भोपाल। प्रदेश में उसम भरी गर्मी से जल्द राहत मिलने जा रही है. मौसम विभाग के अनुसार, 10 जुलाई यानी शनिवार से यहां रिमझिम बारिश का सिलसिला शुरू हो जाएगा. इस दौरान प्रदेश में कहीं सामान्य तो कहीं भारी बारिश दर्ज किए जाने का अनुमान है. आगामी 24 घंटे में राज्य के सभी 10 संभागों में बारिश की संभावना जताई गई.
इन जिलों में बरसेंगे मेघ
मौसम विभाग के अनुसार, आगामी 24 घंटे में भोपाल, सागर, इंदौर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, शहडोल, होशंगाबाद, ग्वालियर और चंबल संभाग में हल्की से सामान्य बारिश की संभावना है. बता दें कि 10 जुलाई से 15 जुलाई के बीच शुरू होने जा रही बारिश को लेकर संभावना है कि लगातार पानी गिरने से नदी नाले उफान पर आ सकते हैं. ऐसे में लोगों को घर से बाहर निकलते वक्त काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
8 जुलाई से ही एक्टिव है मानसून
दरअसल, मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में भी कोई वेदर सिस्टम 8 जुलाई से ही एक्टिव है. हालांकि इससे पहले जरूर यहां मानसून शिथिल पड़ गया था. इसका कारण था कि मानसून ट्रफ हिमालय की तराई की तरफ बढ़ गया था. 8 जुलाई से बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने लगा. उम्मीद है कि 8 जुलाई से एक्टिव हुआ मानसून शनिवार से जमकर बरसना शुरू हो जाएगा.
मध्य प्रदेश में सामान्य मानसून 20 जून तक पहुंचता है, जो पिछले सालों की तुलना मे 10 दिन पहले सक्रिय हुआ है. मौसम वैज्ञानिक इसका कारण, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार सक्रिय हो रहे मानसून को मान रहे हैं. बता दें कि मानसून की घोषणा बादलों की स्थिति हवा और अन्य स्टेशनों पर होने वाली बारिश के साथ टर्फ के आधार पर की जाती है.
मौसम विभाग के अनुसार
मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के चलते 10 जुलाई से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में बारिश के लिए स्थितियां अनुकूल होने की संभावना है. बता दें कि केरल में दो दिन की देरी से पहुंचने के बाद मानसून देश के पूर्वी, मध्य और उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों में 10 दिन पहले ही पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद इसके आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहीं. मानसून कमजोर होकर रुक रुककर आगे बढ़ने लगा.
किस स्थिति में होती है सूखा की घोषणा
दरअसल, जब किसी इलाके या प्रदेश में जब पानी की उपलब्धता सांख्यिकीय जरूरत से कम हो जाती है, ऐसी स्थिति में ही सूखा की घोषणा की जाती है, या यूं कहें कि इसी स्थिति को सूखा कहते हैं. देश में वर्षा और जलवायु परिस्थितियों में उच्च अस्थायी और स्थानिक विविधताओं की वजह से अलग–अलग तीव्रता में लगभग हर वर्ष सूखा पड़ता है. देश के लगभग 60% इलाके में हर वर्ष अलग–अलग डिग्री के सूखे का खतरा बना रहता है.