भोपाल। क्या राजनीतिक सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ वोट की गारंटी हो सकती है. इस सवाल की ऊंगली थामे बीजेपी की जन आशीर्वादय यात्रा को परखा जा रहा है. एमपी के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नेताओं की नुमाइंदगी में निकल रही ये यात्राएं क्या जनता के बीच असर डाल पा रही हैं. क्रिक्रेट टीम के अंदाज में उतरे 12 नेताओं के चेहरे में कौन सा चेहरा है, जिसे जनता देखना सुनना चाहती है. किसका तिलिस्म टूटा किसके जादू का असर बरकरार है. कौन से नए नारे बीजेपी गढ़े हैं. कौन अब बेअसर हुआ है. बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा क्या बीजेपी के लिए पांचवी बार एमपी में सत्ता की राह तैयार कर पाएगी. क्या वजह है कि बाकी नेताओं के मुकाबले सिंधिया और शिवराज का क्रेज जनता में ज्यादा है.
यात्रा में नौजवान से ज्यादा महिलाएं: बीजेपी के जनआशीर्वाद रथ पर भले एक साथ एक दर्जन नेताओं की तस्वीरे हों, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इन रथों के आगे पीछे जुटने वाली भीड़, शिवराज सिंह चौहान को देखने ही जुटती है. लाड़ली बहना योजना ने इस अपने नेता के लिए दीवानगी में इजाफा किया है. इस बार रथों पर सवार नेता को देखने नौजवानों से ज्यादा महिला वोटर खड़ी दिखाई देती हैं. कुछ जगह भले ये मामला प्रायोजित भी हो, लेकिन अधिकांश जगह महिलाएं खुद पहुंचती है. सोनकच्छ में मिली संगीता उन्हीं में से है, जो भीड़ में धक्के खाते हुए भी सिर्फ इस जिद में आगे तक आई है कि उसे मामा मुख्यमंत्री को धन्यवाद कहना है.
यात्रा में बजता है चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा: बीजेपी भी उस नब्ज को थाम कर इन यात्राओं में आगे बढ़ी है. लिहाजा रथ में फिल्मी गाना चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा... रह रह कर चलता है. बीजेपी का पूरा जोर लाड़ली बहना पर है. गाना रोककर केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर जब नुक्कड़ जैसी सभा में 60-70 लोगों की भीड़ में जब भाषण सुनाते हैं, तो उसमें सारी किसान निधि से लेकर लाड़ली बहना, बुजुगों की पेंशन और तीर्थ दर्शन तक हर उस योजना का उल्लेख होता है, जिसके जरिए सरकार ये दावा करती है कि वो जनता को मुफ्त सौगात पहुंचा रही है.
नरेंद्र सिंह तोमर भी करते हैं शिवराज का जिक्र: संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी जनता जो सुनना चाहती है, वही सुनाते हैं. उनके भाषण में शिवराज सिंह चौहान का जिक्र कई बार आता है. वो पूछते हैं कि कभी हिसाब लगाया किसान सम्मान निधि लाड़ली बहन योजनाओं के सहारे सरकार आपके खाते में कितने रुपए पहुंचा रही है. बीजेपी के बाकी नेताओं के मुकाबले सिंधिया और शिवराज की यात्राओं मे भीड़ ज्यादा जुटती है. उन्हें सुनने के साथ उन्हें देखने और मिलने का भी क्रेज लोगों में बरकरार है.
बदली बदली बीजेपी, यात्रा में लक्जरी गाड़ियों का काफिला: जिस गांव से बीजेपी की जन आशीर्वादय यात्रा गुजरती है, ये अहसास हो जाता है कि ये उस पार्टी की यात्रा है, जो पिछले 18 सालों से प्रदेश की सत्ता में है. रथ के पीछे हर क्षेत्र में लक्जरी गाड़ियों का बड़ा काफिला होता है. इनमें कुछ प्रादेशिक स्तर के नेता यात्रा प्रभारी के साथ पार्टी कोटे की गाड़ी और उसके बाद स्थानीय नेताओं का रेला होता है. लेकिन एक लकीर दिखती है....तरक्की की तस्वीर रथ यात्रा और उसके काफिले में दिखाई देती है...लेकिन क्या उसके किनारों की जिंदगी बदल पाई.
हालांकि बारी बारी भाषण को खड़े होते नेता सिर्फ इसी एक लाईन पर बात करते हैं और बताते हैं कि बीजेपी की सरकार ने आम आदमी की जिंदगी को कैसे बदला है. डबल इंजन की सरकार कैसे दिल्ली से भोपाल तक तरक्की का सूरज लेकर आई है. नाथूलाल आष्टा में बरसों से ठेला लगाते हैं. उन्होंने कई चुनाव देखे हैं. कहते हैं, अभी तो टेम है, लेकिन चुनाव का माहौल नहीं बन पा रहा है. मैं नरेन्द्र सिंह तोमर के भाषण के बाद पूछती हूं, नेता जो कह रहे सही है क्या....नाथूलाल कहते हैं सही होगी अपन तो ठेला ही लगा रए बीसियों साल से.
मामा के लिए महिलाएं मैदान में: सीहोर में एक पूरे मंच पर महिलाएं हैं. मामा शिवराज को आभार का पोस्टर थामे हुए. ग्रामीण अंदाज में गीतों के सहारे सीएम शिवराज को लाड़ली बहना योजना के लिए आभार जताती हैं. बीजेपी कार्यकर्ताओं के सौजन्य से आए फूल लुटाती हैं. फूल पूरी यात्रा में बरसते हैं. स्थानीय नेता इसी बंदोबस्त में जुटे रहते हैं कि यात्रा जहां से भी गुजरे, वहां रथ पर फूल बरसाए जाएं. ये अलग बात कि रथ यात्रा वोट बरसाने की आस लिए निकल रही है.