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नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही! तीन लाख टन से ज्यादा धान खराब

जबलपुर, कटनी और बालाघाट में तीन लाख टन से ज्यादा धान खराब हो गई है. इसके पीछे नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही सामने आई है.

paddy spoiled
तीन लाख टन से ज्यादा धान खराब
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Published : Jun 17, 2021, 8:13 PM IST

भोपाल। सरकारी लापरवाही के चलते जबलपुर, कटनी और बालाघाट जिलों में रखा तीन लाख टन से ज्यादा धान खराब हो गई है. अब इसकी मिलिंग नहीं की जा सकती है, लिहाजा इसको नीलाम किए जाने की तैयारी हो रही है. नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही के कारण यह धान पिछले एक साल से खुले में रखा था. इसकी कीमत करीब 550 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

paddy spoiled
धान खराब

जानकारी के मुताबिक जबलपुर, कटनी और बालाघाट जिलों में वर्ष 2019-20 की धान को सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदा था. नागरिक आपूर्ति निगम ने इस धान के लिए कोई अनुबंध नहीं किया. जिसके चलते करीब 3 लाख टन धान का भंडारण गोदाम के बजाय खेतों और ओपन कैप में ही कर दिया था. निगम ने गोदामों में रखे धान को मिलर्स को दे दिया लेकिन खुले में रखा धान खराब हो गया.

स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया 30 जून तक, सिर्फ शिक्षकों के आने के निर्देश

मिलिंग क्षमता 35 हजार टन

प्रदेश में धान की खरीदी लगातार बढ़ रही है. लेकिन मिलिंग की क्षमता उतनी नहीं है. जानकारी के मुताबिक अधिकतम क्षमता 35 हजार टन प्रतिदिन है और इस वर्ष 37 लाख टन से ज्यादा खरीदी हुई है. पिछले चार वर्षों में इसमें करीब चार ढाई गुना की बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1810 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था.

जिम्मेदारी से बच रहे अधिकारी

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि हमारा काम संधारण का है और भंडारण की एजेंसी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन है. फिर कही कुछ धान खराब हुआ होगा तो हम इसको चैक करवाएंगे, पूरा धान खराब नहीं हो सकता है.

भोपाल। सरकारी लापरवाही के चलते जबलपुर, कटनी और बालाघाट जिलों में रखा तीन लाख टन से ज्यादा धान खराब हो गई है. अब इसकी मिलिंग नहीं की जा सकती है, लिहाजा इसको नीलाम किए जाने की तैयारी हो रही है. नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही के कारण यह धान पिछले एक साल से खुले में रखा था. इसकी कीमत करीब 550 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

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धान खराब

जानकारी के मुताबिक जबलपुर, कटनी और बालाघाट जिलों में वर्ष 2019-20 की धान को सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदा था. नागरिक आपूर्ति निगम ने इस धान के लिए कोई अनुबंध नहीं किया. जिसके चलते करीब 3 लाख टन धान का भंडारण गोदाम के बजाय खेतों और ओपन कैप में ही कर दिया था. निगम ने गोदामों में रखे धान को मिलर्स को दे दिया लेकिन खुले में रखा धान खराब हो गया.

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मिलिंग क्षमता 35 हजार टन

प्रदेश में धान की खरीदी लगातार बढ़ रही है. लेकिन मिलिंग की क्षमता उतनी नहीं है. जानकारी के मुताबिक अधिकतम क्षमता 35 हजार टन प्रतिदिन है और इस वर्ष 37 लाख टन से ज्यादा खरीदी हुई है. पिछले चार वर्षों में इसमें करीब चार ढाई गुना की बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1810 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था.

जिम्मेदारी से बच रहे अधिकारी

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि हमारा काम संधारण का है और भंडारण की एजेंसी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन है. फिर कही कुछ धान खराब हुआ होगा तो हम इसको चैक करवाएंगे, पूरा धान खराब नहीं हो सकता है.

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