भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी प्रदेश की शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है. भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद 19 सिंतबर से 5 चरणों में संविधान बचाओ, देश बचाव यात्रा शुरू करने जा रहे हैं. भीम आर्मी की राजनीतिक शाखा आजाद समाज पार्टी जय, ओबीसी महासभा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने जा रही है. आजाद समाज पार्टी जल्द ही सभी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. चंद्रशेखर आजाद शिवराज सरकार को बेरोजगारी, दलित-आदिवासी उत्पीड़न जैसे मामलों को लेकर घेरेगी.
5 चरणों में निकाली जाएगी यात्रा: भीम आर्मी प्रदेश में 5 चरणों में अपनी संविधान बचाओ देश बचाओ यात्रा निकालने जा रही है. यात्रा का पहला चरण 19 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. जो 23 सितंबर तक चलेगा. यात्रा में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद शामिल होंगे. आजाद समाज पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रूपेश केन ने बताया कि "यात्रा की शुरुआत बाबा साहब आंबेडकर की जन्म स्थली महू से 19 सितंबर को शुरू होगी और सांवेर विधानसभा पहुंचेगी. जहां सभा की जाएगी. 20 सितंबर को घट्टिया विधानसभा में पैदल मार्च और महिदपुर में सभा की जाएगी. 21 सितंबर को आगर में पैदल मार्च और सुसनेर में सभा की जाएगी. 22 सितंबर को सीतामऊ में पैदल मार्च और सभा की जाएगी. 23 सितंबर को जावरा में इस यात्रा का समापन किया जाएगा. इसके बाद यात्रा का दूसरा चरण शुरू होगा. इस यात्रा के दौरान प्रदेश के दलित, शोषित वंचितों की आवाज को बुलंद किया जाएगा. प्रदेश में दलित आदिवासियों पर जमकर अपराध हो रहे हैं, इसको लेकर लोगों की समस्याओं को चंदशेखर आजाद जानेंगे.
सभी 230 सीटों पर होगी घेराबंदी: उधर भीम आर्मी की राजनीतिक संगठन आजाद समाज पार्टी जय, ओबीसी महासभा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आदि के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है. पार्टी इन सभी दलों के साथ मिलकर सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है. एक तरह से मध्यप्रदेश में भीम आर्मी तीसरे मोर्चा की मुख्य धुरी बनकर उभर सकती है. तीसरे मोर्चें ने आकार लिया तो आगामी चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को दलित और आदिवासी बहुल करीब 82 सीटों पर कड़ी चुनौती मिल सकती है.
भोपाल में कर चुकी शक्ति प्रदर्शन, नजर 123 सीटों पर: भीम आर्मी का दलित वर्ग के युवाओं में आकर्षण बढ़ रहा है. भीम आर्मी ने चुनावी शंखनाद इसी साल फरवरी माह में बड़े शक्ति प्रदर्शन के साथ किया था. आजाद समाज पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रूपेश केन के मुताबिक भीम आर्मी प्रदेश में दलितों की आवाज बनकर उभरा है और इसका असर आगामी चुनाव में दिखाई देगा. वैसे देखा जाए तो भीम आर्मी की नजर प्रदेश की 35 अनुसूचित जाति और 47 आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर है. इसके अलावा 41 सामान्य सीटों पर एससी-एसटी वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. भीम आर्मी का पिछले समय में जिस तरह का प्रसार हुआ है. वह अगर वोट में बदला तो बसपा और सपा जैसे संगठनों को इसका नुकसान हो सकता है. वहीं यह गठजोड़ कई सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का चुनावी गणित बिगाड़ेंगे.