भोपाल। प्रदेश में भीषण गर्मी के बाद एक बार फिर मानसून सक्रिय हो रहा है. बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम का असर यहां दिखने लगा है. हालांकि इंदौर वासियों को अभी बारिश के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है, क्योंकि शहर में अचानक से हवा की गति में वृद्धि दर्ज की गई है. वहीं बृहस्पतिवार शाम से ही मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बादल छाए रहे. साथ ही कुछ क्षेत्रों में हल्की बूंदा-बांदी भी देखने को मिली है. हालांकि, अगले 24 घंटे कहीं-कहीं जरूर हल्की बौछारें पड़ने के आसार हैं.
कहां हुई बारिश
मौसम विज्ञानियों अनुसार, यहां 10 जुलाई के बाद से यानी 11 जुलाई से झमाझम बारिश का सिलसिला शुरू हाेने का अनुमान है. प्रदेश में इस साल अब तक 169.7 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है.जो सामान्य बारिश से 16 फीसद ज्यादा है. बीते 24 घंटे में प्रदेश के बालाघाट, छिंदवाड़ा, दमोह, छतरपुर, मंडला, सिवनी, जबलपुर, सागर, कटनी, सीधी, ग्वालियर, रायसेन, मुरैना भोपाल, विदिशा, दतिया, गुना होशंगाबाद के अलग-अलग इलाकों में बारिश दर्ज की गई.
11 जुलाई से बारिश के आसार
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में 11 जुलाई से एक कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है. जिसके चलते 11 जुलाई से 17 जुलाई तक पूरे मध्यप्रदेश में बारिश के आसार है. वहीं, आगामी 12 से 15 जुलाई के बीच सामान्य से भारी बारिश हो सकती है.
इंदौर से क्यों रूठा है मानसून
वहीं, इंदौर में 6 साल बाद दूसरी बार 36 डिग्री तक तापमान पहुंच गया. मौसम विभाग का कहना है कि मानसूनी गतिविधियां में लगे ब्रेक के चलते तापमान में बढ़ोतरी हुई और इसका असर ग्वालियर ,इंदौर ,भोपाल जबलपुर और उज्जैन संभाग में भी कहीं-कहीं दिखा. मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, 11 जुलाई से इंदौर में बारिश की संभावना है. यहां बारिश के अनुकूल वातावरण भी बन रहा है. दरअसल, इंदौर में बारिश को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि यहां 40 से 45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं. ऐसे में अगर हवा की गति धीमी नहीं पड़ती है, तब शहर वासियों को हल्की बारिश से ही संतोष करना पड़ सकता है.
किस स्थिति में होती है सूखा की घोषणा
दरअसल, जब किसी इलाके या प्रदेश में जब पानी की उपलब्धता सांख्यिकीय जरूरत से कम हो जाती है, ऐसी स्थिति में ही सूखा की घोषणा की जाती है, या यूं कहें कि इसी स्थिति को सूखा कहते हैं. देश में वर्षा और जलवायु परिस्थितियों में उच्च अस्थायी और स्थानिक विविधताओं की वजह से अलग–अलग तीव्रता में लगभग हर वर्ष सूखा पड़ता है. देश के लगभग 60% इलाके में हर वर्ष अलग–अलग डिग्री के सूखे का खतरा बना रहता है.
जानें कब की जाती है मानसून की घोषणा
मध्य प्रदेश में सामान्य मानसून 20 जून तक पहुंचता है, जो पिछले सालों की तुलना मे 10 दिन पहले सक्रिय हुआ है. मौसम वैज्ञानिक इसका कारण, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार सक्रिय हो रहे मानसून को मान रहे हैं. बता दें कि मानसून की घोषणा बादलों की स्थिति हवा और अन्य स्टेशनों पर होने वाली बारिश के साथ टर्फ के आधार पर की जाती है.