भोपाल। आदिवासी क्षेत्रों की खराब हालत को लेकरआदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने अधिकारियों को फटकार लगाई. उन्होंने कहा है कि 10 महीने हो गए लेकिन जो सुधार होना था, वह अब तक क्यों दिखाई नही दे रहा है. यहां तक की जनवरी की बैठक में दिए गए निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया है. मंत्री ने कहा कि निरीक्षण के दौरान पाया गया है कि आदिवासी बच्चों को हॉस्टल में ठीक खाना तक नहीं मिलता है. जिसे जल्द ठीक किया जाना जरूरी है.
मंत्रालय में विभागीय अधिकारियों की राज्य-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में प्रदेश के मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने अब तक के किए गए कार्यों की समीक्षा की. साथ ही आगामी कार्यक्रमों को लेकर दिशा-निर्देश भी दिए.
बैठक के दौरान तीन सालों की स्थिति पर चर्चा की गई है. अधिकारियों को विभिन्न योजनाओं की रिपोर्ट और बजट के खर्च का हिसाब लेकर इस बैठक में बुलाया गया था. मंत्री ने साफ कर दिया है कि निरीक्षण की संख्या बढ़ाए, ताकि मैदानी हालत को सुधारा जा सके, उन्होंने कहा है कि बजट और सीट के मामले में दोहरी बातें की जाती है. केंद्र से बजट लाने के लिए खूब प्रयास होते हैं. वहां से बजट लाते हैं लेकिन यहां पता चलता है कि बजट का पूरा उपयोग ही नहीं किया गया है. यह बिल्कुल ठीक नहीं है.
मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने विभागीय बजट की राशि का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये हैं. मंत्री मरकाम ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में संचालित आश्रम और छात्रावासों में स्वीकृत सीटें शत-प्रतिशत भरी जाएं. साथ ही आदिवासी विद्यार्थियों को वितरित की गई छात्रवृत्ति की भी उन्होंने समीक्षा की. मंत्री मरकाम ने आश्रम-छात्रावास भवनों के मरम्मत कार्य को प्राथमिकता के साथ कराये जाने के निर्देश दिये.
बैठक में मंत्री मरकाम ने सभी विभागीय निर्माण कार्यों को समय पर शुरू करने और गुणवत्ता के साथ समय पर पूरा किये जाने के निर्देश दिये. बैठक में पिछले 3 वर्षों में प्राप्त बजट आवंटन एवं व्यय स्वीकृत कार्यों की जानकारी और वर्तमान कार्यों की भौतिक स्थिति की भी समीक्षा की.
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में कक्षा एक से 5 के आदिवासी विद्यार्थियों के लिये संचालित 1083 आश्रम शालाओं में करीब 68 हजार बच्चे पढ़ते हैं. विभाग के 199 जूनियर हॉस्टल में 10 हजार 31 और 1955 सीनियर हॉस्टल में 63 हजार 138 बच्चे पढ़ते हैं. महाविद्यालयीन छात्रावासों की संख्या 152 है, जिनमें 8,635 आदिवासी विद्यार्थियों को आवासीय व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई है.