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वन मंत्री ने टेरिटोरियल फाइट को बताया बाघों की मौत की वजह, एमपी में सबसे ज्यादा हो रहे हैं शिकार

प्रदेश में बाघों की मौत पर प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार का कहना है कि प्रदेश में बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में ज्यादा हुई है.

बाघों की मौत
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Published : Jul 14, 2019, 11:56 PM IST

भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने वाले मध्यप्रदेश में बाघों के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है, जिसमें 3 बाघों का शिकार किया गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 7 सालों में प्रदेश में 41 बाघों के शिकार किए गए हैं.

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा इलाके शिकारियों के लिए बेहद आसान बने हुए हैं.

बाघों की मौत

पिछले 7 सालों की स्थिति देखी जाए तो वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है. 3 बाघों का शिकार किया गया है. इसी तरह वर्ष 2017 में 23 बाघों की मौत हुई थी, जिसमें से 14 बाघों का शिकार किया गया था. हालांकि शिकार से ज्यादा बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हुई है. सबसे ज्यादा बाघों की आपसी लड़ाई पेंच टाइगर रिजर्व कान्हा नेशनल पार्क बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने बाघों की आपसी लड़ाई रोकने के लिए कोई प्लान नहीं बनाया.


सरकार बाघों के शिकार को रोकने के लिए सरकार कई दावे करती रही है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में बाघों के शिकार की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाया जा सका है. हालांकि जब इसको लेकर प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में ज्यादा हुई है.

भोपाल। टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करने वाले मध्यप्रदेश में बाघों के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं. वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है, जिसमें 3 बाघों का शिकार किया गया है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 7 सालों में प्रदेश में 41 बाघों के शिकार किए गए हैं.

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल, होशंगाबाद, पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा इलाके शिकारियों के लिए बेहद आसान बने हुए हैं.

बाघों की मौत

पिछले 7 सालों की स्थिति देखी जाए तो वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है. 3 बाघों का शिकार किया गया है. इसी तरह वर्ष 2017 में 23 बाघों की मौत हुई थी, जिसमें से 14 बाघों का शिकार किया गया था. हालांकि शिकार से ज्यादा बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हुई है. सबसे ज्यादा बाघों की आपसी लड़ाई पेंच टाइगर रिजर्व कान्हा नेशनल पार्क बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने बाघों की आपसी लड़ाई रोकने के लिए कोई प्लान नहीं बनाया.


सरकार बाघों के शिकार को रोकने के लिए सरकार कई दावे करती रही है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में बाघों के शिकार की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाया जा सका है. हालांकि जब इसको लेकर प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में ज्यादा हुई है.

Intro:टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त रहे मध्यप्रदेश में बाघों के सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है जिसमें 3 बाघों का शिकार किया गया है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट की माने तो बीते 7 सालों में प्रदेश में 41 बाघों के शिकार किए गए हैं। हालांकि जब को लेकर वन मंत्री उमंग सिंगार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा प्रदेश में बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हो रही है।


Body:नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भोपाल होशंगाबाद पन्ना, मंडला, सिवनी, शहडोल, बालाघाट, बैतूल, छिंदवाड़ा इलाके शिकारियों के लिए बेहद आसान बने हुए हैं। पिछले 7 सालों की स्थिति देखी जाए तो वर्ष 2018 में प्रदेश में 15 बाघों की मौत हुई है जिसमें तीन बाघों का शिकार किया गया है इसी तरह वर्ष 2017 में 23 बाघों की मौत हुई थी जिसमें से 14 बाघों का शिकार किया गया था वर्ष 2016 में 27 बाघों की मौत हुई थी जिसमें से 8 का शिकार किया गया था वर्ष 2015 में 15 बाघों की मौत में से पांच का शिकार हुआ था 2014 में 13 बाघों की मौत हुई थी जिसमें तीन बाघों का शिकार किया गया था। हालांकि शिकार से ज्यादा बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में हुई है सबसे ज्यादा बाघों की आपसी लड़ाई पेंच टाइगर रिजर्व कान्हा नेशनल पार्क बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने बाघों की आपसी लड़ाई रोकने के लिए कोई प्लान नहीं बनाया। बाघों के शिकार को रोकने के लिए सरकार कई दावे करती रही है लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में बाघों के शिकार की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाया जा सका है। हालांकि जब इसको लेकर प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंगार से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाघों की मौत टेरिटोरियल फाइट में ज्यादा हुई है।


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