भोपाल। चुनावी साल में CM शिवराज सिंह चौहान जनता को खुश करने में जुटे हैं. अभी तक बिजली के बढ़े हुए बिल से जनता में गुस्सा है. लेकिन अब बिजली बिलों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बड़ा ऐलान कर दिया है. उन्होंने मंच से लोगों से पूछा कि मैंने सुना है आप लोगों के बिजली बिल बहुत ज्यादा आ रहे हैं. लोगों ने कहा हां मामा बहुत बढ़कर बिजली के बिल आ रहे हैं. तो मामा ने बिना देर किए एलान कर दिया कि ऐसे उपभोक्ता जिनके बिल बढ़े हुए आ रहे हैं, उनके बिजली बिल की वसूली स्थगित की जाती है. य़ह घोषणा सीएम ने बुंदेलखंड के नौगांव में जनदर्शन कार्यक्रम में की.
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पूरा मध्यप्रदेश एक परिवार है।
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मैं मुख्यमंत्री बनकर नहीं, भाई और बेटा बनकर सरकार चला रहा हूँ। pic.twitter.com/S4SIrraJ0e
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मुख्यमंत्री नहीं, बेटा बनकर सरकार चला रहा हूं: शनिवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बुंदेलखंड के नौगांव में जनदर्शन कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने मंच से कहा कि ''मुझे बताया गया है कि कुछ जगह पर बिजली के ज्यादा बिल आए हैं. आप चिंता मत करना, ऐसे बिजली उपभोक्ता जो केवल एक किलोवाट तक बिजली की खपत करते हैं, ऐसे उन सभी उपभोक्ताओं के बढ़े हुए बिजली बिल की वसूली स्थगित कर जांच की जाएगी और सभी बिलों को छोटा किया जाएगा.'' इस दौरान उन्होंने मंच से कहा कि ''पूरा मध्यप्रदेश एक परिवार है. मैं मुख्यमंत्री बनकर नहीं, भाई और बेटा बनकर सरकार चला रहा हूं.''
कमलनाथ भी कर चुके हैं ऐलान: इससे पहले पूर्व सीएम कमलनाथ बिजली बिलों को लेकर ऐलान कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि ''कांग्रेस इस साल के अंत में सत्ता में आती है तो राज्य में 100 यूनिट बिजली मुफ्त होगी और 200 यूनिट तक आधा शुल्क लिया जाएगा.'' पूर्व सीएम कमलनाथ ने नारा दिया '100 यूनिट तक माफ, 200 तक हाफ, शिवराज सरकार साफ.'
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कांग्रेस ने सरकार आते ही बिजली बिलों में राहत दी थी: 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने एमपी में कांग्रेस की सरकार बनते ही हर महीने 150 यूनिट तक के उपभोक्ताओं से शुरुआती 100 यूनिट के लिए एक रुपये प्रति यूनिट का शुल्क लिया था. वहीं अगले 50 यूनिट की कीमत मौजूदा दरों के हिसाब से ली जाने लगी थी. 150 यूनिट से अधिक उपभोग करने वालों से मौजूदा घरेलू बिजली दरों के अनुसार ही शुल्क लिया जा रहा था.
एससी-एसटी उपभोक्ता को हर माह 25 रुपए देने पड़ते थे: वहीं, कमलनाथ सरकार ने एससी और एसटी जाति के लोगों को बड़ी राहत दी थी. 30 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने पर 25 रुपए हर महीने देने होते थे. उन्हें चार महीने में एक बार बिल भेजा जाता था. लेकिन बीजेपी सरकार ने आते ही वो योजना बंद कर दी थी.