भोपाल। 5वीं और 8वीं बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट सोमवार को घोषित हो गया है. इसको लेकर मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने पास होने वाले छात्रों को बधाई दी है. इसके साथ ही उन्होंने असफल होने वाले बच्चों को आगे हौसला रखकर पूरक परीक्षा देने की सलाह दी है. मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि "बोर्ड पैटर्न पर यह परीक्षाएं हर साल कराई जाएंगी जिससे 10वीं का बेस मजबूत होगा."
अब ये एग्जाम लगातार जारी रहेंगे: सोमवार को 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट की घोषणा स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने की. इसके बाद मंत्री परमार से ETV Bharat ने बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि "मध्यप्रदेश में 10वीं का रिजल्ट कमजोर होता जा रहा था. ऐसे में उसके सुधार के लिए 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाओं की जरूरत थी. इससे बच्चों का बेस एक ओर मजबूत होगा तो वहीं दूसरी ओर उन्हें किस तरह से बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होना है इसका मानसिक आधार भी बनेगा. यह पैटर्न अब आगे भी लगातार जारी रहेगा."
पिछले एग्जाम के मुकाबले गिरावट दर्ज: 2007 के बाद पहली बार बोर्ड परीक्षा के पैटर्न पर 5वीं और 8वीं की यह परीक्षाएं हुई हैं. इस बार की 5वीं-8वीं की परीक्षाओं में पिछले एग्जाम के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है. 5वीं में जहां 7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है तो वहीं 8वीं में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है. इस पर मंत्री का कहना है कि "ये बोर्ड एग्जाम बहुत सालों बाद हुए हैं इसलिए इस पैटर्न से बच्चे वाकिफ नहीं थे. इसी के कारण इस बार का रिजल्ट ऐसा आया है मगर अगली बार इसमें और सुधार होने की उम्मीद है. हमने इस बार अलग-अलग जिलों में भी कॉपी चेक होने के लिए भेजी थी जिससे यह स्थिति निर्मित हुई है."
मदरसों में भी बोर्ड परीक्षाएं: बता दें कि 5वीं-8वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर प्राइवेट स्कूल विरोध भी कर रहे थे और लगातार कोर्ट की शरण में थे. इस पर मंत्री परमार का कहना है कि "भले ही इसमें व्यावधान उत्पन्न हुआ हो लेकिन हमने निश्चित किया था कि परीक्षाएं हम किसी भी तरह कराएंगे और यह हुई हैं. इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने अब आए हैं. इस बार मदरसों में भी बोर्ड परीक्षाएं हमने कराई थीं और उसके भी सकारात्मक परिणाम आए हैं. इसका प्रतिशत भी अलग से हमने दिया है, इससे साफ है की यहां के बच्चे भी बेहतर पढ़ाई कर सकें."
64 हजार बच्चों का डाटा तैयार: राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धन राजू ने बताया कि "इस बार बच्चों के मार्क्स का मूल्यांकन नए सिरे से किया गया है. हर प्रश्न के उत्तर की चेकिंग अलग-अलग तरीके से की गई है. प्रश्न 1 के जवाब में कितने बच्चों ने सही उत्तर दिया है और कितने बच्चे किस तरह से उस प्रश्न को हल कर पाए हैं इसका पूरा डाटा तैयार किया जा रहा है. 64 हजार बच्चों पर यह डाटा तैयार किया गया है, जिसे आने वाले दिनों में स्कूल और माता-पिता को प्रोवाइड किया जाएगा जिससे बच्चों का बेहतर मूल्यांकन हो सके."
बच्चों में हीन भावना न हो पैदा: इन परीक्षाओं में बच्चों को ग्रेडिंग के हिसाब से मार्कस दिए गए हैं. जबकि मेरिट लिस्ट इन कक्षाओं की जारी नहीं की गई है. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि "बालिकाओं ने एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन बालकों को भी आगे बढ़ने की जरूरत है. वहीं, इस बार ग्रेडिंग सिस्टम के हिसाब से बच्चों को ग्रेड दिए गए हैं. मगर उनको मेरिट के आधार पर नहीं दर्शाया गया है, क्योंकि नई शिक्षा नीति के तहत ऐसा मना गया है की उससे बच्चों में एक हीन भावना पैदा होती है."