भोपाल। तो यूं कह लीजिए कि नतीजे भी सिर पर आ गए तब नींद टूटी. एमपी विधानसभा ने अपने दो सदस्यों के त्यागपत्र स्वीकार कर लिए हैं. इनमें एक मैहर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते नारायण त्रिपाठी हैं. दूसरे हैं कांग्रेस से बड़वाह सीट से विधायक बनें सचिन बिरला. इन दोनों की ये राजनीतिक शिनाख्त बदले भी लंबा समय हो चुका. अब तो सचिन बिड़ला बीजेपी से चुनाव लड़ चुके हैं और नारायण त्रिपाठी अपनी विध्य विकास पार्टी बना चुके हैं. इसी पार्टी से उम्मीदवार बनकर इन्होंने वोट मांगे.
अफसर जब जागें तब सवेरा : यूं देखिए तो वोटिंग भी पूरी हो जाने के बाद अब इस्तीफे मंजूर करने का भी कोई खास अर्थ नहीं. नौ दिन बाद तो ये भी तय हो जाना कि नई विधानसभा में नारायण त्रिपाठी और सचिन बिड़ला होंगे भी या नहीं. तब उनकी पिछली सदस्यता की कहानी तो यूं भी खत्म हो जानी है, लेकिन अफसर जब जागें तब सवेरा मानिए.
हुजूर आते आते बहुत देर कर दी... : आप तो टाइमिंग पर गौर कीजिए एमपी की 230 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुए भी हफ्ता गुजर चुका है. करीब आठ दिन बाद काउंटिग भी हो जाएगी. तब विधानसभा सचिवालय की नींद टूटी और सचिवालय ने दो सदस्यों का त्यागपत्र मंजूर कर लिया है. हांलाकि, जिन दो विधायकों का इस्तीफा मंजूर किय गया है ये दोनों ही जिन पार्टियों के साथ विधानसभा में विधायक के तौर पर मौजूद थे उन्हें छोड़कर कहानी आगे बढ़ा चुके हैं.
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सचिन बिड़ला पिछले डेढ साल से अघोषित बीजेपी नेता थे. अब घोषित बीजेपी उम्मीदवार हैं. हर नाव के सवार रहे नारायण त्रिपाठी ने अब सारी पार्टियों में रहकर देख लेने के बाद अब अपनी पार्टी विंध्य विकास पार्टी बना ली और उसी के उम्मीदवार के बतौर ये चनाव लड़ा है.
फैसला लेने में इतनी देरी क्यों भाई : बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिड़ला की सदस्यता खत्म करने को लेकर तो काग्रेस विधायक दल दो बार कह चुका था लेकिन वो मान्य नहीं हुआ. इधर नारायण त्रिपाठी भी घाट घाट का पानी पीने के बाद आखिरी तक बीजेपी की उम्मीद में रहे. जब टिकट नहीं मिला तो उन्होने भी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. लेकिन इस्तीफा मंजूर हुआ जब वे अपनी पार्टी बनाकर चुनाव लड़ चुके. और वोटिंग के बाद अब ये नतीजा आना भर बाकी है कि वे नई विधानसभा में विधायक रहेंगे या नहीं.