भोपाल। मध्य प्रदेश बीजेपी में विधानसभा चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवारों के लिए लगातार गाइडलाइन बदलती रहती है. अब भोपाल में बूथ विस्तारक बैठक में सहमति बनी है कि जो जिला अध्यक्ष चुनाव लड़ना चाहेंगे, उन्हें पहले संगठन के पद से इस्तीफा देना होगा. इसके बाद ही वे चुनाव लड़ने की पात्रता पा सकेंगे. बीजेपी संगठन के बड़े नेताओं की बैठक में ये फैसला हुआ है. भोपाल के पास राधा की ढाणी में हुई बूध विस्तार की बैठक में ये निर्णय लिया गया है. बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश संगठन महामंत्री हितांनाद शर्मा मौजूद रहे.
कई जिला अध्यक्ष दे सकते हैं इस्तीफा : बता दें कि इससे पहले की बैठकों में जिला अध्यक्ष के चुनाव नहीं लड़ाने के फॉर्मूले पर सहमति बनी थी. लेकिन इसके बाद पार्टी को लगा कि जिलाध्यक्ष का काफी दबदबा और क्षेत्र में पकड़ बन जाती है, लिहाजा जिलाध्यक्ष को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. लेकिन पार्टी ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट कर दिया है कि जो जिलाध्यक्ष रहेंगे, उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश में 50 साल से कम और खुद को दावेदार मान रहे जिला अध्यक्ष अब अपने पद से इस्तीफा देंगे.
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सत्ता व संगठन में समन्वय बनाने पर जोर : राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नसीहत के बाद सत्ता और संगठन में समन्वय बनाने की कोशिश में नेता जुटे हुए हैं. नड्डा के दौरे के बाद निगम, मंडल, प्राधिकरण और अन्य जगहों भी सियासी नियुक्तियों की कवायद चल रही है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी टिकट देने से पहले दावेदार से ये परखेगी कि क्या उसे 51 फीसदी वोट मिल सकते हैं. क्योंकि बीजेपी का टारगेट हर विधानसभा क्षेत्र में 51 फीसदी वोट हासिल करना है. दावेदारों से ये पूछा जाएगा कि आपको टिकट देने का क्या आधार होना चाहिए. बीते 5 साल में आपने क्षेत्र में ऐसा क्या किया, जिससे जीत की 100 फीसदी गारंटी है.