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6 महीने बाद भी नहीं मिला विधायकों को लैपटॉप, विभाग में पेंडिंग पड़ा है प्रस्ताव - विभाग में पेंडिंग पड़ा है प्रस्ताव

विधानसभा में चुनकर आए नए विधायकों को 6 माह बाद भी लैपटॉप नहीं मिल पाया है. 2008 से विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई है.

6 महीने बाद भी नहीं मिला विधायकों को लैपटॉप
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Published : Jul 3, 2019, 3:09 PM IST

भोपाल। वित्तीय आपातकाल से गुजर रहे मध्यप्रदेश की विधानसभा में चुनकर आए नए विधायकों को 6 माह बाद भी लैपटॉप नहीं मिल पाया है. 2008 से विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई है. 2013 के बाद से विधानसभा में प्रश्न भी ऑनलाइन लगाए जाना शुरू हो चुके हैं, लेकिन इस बार विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं. हालांकि विधानसभा सचिवालय का कहना है कि इसका प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग को भेज दिया गया है.

6 महीने बाद भी नहीं मिला विधायकों को लैपटॉप

मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्यों को 2008 से लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई थी. शुरुआत में विधायकों को इसके लिए 25-25 हज़ार के लैपटॉप दिए गए. जबकि पिछले बार यानी 2013 में 35 हजार रुपए के कीमत के लैपटॉप खरीदने के लिए पैसों का भुगतान सभी विधायकों को किया गया था. ताकि सभी विधायक अपनी पसंद से लैपटॉप खरीद सकें. लेकिन इस बार सरकार चुनने के 6 महीने बाद भी विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं.


विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर संसदीय कार्य विभाग को सौंप दिया है. बताया जा रहा है कि अभी तक इस पर वित्त विभाग से अनुमति नहीं मिली है. दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 92 नए विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. जबकि 138 विधायक पुराने हैं.

भोपाल। वित्तीय आपातकाल से गुजर रहे मध्यप्रदेश की विधानसभा में चुनकर आए नए विधायकों को 6 माह बाद भी लैपटॉप नहीं मिल पाया है. 2008 से विधायकों को हाईटेक बनाने के लिए लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई है. 2013 के बाद से विधानसभा में प्रश्न भी ऑनलाइन लगाए जाना शुरू हो चुके हैं, लेकिन इस बार विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं. हालांकि विधानसभा सचिवालय का कहना है कि इसका प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग को भेज दिया गया है.

6 महीने बाद भी नहीं मिला विधायकों को लैपटॉप

मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्यों को 2008 से लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई थी. शुरुआत में विधायकों को इसके लिए 25-25 हज़ार के लैपटॉप दिए गए. जबकि पिछले बार यानी 2013 में 35 हजार रुपए के कीमत के लैपटॉप खरीदने के लिए पैसों का भुगतान सभी विधायकों को किया गया था. ताकि सभी विधायक अपनी पसंद से लैपटॉप खरीद सकें. लेकिन इस बार सरकार चुनने के 6 महीने बाद भी विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं.


विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर संसदीय कार्य विभाग को सौंप दिया है. बताया जा रहा है कि अभी तक इस पर वित्त विभाग से अनुमति नहीं मिली है. दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 92 नए विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं. जबकि 138 विधायक पुराने हैं.

Intro:वित्तीय आपातकाल से गुजर रहे मध्यप्रदेश की विधानसभा में चुनकर आए विधायकों को 6 माह बाद भी लैपटॉप नहीं दिया जा सके हैं। 2008 से विधायकों को हाईटेक बनाने लेपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई है। 2013 के बाद से विधानसभा में प्रश्न भी ऑनलाइन लगाए जाना शुरू हो चुके हैं, लेकिन इस बार विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं। हालांकि विधानसभा सचिवालय का कहना है कि इसका प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग को भेज दिया गया है।


Body:मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्यों को 2008 से लैपटॉप देने की व्यवस्था शुरू की गई थी शुरुआत में विधायकों को इसके लिए 25 - 25 हज़ार के लैपटॉप दिए गए जबकि पिछली बार यानी 2013 में 35000 कीमत की लैपटॉप खरीदने के लिए पैसों का भुगतान सभी विधायकों को किया गया था। ताकि सभी विधायक अपनी पसंद से लैपटॉप खरीद सकें। लेकिन इस बार सरकार चुनने के 6 महीने बाद भी विधायकों को लैपटॉप नहीं दिए जा सके हैं। हालांकि विधानसभा सचिवालय ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर संसदीय कार्य विभाग को सौंप दिया है। विधान सभा सचिवालय की प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह क्या कहना है कि उनकी तरफ से प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग को पहले ही भेज दिया गया है बताया जा रहा है कि अभी तक इस पर वित्त विभाग से अनुमति नहीं मिली है। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में 92 विधायक पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं जबकि 138 विधायक पुराने हैं।


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