भोपाल। कर्नाटक से शुरू हुए हिजाब विवाद को लेकर मध्यप्रदेश की संस्कृति और धार्मिक न्यास मंत्री ऊषा ठाकुर ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत पसंद को घरों और पूजा स्थलों तक ही सीमित रखें. हर स्थान पर इन्हें पहनना उथली और घटिया राजनीतिक मानसिकता का ही प्रतीक है. ईटीवी भारत संवाददाता विनोद तिवारी से खास बातचीत के दौरान संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के मुताबिक प्रदेश की संस्कृति के आधार मां नर्मदा की यात्रा के लिए बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए पैकेज पर वाहन उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे सुगमता से धार्मिक यात्रा कर सकें. (minister usha thakur exclusive interview)
सवाल: संस्कृति के लिए क्या नवाचार हो रहे हैं और क्या नया होना चाहिए ?
जवाब: संस्कृति और आध्यात्म दोनों ही आनंद का आधार और रीढ़ हैं. प्रदेश अपने नवाचारों के लिए कटीबद्ध है. हमारा विभाग पूरे सामर्थ्य के साथ हर क्षेत्र में नवाचार के लिए तत्पर खड़ा है. नई संकल्पना होम स्टे, रूरल स्टे और एग्रो स्टे की आई है. कोरोना की विभीषिका ने लोगों को यह समझा दिया कि भौतिकता से दग्ध मानवता प्रकृति में ही शांति पाएगी. लोगों का रुझान बढ़ रहा है. हम अभी 100 गांव चुने हैं. इनमें से 65 गांव में काम पूर्ण हो चुका है. यहां लोगों ने ठहरना शुरू कर दिया है. इससे दो फायदे हो रहे हैं. इसमें कम पूंजी में संसाधन विकसित होते हैं. रोजगार मिल रहा है. आत्मनिर्भर भारत के संकल्पना में यह भूमिका निभा रहा है. यहां पहुंचने वाले लोगों को चूल्हे की बनी रोटी और सिल-बट्टा में बनी चटनी का सौंधा भोजन, जो लोगों के रग-रग में समाहित था, वह देश की संस्कृति के साथ उपलब्ध करा रहे हैं.
सवाल: इसमें घर की बेल पर चढ़ी लौकी और गिल्की सब्जी भी...
जवाब: जैविक सब्जी की बात कर रहे हैं. पलबल, गिलकी, लौकी की सब्जी का स्वाद ही अलग होता है. आश्चर्य होगा कि महानगरों में रहने वाली बहनें जब इन होम स्टे में आकर ठहरती हैं, तो वह खुद कहती हैं कि चूल्हे पर रोटे बनाकर देखेंगे और वे खुद सब्जी तोड़कर लाते हैं. उसका आनंद ही अलग होता है.
सवाल: जब मध्यप्रदेश की संस्कृति का बड़ा आधार नर्मदा है जिसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटक मान्यता भी है. हमारे यहां नर्मदा की परिक्रमा की परंपरा रही है. कैसे आप इस परिक्रमा को आम जनमानस तक पहुंचाएंगी और कैसे बेहतर व्यवस्था हो पाएगी, इसको लेकर क्या कार्ययोजना है ?
जवाब: नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है. नर्मदा की यात्रा के लिए आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लाखों लोग हर साल मां नर्मदा की यात्रा करते हैं. यह वो लोग हैं, जिनमें पैदल चलने का सामर्थ्य है और जिनकी आध्यात्मिक दृढता है. हमारा विभाग ऐसे लोगों के लिए भी व्यवस्था कर रहा है, जो बहुत ज्यादा पैदल नहीं चल सकते. ऐसे लोगों के लिए हम पैकेज वाहन भी उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे वे मां नर्मदा के घाटों पर आरती करते हुए घाट-घाट पर पूजा-पाठ करेंगे.
सवाल: दो बड़े प्रोजेक्ट भोपाल में हैं. इसमें एक आजाद हिंद रेडियो और दूसरा, शौर्य स्मारक. जिस उद्देश्य के लिए इनका गठन हुआ था, वह अभी पूरा नहीं हो पाया है. देश की सेना के शौर्य और वैभव के प्रति युवा पीढ़ी आकर्षित हो, उसके लिए क्या हो सकता है ?
जवाब: आजाद हिंद रेडियो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. क्रांतिकारियों की कथा कहानी देश भक्ति गीत, मौलिकता लिए हुए फिल्मी गानों से हटते हुए, उनकी प्रस्तुति लगातार जारी है. जानकर आश्चर्य होगा कि कोरोना के काल में सभी कुछ वर्चुअल था. उस समय आजाद हिंद रेडियो ने आजादी के अमृत महोत्सव को वर्चुअल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. यही कोशिश है कि आने वाली पीढ़ी में शौर्य और वीरता का संचार हो और वह भी अपने देश की सेवा को समर्पित हों. शौर्य स्मारक के लिए हम भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. जब भी कोई भोपाल आए वह शौर्य स्मारक को प्रणाम करने जरूर आए. यह उन वीर सैनानियों का स्मारक है, जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने बलिदान दिए थे. प्रदेश के युवा फौज में भर्ती होने के लिए तत्पर हो उठें. इसके लिए हम लगातार प्रचार प्रसार कर रहे हैं. अगर हम देश के काम न आए, तो धरा क्या कहेगी, गगन क्या कहेगा... और विश्व की निगाह हैं कि भारत का फौज में भर्ती होने के लिए युवाओं में होड़ लगना चाहिए.
