भोपाल। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सुबह सात बजे से मतदान जारी है. बीजेपी कार्यालय में मतदान की मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. कंट्रोल रूम से चुनाव क्षेत्रों में नजर रखी जा रही है. कंट्रोल रूम को लेकर बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने बताया कि, 'कांग्रेस की गुंडागर्दी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने हर केंद्र पर सुरक्षा के इंतजाम किए हैं'.
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने बताया कि,'चुनाव के दौरान कांग्रेस बौखला जाती है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं होते और इसीलिए गुंडागर्दी पर उतारू हो जाती है. इसी को ध्यान में रखते हुए मतदान केंद्रों पर खास तैयारियां की गई हैं'. वहीं बीजेपी कार्यालय से भी इसकी मॉनिटरिंग की जा रही हैं.
बीजेपी कंट्रोल रूम में 50 से अधिक शिकायते आई
कंट्रोल रूम इंचार्ज राहुल कोठारी ने बताया कि, अब तक 50 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं और सभी शिकायतों को संज्ञान में लिया गया है आगे भी जो शिकायतें आएंगी उन पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी. सभी मतदान केंद्रों पर कंट्रोल रूम बनाए गए हैं. बीजेपी कार्यालय से भी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है, जहां से भी शिकायत आती है, उस पर तुरंत एक्शन लिया जाए.
28 सीटों के उपचुनाव में 12 मंत्रियों समेत 355 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी हुई है. उपचुनाव के नतीजों से ही मध्य प्रदेश की मौजूदा शिवराज सिंह चौहान सरकार की किस्मत का फैसला होगा. प्रदेश के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर उपचुनाव हो रहा है. सबसे ज्यादा फोकस ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 विधानसभा सीटों पर है.
बहुमत का समीकरण
राहुल लोधी के इस्तीफे के बाद कुल 230 सीटों में काग्रेस के 87 विधायक रह गए हैं, तो वहीं बीजेपी के कुल 107 विधायक हैं. 4 निर्दलीय, 2 बसपा और 1 सपा का विधायक है. बाकी की 29 सीटें फिलहाल खाली हैं, जिनमें से 28 पर उपचुनाव हो रहे हैं. जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, उसमें से कुल 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा की वजह से खाली हुई हैं, जो पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, तो वहीं दो सीटें कांग्रेस विधायकों और एक सीट बीजेपी विधायक के निधन से रिक्त हुई है. बीजेपी को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए मात्र नौ सीट जीतने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को 28 सीटों की जरूरत पड़ेगी.
ऐसे में अगर बीजेपी उपचुनाव में जीतती है, तो शिवराज सरकार स्थिर होगी, लेकिन अगर कांग्रेस 20 या उससे ज्यादा सीटें जीतती है, तो शिवराज सरकार मुश्किल में आ जाएगी. इससे एक बार फिर एमपी में कांग्रेस को सत्ता में वापसी का मौका मिलेगा.
एक नजर MP विधानसभा सीटों की स्थिति पर
पार्टी | 2020 (मौजूदा) | 2018 |
---|---|---|
बीजेपी | 107 | 109 |
कांग्रेस | 87 | 114 |
बसपा | 2 | 2 |
सपा | 1 | 1 |
निर्दलीय | 4 | 4 |
खाली सीटें | 29 | - |
कुल सीटें | 230 | 230 |
सरकार बनाने-बिगाड़ने की रस्साकशी
एमपी में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुतौनी है, शिवराज सिंह चौहान की सरकार बनाए रखने की. जाहिर है, शिवराज भी इसके लिए हर जतन कर रहे हैं और कमलनाथ की कोशिश है, बीजेपी को कम से कम सीटों पर समेटना. साथ ही अपने घर को संभालना, क्योंकि उपचुनाव के दौरान ही कांग्रेस के एक और विधायक ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली.
ऐसे में, अब 29 सीटें खाली हैं. बीजेपी के बड़े नेताओं का दावा है कि, अभी भी कांग्रेस के 4 MLA बीजेपी ज्वाइन करने के लिए तैयार हैं. वहीं कमलनाथ, दिग्विजय सिंह चुनाव प्रबंधन के माहिर खिलाड़ी हैं और रणनीति को धार देने में जुटे हैं. कमलनाथ ने कई सर्वे एजेंसियों का भी सहारा लिया है, ताकि जनता का मूड़ भांप सकें. कमलनाथ उपचुनाव में बीजेपी की सरकार गिराकर खुद को स्थापित करना चाहते हैं, वहीं सिंधिया और शिवराज के आगे सरकार बचाकर महाराज की महिमा और शिवराज को स्थापित करना है.