवारों ने डिमांड ज्यादा रखी थी. बावजूद इसके पार्टी उनके खिलाफ एंटी इन्कबेंसी को समय रहते भांप गई.
मोदी, शाह, नड्डा ने भी सारा जोर लगाया : पीएम मोदी की सभाओं को इस तरह से प्लान किया गया कि उनकी हर एक सभा पूरे रीजन पर असर डाल सके. लिहाजा, महाकौशल, विंध्य, मालवा, ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड में पीएम मोदी की सभाएं प्लान की गईं. उन्होंने चुनाव के दौरान 15 सभाएं लीं. एक आकलन के अनुसार 230 में से 70 सीटों को कवर किया. चुनाव की तारीखों के एलान से पहले एमपी के दौरे बढ़ा चुके गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका चुनाव में दो हिस्सों में रही. पहले उन्होंने पार्टी की गुटबाजी से निपटने और चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करने लगातार बैठकें ली. बाद में शाह ने 21 सभाएं लीं. पूरे प्रदेश इन 21 विधानसभा सीटों के साथ 12 जिले भी कवर किए. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस दौरान दो दर्जन से ज्यादा करीब 14 सभाएं लीं. जिसमें 40 से ज्यादा विधानसभा सीटों को कवर किया.
कांग्रेस से प्रियंका सबसे आगे : कांग्रेस के दिग्गजों के प्रचार में सबसे बड़ी स्टार प्रचारक भाई-बहन की जोड़ी ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी. राहुल गांधी के मुकाबले प्रियंका गांधी ने इस बार एमपी में ज्यादा मेहनत की. महाकौशल से पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत भी प्रियंका गांधी ने ही की और फिर प्रचार में भी पूरी तरह जुटी भी. कई बार तो तीन दिन के भीतर ही वे लगातार दूसरे दौरे पर एमपी आईं. प्रियंका गांधी प्रचार खत्म होने के आखिरी दिन तक जुटी रहीं. प्रियंका ने एमपी में करीब दस सभाएं कांग्रेस उम्मीदवारो के पक्ष में ली. जबकि प्रियंका गाधी के मकाबले राहुल गांधी ने नौ सभाएं की. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 7 सभाएं लीं और दो दर्जन के करीब जिलों में प्रचार किया.
कमलनाथ ने लगाया शतक : कमलनाथ का इलेक्शन सेंटर भले छिंदवाड़ा बना रहा हो. लेकिन पूरे चुनाव में 2018 के विधानसभा चुनाव से भी ज्यादा ताकत से जुटे रहे. उन्होंने इस दौरान 100 से ज्यादा सभाए अपने प्रत्याशियों के समर्थन में की. कमलनाथ के मुकाबले दिग्विजय सिंह का अंदाज अलग दिखा. फर्स्ट फेज में तो वो जनसभाओं में पहुंचे ही नहीं. उनका पूरा फोकस पार्टी संगठन की मजबूती का था. लिहाजा वहां बैठक कर कार्यकर्ताओं को मजबूत करते रहे. लेकिन जब पार्टी ने उन्हें भी मैदान में उतरने दिग्विजय सिंह ने भी जनसभाएं लेनी शुरू की. लेकिन ये लगभग अतिम दौर के प्रचार में.