भोपाल। मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की जीत हार की प्रस्तावना साधु संतों के मठों और दरबारों में लिखी जाएगी क्या? बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के दरबारों में उमड़ती भीड़ का असर ये कि अब राजनेता भी धाम में माथा टेकने पहुंच रहे हैं. पूर्व सीएम कमलनाथ दरबार में माथा टेक आए हैं. विकास यात्रा के साथ सीएम शिवराज का पहुंचना भी प्रस्तावित है.अब तक धर्म के विषयों पर होती थी सियासत, लेकिन अब धर्म गुरु सियासत को मुद्दा दे रहें हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है. एमपी से उठा सनातन बोर्ड का मामला इसकी मिसाल कहा जा सकता है. वहीं जनजातियों में जागरुकता के लिए देशाटन पर निकले सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज ने भी सनातन बोर्ड की मांग उछाल दी है.
बागेश्वर सरकार की राजनीति में एंट्री! क्यों सियासत और हिंदू राष्ट्र पर लगातार कर रहे बयानबाजी
एमपी की राजनीति और धीरेंद्र शास्त्री का दमः बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र शास्त्री के धर्म महाकुंभ में भक्तों की कतार तो स्वाभाविक है. साथ ही साथ उनके दरबार में मध्यप्रदेश की राजनीति के दिग्गज भी पहुंच रहे हैं. धीरेंद्र शास्त्री के साथ जुड़ी लाखों की भीड़ क्या इसकी वजह है. सवाल ये है कि धीरेंद्र शास्त्री किसे अपना आशीर्वाद देंगे. हालांकि आशीर्वाद लेने के मामले में कमलनाथ बाजी मार गए, क्योंकि वह पहले धर्म सभा में पहुंच गए. जानकारी के मुताबिक विकास यात्रा के साथ सीएम शिवराज का भी बागेश्वर धाम पहुंचने का कार्यक्रम है. उधर एमपी में संगठन और सरकार में एकदम साइडलाइन चल रही उमा भारती जो कि खुद साध्वी हैं. बागेश्वर धाम के सहारे संभावनाएं देख रही हैं. उन्होंने ट्वीट करके धीरेंद्र शास्त्री को अपने बेटे जैसा बताया था. पिछले दिनों विधायकों ने अपने अपने इलाके में बागेश्वर धाम की कथा करवाई थी. अब नेताओं का बागेश्वर धाम में माथा टेकना बता रहा है 2023 के विधानसभा चुनाव में सियासी दलों की अहम पर्चियां बागेश्वर बाबा के दरबार से भी जा सकती हैं.
साधू उठा रहे हैं सियासी मुद्देः आमतौर पर होता ये आया है कि राजनीतिक दल अपने हिसाब से साधु संतो का इस्तेमाल अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए करते रहे हैं. लेकिन अब सीन बदल रहा है. जागरूक हुए साधु संत भी राजनीति को दिशा दे रहे हैं. बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री धर्मान्तरण के मुद्दे को संभाले हैं. हिंदुओं की घर वापिसी के साथ वो पूरे देश की चर्चा में आ चुके हैं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने धर्म सभा के साथ भी हिंदू राष्ट्र की हुंकार भरी है. असल में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कारों को लेकर जो बवाल खड़ा हुआ उसने उन्हें और चर्चित कर दिया.
संतों ने उठाई सनातन बोर्ड की मांगः जनजातियों के जागरण का लक्ष्य लेकर देशाटन पर निकले संत सद्गुरु ऋतेश्वर महाराज जब बीजेपी शासित राज्य की सीमा में आए तो उनके बयान भी सियासी हो गए. उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की नीति तुष्टिकरण की रही है. उन्होंने कहा कि देश में 90 फीसदी सनातन धर्मी हैं. बाकी दस फीसदी वो हैं जो मदरसे में पढ़ते हैं. पांच फीसदी वो हैं जो कान्वेट में जाते हैं. महाराज का सवाल था कि देश की संस्कृति की रक्षा करने हिसाब से कौन सा विद्यालय है. ऋतेश्वर महाराज की मांग है कि सनातन बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए कि जिससे भारतीय संस्कृति और संस्कार से आने वाली पीढ़ियां शिक्षित हो सकें.