भोपाल। कहते हैं आपके अंदर अगर हौसला हो और कुछ कर गुजरने की शक्ति तो गरीबी भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है यशवर्धन मरावी ने एमपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा में प्रदेश भर में टॉप करने वाले यशवर्धन सिंह मरावी एक प्यून के बेटे हैं. बावजूद इसके घर की परेशानियों को पीछे छोड़ते हुए इस आदिवासी छात्र ने टॉप किया है. यशवर्धन में कॉमर्स सेक्शन में प्रदेश में पहला स्थान हासिल करते हुए टॉप किया है. उन्होंने 500 में से 482 अंक हासिल किए हैं. ईटीवी भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया ने यशवर्धन से बात की, तो उन्होंने बताया कि उनके पिता एक प्यून का काम करते हैं.
कड़ी मेहनत कर यशवर्धन ने किया टॉप: यशवर्धन के परिवार में तीन बहन और वह एक भाई हैं. मूलता मंडला के रहने वाले यशवर्धन ने नौवीं कक्षा में भोपाल के सुभाष एक्सीलेंस स्कूल में एडमिशन लिया था. वह बताते हैं कि उन्हें स्कूल का ज्यादा सहयोग मिला और टीचर्स ने भी उनको समय दिया. स्कूल से जाने के बाद भी वह चार से 5 घंटे तक पढ़ाई करते थे. यशवर्धन बताते हैं कि उनके पिता ने उनकी पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. भले ही घर में परेशानियां आती हैं. कई बार ऐसी स्थिति भी निर्मित हुई कि घर में लोग परेशान रहे, लेकिन बावजूद उसके उनके पिता ने उनकी पढ़ाई नहीं रोकी और वह आज इस मुकाम पर हैं. ईटीवी भारत से बात कर यशवर्धन ने बताया कि वह आगे चलकर सीए बनना चाहते हैं. इसके लिए वह लगातार कड़ी मेहनत कर रहे हैं. यशवर्धन कहते हैं कि घर में स्थिति ऐसी नहीं थी कि कोचिंग के लिए पैसा हो, लेकिन बावजूद इसके जब पिता काम से लौटकर आते थे, तो वह उन्हें हर बार पढ़ने के लिए कहते थे. यशवर्धन रात रात भर पढ़ाई करते थे और सुबह 1 घंटे पहले ही स्कूल आ जाते थे.
आदिवासी छात्रों के लिए मोटिवेशन की बात: यशवर्धन कहते हैं कि वह आदिवासी परिवार से आते हैं. वहां पर इस तरह की सुविधाएं नहीं थी कि वह आगे बढ़ सके. उनका चयन सरकार की योजना के माध्यम से एक्सीलेंस स्कूल में हुआ. जिसके बाद उन्होंने यह कुछ नहीं सोचा ओर भोपाल आ गए. उन्होंने हर बार अपने माता-पिता के सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की है. यशवर्धन कहते हैं कि मंडला आदिवासी क्षेत्र है. वहां उनके जो साथी नौवीं कक्षा तक थे, वह सब भी पढ़ाई में इतने होशियार नहीं थे और खुद यशवर्धन भी उनके समान ही पढ़ाई में थे, लेकिन एक समय उनके पिता ने जब भोपाल में एडमिशन कराने के लिए उनसे बात कही तो पहले तो यशवर्धन ने यहां आने की इच्छा नहीं जताई, लेकिन जब सिलेक्शन हुआ और यहां पर आए. अब उन्होंने पिता के सपने को साकार किया.
यशवर्धन का सपना: यशवर्धन कहते हैं कि उन्होंने कॉमर्स सब्जेक्ट लिया है. इसलिए वह सीए ही बनेंगे, लेकिन उनका सपना है कि वह अपने माता-पिता के साथ अपनी बहनों को भी एक बेहतर जीवन शैली दे सके. जिससे कि वह अपना बेटा होने का फर्ज निभा पाएं.