भोपाल। देश में लव जेहाद और धर्मांतरण को लेकर बीजेपी सरकार और संघ के मुखर होने के बाद भी मध्यप्रदेश में मुस्लिम युवा संघ के साथ जुड़ रहे हैं. संघ के मुस्लिम जागरण मंच के कार्यवाह मुजाहिद चौधरी का कहना है कि मुस्लिम युवा भी चाहता है कि वो देश के लिए सेवा करे और अपना योगदान दे, इसलिए मुस्लिम वर्ग भी संघ से जुड़कर देश की इकोनॉमी में अपना योगदान दे रहा है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने प्रदेश के 15 से 18 जिलों में अपनी पैठ बनाते हुए हजारों युवाओं को संघ की विचार धारा से जोड़ा है, संघ ने उन जिलों को खासतौर से जोड़ा है जो मुस्लिम बाहुल्य हैं.
क्या कहता है मुस्लिम जब धर्मांतरण और लव जेहाद के आरोप लगते हैं: मुस्लिम मंच का कहना है कि जहां तक धर्मांतरण या फिर कट्टरवाद की बात है तो यह काम क्रिश्चियन मिशनरी कर रही हैं, हमारा काम को देश को एकजुट करने का है, अब मुसलमानों को भी स्टेटस की लाइफ चाहिए, उन्हें भी नौकरी चाहिए, हमारी कौम पर इल्जाम बहुत लगे. उनका कहना है कि अभी तक हमको जुल्म करने वाले और आतंकवाद की राह पर चलने वाला माना जाता रहा है, लेकिन हमको रहबरों की शक्ल में दिखाया जाए यानि वो लोग जो इंसानियत के लिए काम कर रहे है. कार्यवाह का कहना है की संघ ने दिल से हमको अपनाया है, हमको संघ से और भाजपा से डराया गया है, उस गलतफहमी को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच दूर करने में लगा है और लोगों की गलतफहमी दूर हो रही है, मुस्लिम लगातार संघ से जुड़ रहे हैं.
किन जिलों में कितने मुस्लिम जुड़ रहे हैं संघ से: भोपाल में उत्तर विधानसभा, मध्य, दक्षिण पश्चिम सीहोर में मुस्लिम बड़ी संख्या में है, लेकिन संघ का दावा है कि इन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक उनसे जुड़ रहे हैं, अकेले भोपाल में 6 से 7 हजार युवा संघ से जुड़े हैं. वहीं बुरहानपुर, खंडवा, रायसेन, इंदौर, सागर सहित 15 से ज्यादा जिले जहां प्रत्येक जिले से पिछले 6 महीने में करीब 90 हजार युवा जुड़े हैं, संघ की विचारधारा हिंदू मुस्लिम नहीं बल्कि उनकी सोच एक विकसित राष्ट्र की है.
मुस्लिम कर रहे मोदी सरकार की तारीफ: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का कहना है कि सरकार की ओर से चल रही योजनाएं समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी साबित हुई हैं, चाहे उनका धर्म कोई भी हो. मोदी सरकार के कामों को देखें तो ईमानदारी के साथ यह कहा जा सकता है कि "सबका साथ,सबका विकास" सरकार का सिर्फ नारा नहीं है, बल्कि यह हकीकत भी है.
क्या है मुस्लिम राष्ट्रीय मंच: मुसलमानों और हिंदुओं के बीच आपसी समझ बढ़ाने और बातचीत के लिए संघ ने आगे बढ़ते हुए 'राष्ट्रवादी मुस्लिम आंदोलन-एक नई राह' नाम का संगठन बनवाया जो 2005 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच हो गया, तब से यह संगठन देश के मुसलमानों को साथ लेकर संघ की विचारधारा को मजबूत कर रहा है. बता दें कि RSS के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagvat) ने मस्जिद और मदरसे का दौरा कर लोगों को चौंका दिया था. 2009 में संघ प्रमुख बनने के बाद वे पहली बार किसी मस्जिद और मदरसे में पहुंचे थे.
हिंदु-मुस्लिम मुद्दे पर संघ प्रमुख मोहन भागवत क्या कह चुके हैं
- हिंदू और मुस्लिम अलग नहीं, सभी भारतीयों का डीएनए एक है.
- भारत में रहने वाले सभी हिंदू, भले ही पूजा पद्धति अलग हो.
- जिस दिन हम कहेंगे कि हमें मुसलमान नहीं चाहिए उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा.
-जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिंदू नहीं कह सकते.
संघ वक्त के साथ अपने आप को बदल रहा है: संघ की तरफ न सिर्फ युवाओं का रुझान बढ़ रहा है बल्कि शाखाओं से प्रोफेशनल भी जुड़ रहे हैं. इसलिए छुट्टी वाले दिन एक घंटे संपर्क संवाद भी शुरू किया गया है. संघ ने कई राज्यों में अलग अलग क्षेत्रों में प्रोफेशनल्स को शाखाओं से जोड़ने के लिए उनकी सुविधा के समय पर शाखाओं को लगाने का फैसला किया है. डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, किसान और आईटी प्रोफेशनल्स के लिए अब साप्ताहिक और पाक्षिक शाखाओं का प्रयोग भी शुरू किया गया है. कामकाजी युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से जब उन्हें समय हो या छुट्टी वाले दिन एक घंटे उनसे संपर्क संवाद के लिए शाखाओं में लाने की मुहिम शुरू की जा रही है.
क्या कहते हैं सियासी दल
कांग्रेस ने कहा-आंकड़े जारी क्यों नहीं करता संघ: कांग्रेस का कहना है कि संघ झूठे आंकड़े पेश कर मुस्लिमों को अपनी ओर खींचना चाहता है, वहीं बीजेपी मुस्लिमों के खिलाफ आग उगलती है. प्रवक्ता अब्बास हफीज का कहना है की यदि मुस्लिम RSS से जुड़ रहा है तो आंकड़े सार्वजनिक तौर पर क्यों पेश नहीं करते और ये सच्चाई है तो संघ की शाखाओं में मुस्लिम क्यों दिखाई नहीं देते.
मुसलमानों को कभी वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं किया-भाजपा: बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केशवानी का कहना है कि बीजेपी सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर चलती है. हमने मुसलमानों को कभी भी वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं किया. कांग्रेस ने हमेशा से ही उन्हें वोट बैंक समझा, लेकिन उनके विकास के लिए कुछ नहीं किया.