सवाल: एक और योजना बहुत साल से डिब्बे में बंद या हम कहें फाइलों में कैद है. वीर भारत योजना संस्कृति विभाग की बड़ी योजना थी, उस पर अभी तक काम नहीं हो पाया ?
जवाब: वीर भारत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का भी सपना है. यह जो पारी थी इसमें कोरोना ने बहुत काम प्रभावित किए, लेकिन मैं पूरे यकीन से कह सकती हूं कि वीर भारत स्मारक हमारे सपनों का भारत है. हम चाहते थे कि आजादी के अमृत महोत्सव में मध्यप्रदेश देश के सामने इसको समर्पित कर पाएं, लेकिन इसमें थोड़ा सा विलम्ब हुआ है. हम इसको अवश्य करेंगे. (veer bharat yojna in mp)
सवाल: कोई समय सीमा और कोई रोडमैप तैयार किया गया है क्याि ?
जवाब: देखिए, रोडमैप तो जैसे तैयार है. डीपीआर भी तैयार होती, लेकिन सबसे बड़ी बात एक बड़े बजट की है, उसको हम जरूर करेंगे.
सवाल: प्रदेश के एक आईएएस नियाज खान की किताब बी रेडी टू डाय का हाल ही में विमोचन हुआ है. यह किताब तुर्की और ईरान के पास हिंदुओं से मिलती जुलती कौम यजीदि पर आधारित है. इस कौम के लिए काम नहीं हो पा रहा. इस तरह की संस्कृति को बचाने के लिए क्या काम हो सकता है ?
जवाब: भारत ने तो हमेशा हर संस्कृति को संरक्षण दिया और जहां जिसको दिक्कतें थीं. सभी ने इस पुण्य भूमि पर आश्रय पाया है. हालांकि यह पुस्तक मैंने पढ़ी नहीं है. आपने बताया है- मैं उसको जरूर पढूंगी. उसमें हिंदुस्तान क्या कर सकता है. वह जरूर करेंगे.
सवाल: हिजाब पूरी दुनिया में चर्चा का विषय हो गया है. कर्नाटक में हिंसा हुई है. यूपी के चुनाव और मध्यप्रदेश में भी इसको लेकर चर्चा हुई. आपका क्या विचार है. भारतीय संस्कृति में क्या होना चाहिए ताकि समरस्ता का भाव बना रहे ?
जवाब: मेरी प्रार्थना सभी से यही है कि संविधान इस राष्ट्र की आत्मा है. हर व्यक्ति को संवैधानिक दायित्वों के प्रति सजग रहना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए. वेशभूषा जो भी है शैक्षणिक संस्थाओं, कामकाज के स्थान पर जो वहां की वेशभूषा तय की गई है. उसी वेशभूषा में जाना चाहिए. हमारी व्यक्तिगत पसंद हमारे घरों और पूजा स्थलों पर हो सकती है. उसे हर स्थान पर इस तरह से जिद करना यह तो उथली और घटिया राजनीतिक मानसिकता का ही प्रतीक है. (Minister Usha Thakur on hijab controversy)
सवाल: संस्कृति, पर्यटन या फिर आनंद विभाग के लिए आपका कोई संकल्प है, जिसे आप इस कार्यकाल में पूरा करेंगी ?
जवाब: विभाग का संकल्प किसी एक व्यक्ति का नहीं हो सकता. यह विभाग पूरे प्रदेश का है. मध्यप्रदेश का जनमानस जो चाहता है विषय के विशेषज्ञ हमारे सामने जो विषय लाते हैं उसके हिसाब से काम किए जाते हैं. ताकि वह सभी के लिए लाभकारी हों. उससे विभाग की क्षमताएं भी बढ़ें और वह हमारी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के संवाहित बनें.
सवाल: मध्यप्रदेश का संस्कृति विभाग देश भर के कलाकारों का पोषण करता है, लेकिन मध्यप्रदेश के कलाकारों को उतना स्थान नहीं मिल पाता. एक कलाकार जिस प्रदेश से आता है, वह पुरस्कार लेने के बाद दूसरी बार प्रदेश नहीं आता. ऐसी क्या स्थिति बने, जिससे वह यहां अवदान यानी योगदान भी हो ?
जवाब: कोई सम्मान किसी समझौते का आदि नहीं हो सकता. सम्मान उनकी कला और प्रतिभा को किया जाता है. कला सीमाओं में बंध नहीं सकती. कोई श्रेष्ठ कलाकार होता है, उसे बुलाकर सम्मानित किया जाता है, कला और प्रतिभा को सीमाओं में तो नहीं बांध सकते, लेकिन मध्यप्रदेश के कलाकारों को भी सम्मानित किया भी जाता है. इस बार प्रदेश के कलाकार कई विधा में सम्मानित हुए हैं.