भोपाल। देश में करीब 70 साल चीतों की वापसी होने जा रही है. अफ्रीका से आने वाले इन चीतों का भारत में नया आशियाना मध्य प्रदेश होगा. यहां कूनो- पालपुर के जंगल में चीतों को रखा जाएगा. दक्षिण अफ्रीका से आने वाले ये चीते नबंवर के आखिर तक यहां पहुंच जाएंगे. चीतों के आने से मध्य प्रदेश के टूरिज्म की चमक कई गुना बढ़ जाएगी. मध्यप्रदेश की पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी ऐसी ही उम्मीद जता रही हैं.
रणथंभौर-कूनो- पालपुर को मिलाकर बनेगा टूरिज्म सर्किट
आपको बता दें कि कूनो-पालपुर की सीमा राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगती है. इसे देखते हुए राजस्थान आने वाले देसी और विदेशी पर्यटकों को मध्य प्रदेश तक लाने के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार कूनो पालपुर और रणथंभौर को टूरिज्म सर्किट बनाने जा रही हैं. ऐसा होने से मध्यप्रदेश का कूनो पालपुर नेशनल पार्क एक बड़ा पर्यटन का केंद्र बन जाएगा. इसके साथ ही देश में 70 साल बाद चीतों के पालपुर- कूनो में आने से बड़ी संख्या में पर्यटक इनका दीदार करने यहां पहुंचेंगे.
अधिकारियों के बीच हो चुकी है चर्चा
टूरिज्म को बूस्टर मिलने की संभावना को देखते हुए राजस्थान के सवाई माधोपुर के कलेक्टर राजेंद्र किशन मध्यप्रदेश के शिवपुरी पहुंचकर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, वन्य जीव और पर्यटन क्षेत्र के एक्सपर्ट्स के अलावा टूर एंड ट्रेवल्स ऑपरेटरों से भी चर्चा कर चुके हैं. इसके बाद शिवपुरी कलेक्टर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल जल्द ही सवाई माधोपुर जाएगा. इसके बाद दोनों कलेक्टर संबंधित राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप पर कूनो और रणथंभोर को मिलाकर एक टूरिज्म सर्किट डिवेलप करने के संबंध में चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि सहमति बनने के बाद जल्द ही इस सर्किट को डिवेलप करने का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेजा जा सकता है।
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नवंबर तक आएंगे 10 चीते
कूनो पालपुर में अफ्रीकी चीतों को बसाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. माना जा रहा है कि नवंबर माह के आखिर तक यहां करीब 10 जीते लाए जाएंगे. चीतों को लाने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण अपनी सहमति पहले ही दे चुका है. भारत सरकार भी चीतों को बसाने के लिए की जाने वाली प्रारंभिक तैयारियों के लिए 14 करोड रुपए दे चुकी है. दक्षिण अफ्रीका से लाए जा रहे इन चीतों के रहन-सहन और उनके आवास का बारीकी से अध्ययन करने के लिए वन विभाग की एक टीम जल्दी दक्षिण अफ्रीका जाने वाली है. यह टीम दक्षिण अफ्रीका में रुक कर चीतों के व्वहार और आवास से संबंधित जानकारियां लेगी और चीतों के साथ ही भारत वापस लौटेगी.
अफ्रीकी एक्सपर्ट ने चुना कूनो पालपुर
कभी मध्यप्रदेश की धरती पर भी चीते नजर आते थे. लेकिन 1950 के दशक के बाद एशियाई चीते विलुप्त हो गए और उसके बाद से चीतों को भारत में लाने की तैयारी चल रही थी जो अब जाकर पूरी होती दिख रही है. इससे पहले अफ्रीकन और भारत के विशेषज्ञों ने दौरा कर यहां के हालात का जायज़ा लिया था. उन्हें चीतों के लिए कूनो पालपुर का पर्यावरण सबसे ज्यादा उपयुक्त लगा. विशेषज्ञों ने कूनो पालपुर में चीतों को बसाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं.