भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 2023 शुरू होने से पहले ही दनादन घोषणाएं करना शुरू कर दिया है. पहली बड़ी घोषणा कि एमपी में कांग्रेस की सरकार बनते ही पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू किया जाएगा. ट्वीट कर कमलनाथ ने कहा कि शिवराज सरकार ने जो सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद की है, कांग्रेस की सरकार बनते ही उसे दोबारा बहाल किया जाएगा. बता दें कि 2003 के विधानसभा चुनाव में ये कर्मचारी ही थे, जिनकी नाराजगी के कारण दिग्विजय सिंह की सरकार गई थी और बीजेपी सत्ता में आई थी.
बड़े वोट बैंक को देखकर घोषणाएं : कमलनाथ द्वारा घोषणाएं भी वर्ग विशेष और बड़े वोट बैंक को फोकस रखते हुए की जा रही हैं. दूसरा ऐलान भी बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाला है. 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली की घोषणा. ये ऐलान भी कमलनाथ ने इस माह ही किया. शिवराज बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन करवा रहे हैं तो कमलनाथ ने वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाकर एक हजार रुपए करने का ऐलान भी कर दिया है. कमलनाथ की राजनीति का अंदाज ही यही है कि वे चुनाव से भी पहले इस आत्मविश्वास से पेश आते हैं कि मौजूदा सरकार का जाना तय है. 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी वे कहा करते थे कि अफसर ये जान लें कि आज के बाद कल भी आता है. ये तरीका है कमलनाथ का अपनी पार्टी का मनोबल बढ़ाने का.
आत्मविश्वास से भरा अंदाज : कमलनाथ अफसरों को निशाने पर लेते हैं लेकिन इशारा बीजेपी के बढ़े आत्मविश्वास को भी डिगाने का होता है. ये बताने का होता है कि कांग्रेस सरकार में आने की पूरी तैयारी किए बैठे है. कमलनाथ असल में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे. क्या कांग्रेस में जीत कमलनाथ से ही मुमकिन है. अब सवाल ये उठ रहा है कि कमलनाथ के इन सियासी दावों के पीछे की वजह क्या है. क्या कमलनाथ ने जिस वन मैन शो के भाव में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की कमान संभाली थी. ये कमलनाथ का हिडन मैसेज है कि पार्टी को कि एमपी में कांग्रेस की कहानी संगठन से सरकार तक उन्हीं पर ही खत्म होती है.
क्या एमपी में कमलनाथ का विकल्प नहीं है : कांग्रेस आलाकमान भले किसी एक चेहरे को प्रोजेक्ट करने के बजाए सामूहिक नेतृत्व की बात करें. लेकिन कमलनाथ अपनी घोषणाओं के जरिए बता रहे हैं कि एमपी में कांग्रेस के पास उनका विकल्प नहीं है. प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि एमपी में हर कांग्रेस कार्यकर्ता की ये आवाज़ है कि सीएम कमलनाथ ही बनें. वे एक कमिटेड लीडर हैं. जनता भी ये जानती है और जिन मुद्दों और वादों पर हमारी सरकार आई थी 15 महीने की सरकार में जो वादे ठीक तरीके से एड्रेस नहीं हो पाए. कमलनाथ उन्हीं वादों को पूरा करने की बात कर रहे हैं.