भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने मुफ्त के उपहार (फ्रीबीज) को लेकर चुनाव आयोग सख्त हो गया है. चुनाव आयोग ने तमाम केन्द्रीय और स्टेट एजेंसियों को इसे रोकने सख्ती से कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, हालांकि चुनाव आयोग ने कहा है कि सियासी दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने किए जाने वाली घोषणाओं पर फिलहाल आयोग की कोई रोक नहीं है. इसको लेकर पूर्व में आयोग की तरफ से प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन अभी यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. उधर आयोग ने चुनाव में शराब और नगदी की जब्ती को लेकर उन्होंने चिंता जताई है, उन्होंने कहा कि पिछले चुनावों में जब्ती कई गुना बढ़ी है. इसको देखते हुए बैंक को भी निर्देश दिए गए हैं.
अवैध शराब, नगदी पर अभी से सख्ती: दरअसल चुनाव में जहां मतदाताओं को लुभाने के लिए सियासी दलों द्वारा लुभावने वादे किए जाते हैं, वहीं अवैध तरीके से नगदी और शराब का भी उपयोग किया जाता है, हर चुनाव में इसकी बड़ी मात्रा में जब्ती होती है. मध्यप्रदेश के 2018 के विधानसभा चुनाव में 67 करोड़ से ज्यादा कैश और शराब जब्त की गई थी, इसको देखते चुनाव आयुक्त ने सभी केन्द्रीय एजेंसियों को अभी से तैयारियों में जुटने के निर्देश दिए हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि "सभी एजेंसियों की बैठक कर निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी सूरत में फ्री बीज को बंटने से रोकने की कोशिश अभी से शुरू की जाए. पिछले मामलों को देखा जाए तो पिछले चुनावों में नगदी और शराब की जब्ती कई गुना बढ़ गई है. चुनाव को लेकर हमारे दो ही मंत्र हैं कि चुनाव में प्रलोभन न दिया जाए, किसी तरह की हिंसा न हो और पूरा चुनाव पारदर्शी हो. मध्यप्रदेश को दूसरे राज्यों को जोड़ने वाले चैकपोस्ट पर पुलिस की 223 चैकपोस्ट रहेंगी, इसके अलावा ट्रांसपोर्ट की 38 पोस्ट रहेंगी. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पुलिस के अलावा जो भी विभाग केस दर्ज कर सकते हों, उन्हें भी चैकिंग की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है."
लोक लुभावन वादों का मामला विचाराधीन: सियासी दलों द्वारा चुनाव में ऐसे लुभावने वादों भी किए जाते हैं, जिन्हें 5 साल में पूरा ही नहीं किया जा सकता. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि "चुनाव आयोग फ्री बीज को लेकर राजनीतिक दलों को बताना होगा कि किए गए वादे का लाभ कब मिलेगा, कितना मिलेगा और इसके लिए वित्तीय संसाधन कहां से लाए जाएंगे. इसे पूरा करने कोई दूसरी योजना बंद करेंगे, टेक्स बढ़ाया जाएगा या फिर कर्ज लिया जाएगा. आयोग ने यह प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है."