भोपाल। 2023 के विधानसभा चुनाव में चौंका रही बीजेपी का चौका माना जाए क्या इसे...हमेशा उम्मीदवारों के एलान में वेट एण्ड वॉच पर चलने वाली पार्टी ने चुनाव की तारीखों के एलान के बहुत पहले 39 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. इसमें ज्यादातर सीटें वो हैं, जो कांग्रेस का गढ़ और बीजेपी के लिए लंबे समय से कमजोर कड़ी है. सवाल ये है कि काफी पहले किया गया 39 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा आखिर पार्टी की किस रणनीति का हिस्सा है. उम्मीदवार को चुनाव की तारीख तक जमीन मजबूत करने का समय दिया गया है. हारी हुई सीटों पर पार्टी की स्थिति मजबूत करने का दांव है ये या असंतोष भी मतदान की तारीख तक ना पहुंचे, इसलिए समय से पहले उम्मीदवार उतार दिए गए हैं कि विरोध भी समय रहते संभाल लिया जाए. बाकी बीजेपी की ये फुर्ती बता रही है कि अबकि बार 200 पार के नारे देने वाली पार्टी किसी ओवह कॉन्फिडेंस में नहीं है.
उम्मीदवारों के एलान में बढ़त क्या असर दिखाएगी: विधानसभा चुनाव में अब तक बीजेपी का स्टाइल गेंद देखकर बल्ला उठाने का रहा है. लेकिन इस लिहाज से देखें तो इस बार के चुनाव में पार्टी ने अपनी परिपाटी से अलग उदाहरण पेश किया है. ये पहली बार है कि चुनाव के दो महीने पहले बीजेपी ने 39 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. हालांकि रणनीति के तौर पर देखें तो इन 39 सीटों में से कमोबेश सभी कांग्रेस का हाथ थामे हुए हैं. पहले मैदान बनाओ फिर करो जीत की तैयारी क्या इसी मोड में है बीजेपी. क्यों पहले कांग्रेस की जड़े उखाड़ना है और फिर अपनी जड़े जमानी हैं. भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट मोदी लहर में भी कांग्रेस का हाथ थामे रही. मध्य विधानसभा सीट में परिवर्तन होते रहे हैं, लेकिन 2018 में ये सीट कांग्रेस के कब्जे में चली गई थी. हालांकि यहां से बीजेपी के पूर्व विधायक ध्रुवनारायण सिंह बीते पांच साल से तैयारी कर रहे थे. आलोक शर्मा उत्तर भोपाल से एक बार पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार उसी इलाके के हिंदू वोटर के ध्रुवीकरण के लिहाज से उन्हें फिर मौका दिया गया है. इसी तरह कसरावद से भी आत्माराम पटेल को मौका दिया गया है, जो पार्टी के पुराने नेता हैं. एक तरीके से देखें तो पार्टी ने अपने पुराने चावलों पर इस बार भरोसा जताया है.
आकांक्षी सीटों पर है सबसे ज्यादा असंतोष: पिछोर से प्रीतम लोधी, सुमावली से एंदल सिंह कंसाना, छतरपुर से ललिता यादव, पथरिया से लखन पटेल ये वो सीटें हैं जहां कांग्रेस से पहले बीजेपी को पार्टी के असंतुष्ट नेताओं से निपटना है. कमोबेश यही स्थिति भोपाल उत्तर और मध्य सीट पर भी है. मध्य सीट पर तो दावेदारों की लंबी कतार रही है. चुनौती ये है कि चुनाव की तारीख से पहले ये उम्मीदवार और पार्टी इन सीटों पर बढ़े असंतोष को संभाल पाए. बालाघाट की बैहर विधानसभा में एसटी सीट में भगत सिंह नेताम को टिकट दी गई है. भगत सिंह नेताम लगातार दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं. हालाकि यहां से बीजेपी के पास कोई चेहरा ही नहीं था. उधर लांजी में राजकुमार कर्राहे को उम्मीदवार बनाया गया है. ये नया चेहरा हैं पहला चुनाव लड़ेंगे. हालांकि यहां रमेश भटेरे मजबूत दावेदार थे.
बीजेपी के इतिहास में ये पहला प्रयोग: वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं बीजेपी की राजनीति के इतिहास में पार्टी ने ऐसा प्रयोग पहली बार किया है. कांग्रेस में तो ये चर्चा होती ही रह गई कि वे कमजोर सीटों पर उम्मीदवारों की सूची पहले जारी करेंगे. लेकिन बीजेपी ने तो ये एलान कर भी दिया. इनमें ज्यादातर वो उम्मीदवार हैं, जो अभी से असंतोष को संभाल सकते हैं. उनको पर्याप्त समय दिया गया है. बीजेपी का ये प्रयोग इस बात का संकेत भी है कि पार्टी इन चुनावों को लेकर किसी आत्मविश्वास में नहीं है. चुनाव कठिन है एक तरीके से ये पार्टी मंजूर कर रही है.