भोपाल। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मंगलवार को शिव'राज' के मिनी मंत्रिमंडल का गठन हो गया, पांच सदस्यों वाली मिनी कैबिनेट में सिंधिया समर्थित गोविंद सिंह राजपूत और तुलसीराम सिलावट को जगह मिली है, पर सिंधिया के अति प्रभाव वाले ग्वालियर चंबल अंचल से किसी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. शिवराज कैबिनेट में जगह पाने वालों में दतिया से बीजेपी विधायक नरोत्तम मिश्रा, हरदा से कमल पटेल और मानपुर विधायक मीना सिंह के अलावा सिंधिया समर्थक तुलसीराम सिलावट व गोविंद सिंह राजपूत शामिल हैं.
शिवराज को चौथी बार सत्ता में लाने का पूरा श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया को जाता है क्योंकि सिंधिया के इशारे पर ही उनके 22 समर्थकों ने बगावती तेवर दिखाते हुए इस्तीफा दिया था, 3 मार्च से शुरू हुआ सत्ता का अंकगणित हल करने का सिलसिला 20 मार्च को कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ही सटीक हल निकला. हालांकि बहुत उठापटक के बाद भी कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और बहुमत साबित करने से पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से 20 मार्च को इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
शिवराज के शपथ लेने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि सिंधिया के सम्मान में जिन लोगों ने कुर्बानी दी थी, बीजेपी उनका भी उचित सम्मान करेगी. हालांकि, 29 दिन बाद मंगलवार को मंगलकारी मिनी मंत्रिमंडल का गठन तो हो गया, पर उन उम्मीदों पर पानी फिर गया, जिनमें ये कयास लगाए जा रहे थे कि बागियों को बीजेपी में उचित सम्मान मिलेगा. भले ही सिंधिया समर्थित किसी को ग्वालियर-चंबल संभाग से मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव ने मंत्रिमंडल पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ग्वालियर-चंबल रीजन शून्य की स्थिति में आ गया है. उन्होंने कहा ने कि भारतीय जनता पार्टी का सिंधिया को पहला डोज है.
लाखन सिंह ने शिवराज कैबिनेट पर तंज कसते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार में प्रदेश का वातावरण शुद्ध था. कमलनाथ सरकार गिराने की स्क्रिप्ट ग्वालियर से लिखी गई थी. उन्होंने सिंधिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये स्क्रिप्ट ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखी थी और उन्होंने कांग्रेस की सरकार को अल्पमत में ला दिया था.