भोपाल। क्या बीजेपी हाईकमान ने गुजरात मॉडल को एमपी में लागू करने की तैयारी कर चुका है. क्या जीरो एंटी इन्कंबेंसी का गुजरात फार्मूला एमपी में कारगर हो पाएगा. आरएसएस, बीजेपी संगठन और सरकार के फीडबैक में 18 साल से एमपी की सत्ता पर काबिज बीजेपी पर क्या वाकई एंटी इन्कंबेंसी इस बार व्यापक असर दिखा सकती है.क्या लंबे समय से सत्ता के सारथी बने मंत्रियों और विधायकों को बदले बगैर मुश्किल हो सकती है, 2023 में बीजेपी की जीत की राह. (Buoyed gujarat victory bjp fears anti incumbency) (know what is plan of the party)
क्या एमपी में गुजरात फार्मूले की पटकथा तैयार हो रही हैः गुजरात में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद जानकारी मिल रही है कि पार्टी का हाईकमान इसी फार्मूले को 5 राज्यों में लागू कर सकता है. जाहिर है इसमें मध्यप्रदेश भी शामिल है. मध्यप्रदेश प्रमुखता से इसलिए है कि एंटी इकंमबेंसी का असर 2018 के विधानसभा चुनाव में ही दिखाई दे चुका था. जब एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से 109 सीटें बीजेपी के खाते में आई थी. और 114 सीटें जीतकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. राजनीतिक जानकार ये मानते हैं कि जीत का अंतर भले कम हुआ हो. लेकिन जनता के सिर से बीजेपी की सरकार का तिलिस्म तो पांच साल पहले ही टूट गया था. अब 2023 में दूसरी चुनौती है कि बीजेपी में नई बीजेपी का आगमन. सिंधिया गुट के बीजेपी में विलय के बाद अब बीजेपी में ही दो धड़े बन गए हैं. जनता से पहले कार्यकर्ताओं में असंतोष दिखी दे रहा है. कई बार ये असंतोष सत्ता के समझौते में आए नए नेताओं को लेकर भी है. माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान इन सारे पहलूओं पर गौर करते हुए चुनावी साल में गुजरात फार्मूले पर कुछ सख्त फैसले ले सकती है. (MP assembly election 2023)
क्या जल्द हो सकती है बीजेपी में बड़ी सर्जरीः पार्टी के अपने इंटरनल सर्वे ये बता चुके हैं कि इस बार एंटीइं इन्कंबेंसी 2023 में बीजेपी की सत्ता की राह मुश्किल कर सकती है. 15-20 सालों से लगातार एक सीट से चुनाव लड़ रहे कई कद्दावर नेताओं की सीट पर भी संकट है. और उन विधायकों की राह भी आसान नहीं जिन्होंने 2020 में बीजेपी में आने के बाद से ही सीधे पार्टी सत्ता देखी है. आलम ये है कि सिंधिया समर्थक मंत्री सबसे ज्यादा विवादित दिखाई दे रहे हैं. माना ये जा रहा है कि जिनको लेकर क्षेत्र में ही विरोध है. ऐसे 4 दर्जन से ज्यादा सिटिंग MLA का पत्ता काट सकती है पार्टी. (Can there be a major surgery in BJP soon)
जीत के लिए MP में पार्टी के कई मंत्रः बीजेपी ने एंटी इन्कंबेंसी को भांपते हुए बूथ स्तर तक पार्टी की मजबूती के लिए कोशिशें शुरु कर दी हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कमान संभालते ही 64 हजार बूथों का डिजिटिलाइजेशन किया. ये निर्देशित भी किया गया कि मंत्रियों समेत सारे नेता 10 दिन एक बूथ पर गुजारेंगे. प्रयोग ये भी किया गया कि जिला अध्यक्ष पचास की उम्र के भीतर हो. मंडल अध्यक्ष 35 बरस के भीतर के ही चुने गए हैं. जिस आदिवासी वोटर के जनादेश बदलने से 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा था. पार्टी में उसी आदिवासी पर फोकस करके कार्यक्रम तैयार किये जा रहे हैं. शिवराज सरकार में पेसा एक्ट लागू करने के बाद पार्टी स्तर पर उस एक्ट को समझाने के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. सीएम शिवराज लगातार सरकार की छवि चमकाने उसे सख्त दिखाने के लिए मंच से कड़े फैसले ले रहे हैं. युवा महिला वोटर पर पार्टी का खास फोकस है. हिंदुत्व के कार्ड पर भी पीछे नहीं है पार्टी. (Several mantras of the party in MP for victory)
राजनीतिक परिस्थिति हर राज्य की अलगः पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा कहते हैं, कि हर राज्य की राजनीतिक परिस्थिति अलग होती है. और उसी के हिसाब से किसी भी राज्य में पार्टी चुनावी रणनीति तय करती है. निश्चित रूप से तय पार्टी हाईकमान को ही करना है. लेकिन गुजरात और एमपी की राजनीतिक परिस्थितियां पूरी तरह एक जैसी नहीं है. लगातार एक ही पार्टी की सत्ता में एंटी इंकमबेसी के हालात बनते हैं. लेकिन ये वही मध्यप्रदेश है जिसने एंटी इंकमबेंसी के उलट नतीजे लगातार 3 चुनावों में दिए हैं. (Political situation differs from state to state)