भोपाल। पिछले चुनाव में किसानों ने सरकार बदलकर रख दी थी. कांग्रेस का किसानों के लिए की गई कर्ज माफी की घोषणा ने ऐसा काम किया कि भाजपा के सारे समीकरण बिगड़ गए. अब एक बार फिर चुनाव सामने है और सरकार का आखिरी बजट आ रहा है. ईटीवी भारत ने जब बीते तीन बजट का एनालिसिस किया तो पता चला कि सत्ता से बाहर होने के बाद भी सरकार डिफाल्टर किसानों का कर्ज माफ करने के लिए तैयार नहीं है. इस बार किसान सोसायटी के लोन माफ करने के साथ सेपरेट एग्रीकल्चर पॉलिसी बनाने और मंडियों का शुल्क घटाने जैसे मुद्दों की उम्मीद कर रहे हैं.
दोनों बजट में किसान कर्जमाफी की बात नहीं: शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल का आखिरी वित्तीय बजट 1 मार्च को पेश किया जाएगा. इस बजट से किसानों की उम्मीदें कुछ अधिक ही बंध गई हैं, क्योंकि सरकार ने बीते बजट में जो घोषणाएं की थी, उन्हें अब तक पूरा नहीं कर पाई है. ऐसे में किसानों की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाना सरकार के लिए भारी पड़ सकता है. दरअसल बीते तीन साल में सरकार ने कई मौकों पर कहा था कि एमपी अपनी सेपरेट एग्रीकल्चर पॉलिसी बनाएगा, लेकिन अब इस बारे में बात नहीं होती है,लेकिन जो सबसे बड़ा मुद्दा है, किसान कर्ज माफी, जिसकी मदद से कांग्रेस सत्ता में आई थी. उसके बारे में सरकार ने अब तक कोई बात नहीं की. कांग्रेस की 15 महीने की सरकार के बाद जब भाजपा सत्ता में वापिस लौटी तो वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को बनाया गया. इसके बाद जगदीश देवड़ा ने 2 मार्च 2021 और 9 मार्च 2022 को मिलाकर दो बजट पेश किए. इन दोनों ही बजट में किसानों के कर्जमाफी की बात नहीं कही गई थी.
सत्ता में लौटने के बाद पहला बजट: वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2 मार्च 2021 को बजट पेश किया. इसमें उपलब्धियां अधिक थी. जैसे किसान सम्मान निधि योजना के तहत 78 लाख किसानों को योजना के तहत 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि देने का दावा किया गया. इसके अलावा किसान कल्याण योजना के तहत प्रति किसान एक साल में 4 हजार रुपए दिए गए. यानी 57.50 लाख किसानों को 1150 करोड़ रुपए दिए गए. वहीं नए बजट में महज 400 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया. इसके अलावा 2021-22 के लिए 3200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था. 25 लाख किसानों को कम ब्याज पर किसान क्रेडिट कार्ड से करने, फसल ऋण योजना के तहत 2021-22 में 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. 3 हजार एग्री क्लीनिक एवं एग्री सर्विस केंद्रों की स्थापना करने के साथ जैविक खेती के क्षेत्रफल को 4 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने की बात कही गई. कहा गया कि 2018-19 का लंबित फसल बीमा राशि जो कि 3262 करोड़ रुपए 18 लाख 38 हजार किसानों को दी गई. वहीं खरीफ फसल के लिए वर्ष 2019-20 की राशि 5418 करोड़ रुपए 23लाख 59500 किसानों के खाते में डाली. भाजपा ने कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए पशुपालक क्रेडिट कार्ड स्कीम को आगे बढ़ाया और 76 हजार पशुपालक किसानों को क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किए गए. वर्ष 2021-22 के लिए 35 हजार 353 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव किया गया, लेकिन इसमें कर्ज माफी की बात नहीं थी.
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सत्ता में लौटने के बाद दूसरा बजट: एमपी विधानसभा में 9 मार्च 2022 को वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने पंद्रहवी सरकार का तीसरा और सत्ता में लौटने के बाद भाजपा सरकार को दूसरा बजट पेश किया गया. इसमें भी जमकर उपलब्धियां गिनाई गई. जैसे फसल बीमा योजना के तहत 17 हजार करोड़ बांटे, फसल उर्पाजन में 66 हजार 684 करोड़ दिए, फसल ऋण में 30 हजार करोड़ रुपए दिए गए, बिजली बिलों पर सब्सिडी पर 30 हजार करोड़ रुपए खर्च किए, किसान सम्मान निधि में 10 हजार 337 करोड़ रुपए, किसान कल्याण योजनना में 4 हजार 337 कराेड़ रुपए की सहायता किसानों को देने का दावा किया गया. इस साल कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई. केवल सहकारी संस्थाओं को खाद, बीज और ऋण उपलब्ध कराने के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाना प्रस्तावित किया गया था. कृषि और उससे जुड़े सभी विभाग जैसे पशुपालन, मत्स्य, उद्यानिकी, खाद्य आदि को मिलाकर 2022-23 के लिए 40 हजार 916 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया.