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MP BJP Infighting:अंतर्कलह से सहमी BJP, अमित शाह ने पूछा- 'पार्टी में कौन किसका विरोधी, कैसे थमेगी गुटबाजी'

मध्यप्रदेश में 4 माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर बीजेपी सशंकित है. इसकी वजह पार्टी में जारी अंतर्कलह है. लगभग हर विधासनभा सीट पर गुटबाजी चरम पर है. इसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को कलह थामने के काम पर लगा दिया है. केंद्रीय नेतृत्व ने एक फॉर्मेट भरने को दिया.

MP BJP Infighting
अमित शाह ने पूछा- 'पार्टी में कौन किसका विरोधी, कैसे थमेगी गुटबाजी'
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Published : Jul 21, 2023, 8:33 PM IST

भोपाल। कैडर बेस्ड पार्टी कहने वाली बीजेपी को इस वक्त अंतर्कलह का टेंशन सता रहा है. दमोह, धार, सागर, ग्वालियर, सतना समेत कई जिलों में हुए विवाद सार्वजनिक हो चुके हैं. पार्टी में वरिष्ठ और जनाधार वाले नेताओं के विवाद लगभग सभी जिलों में हैं. इसमें दमोह, धार, सागर, शिवपुरी, ग्वालियर, इंदौर, रतलाम, टीकमगढ़, जबलपुर , पन्ना, नीमच समेत दर्जनभर जिले हैं. यहां पार्टी नेताओं के बीच हुए विवाद के मामले मीडिया की सुर्खियां भी बन चुके हैं. कई मामलों में राजधानी तक शिकायत पहुंचने के बाद प्रदेश संगठन को हस्तक्षेप करना पड़ा है.

हर जिले में अंतर्कलह : कई जिलों में जिला अध्यक्षों और जिला पदाधिकारियों के कारण भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों में नाराजगी है. बीजेपी सरकार की योजनाएं और साथ में विकास कार्यों की रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संतुष्टि जताई लेकिन शाह को भी पार्टी नेताओं की नाराजगी मालूम है. शाह ने हर विधानसभा सीट में पार्टी के असरदार पदाधिकारियों, पूर्व जनप्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाकर फार्मेट में भेजने को कहा है. इसमें साफतौर पर पूछा गया है कि किस विधानसभा सीट के कौन से नेता, पदाधिकारी की आपस में नहीं बनती है. ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है. इसके साथ ही इसमें यह भी जानकारी देना है कि आपस में एक-दूसरे का विरोध कर रहे ये नेता किसके कहने पर अपना विरोध दरकिनार कर सकते हैं.

पिछला चुनाव गुटबाजी से हारे : पिछली बार 2018 के चुनाव में बीजेपी को कुछ सीटों के चलते हार का सामना करना पड़ा था. उसकी प्रमुख वजह कार्यकर्ता और नेताओं की आपस में न बनने की वजह रही. पार्टी को भी पता है कि ये नाराजगी दूर हो गई तो बीजेपी को हराना मुश्किल है. प्रदेश की चुनावी कमान संभालने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने प्रदेश संगठन से कहा है ये जानकारी जुटाएं कि विधानसभा सीट स्तर पर एक-दूसरे का विरोध करने वाले नेताओं के बीच विवाद और आपसी तालमेल न होने की वजह क्या है? केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद प्रदेश संगठन को कई जिलों से जानकारी मिल गई है. बाकी जिलों से जुटाई जा रही है.

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एकजुटता बढ़ाने के फॉर्मूले पर जोर : पार्टी में एकजुटता के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी पूछा है कि नाराज नेता पार्टी में किसका कहना मानकर पूरी ताकत से चुनाव में जुटेंगे. अगर जिला स्तर पर जिला अध्यक्ष, सांसद, विधायक, जिला प्रभारी से बात बनती है तो ठीक है, अन्यथा प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के नाम भी देना है. जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, अजा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य या अन्य कोई नेता या पदाधिकारी शामिल हैं. इतना ही नहीं पार्टी ने इसमें संघ की मदद लेने का भी फैसला किया है. आपसी समन्वय करने और मनमुटाव दूर करने के लिए पार्टी टिफिन बैठकें शुरू करेगी.

भोपाल। कैडर बेस्ड पार्टी कहने वाली बीजेपी को इस वक्त अंतर्कलह का टेंशन सता रहा है. दमोह, धार, सागर, ग्वालियर, सतना समेत कई जिलों में हुए विवाद सार्वजनिक हो चुके हैं. पार्टी में वरिष्ठ और जनाधार वाले नेताओं के विवाद लगभग सभी जिलों में हैं. इसमें दमोह, धार, सागर, शिवपुरी, ग्वालियर, इंदौर, रतलाम, टीकमगढ़, जबलपुर , पन्ना, नीमच समेत दर्जनभर जिले हैं. यहां पार्टी नेताओं के बीच हुए विवाद के मामले मीडिया की सुर्खियां भी बन चुके हैं. कई मामलों में राजधानी तक शिकायत पहुंचने के बाद प्रदेश संगठन को हस्तक्षेप करना पड़ा है.

हर जिले में अंतर्कलह : कई जिलों में जिला अध्यक्षों और जिला पदाधिकारियों के कारण भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों में नाराजगी है. बीजेपी सरकार की योजनाएं और साथ में विकास कार्यों की रिपोर्ट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संतुष्टि जताई लेकिन शाह को भी पार्टी नेताओं की नाराजगी मालूम है. शाह ने हर विधानसभा सीट में पार्टी के असरदार पदाधिकारियों, पूर्व जनप्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाकर फार्मेट में भेजने को कहा है. इसमें साफतौर पर पूछा गया है कि किस विधानसभा सीट के कौन से नेता, पदाधिकारी की आपस में नहीं बनती है. ऐसे नेताओं की लिस्ट तैयार की जा रही है. इसके साथ ही इसमें यह भी जानकारी देना है कि आपस में एक-दूसरे का विरोध कर रहे ये नेता किसके कहने पर अपना विरोध दरकिनार कर सकते हैं.

पिछला चुनाव गुटबाजी से हारे : पिछली बार 2018 के चुनाव में बीजेपी को कुछ सीटों के चलते हार का सामना करना पड़ा था. उसकी प्रमुख वजह कार्यकर्ता और नेताओं की आपस में न बनने की वजह रही. पार्टी को भी पता है कि ये नाराजगी दूर हो गई तो बीजेपी को हराना मुश्किल है. प्रदेश की चुनावी कमान संभालने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने प्रदेश संगठन से कहा है ये जानकारी जुटाएं कि विधानसभा सीट स्तर पर एक-दूसरे का विरोध करने वाले नेताओं के बीच विवाद और आपसी तालमेल न होने की वजह क्या है? केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद प्रदेश संगठन को कई जिलों से जानकारी मिल गई है. बाकी जिलों से जुटाई जा रही है.

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