भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता, सामाजिक संगठनों, सिविल सोसाइटी को भी ज्यादा से ज्यादा साथ लेना होगा. जब किसी अभियान से जनता जुड़ती है तो उसे कार्य की गंभीरता भी पता चलती है. इससे जनता में किसी योजना या अभियान के प्रति सेंस ऑफ ऑनरशिप आती है. सेंस ऑफ ऑनरशिप सफलता की कुंजी है. वहीं केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत पानी के क्षेत्र में 16 हजार करोड़ का निवेश कर रहा है. हमारा लक्ष्य है कि पानी की कमी को दूर करने के उपाय ढूंढें. नदी जोड़ो योजना के साथ वाटर रीसाइक्लिंग भी जरूरी है.
अटल भूजल संरक्षण योजना का जिक्र : पानी बचाने के लिए पीएम मोदी ने टिप्स देते हुए कहा कि हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर ईको सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा हैं. हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित न हों, इसके लिए हमें हर राज्य में वेस्ट मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा. जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकॉनामी की बड़ी भूमिका है. जब ट्रीटेड वाटर को रीयूज किया जाता है, फ्रेश वाटर को कंजर्व किया जाता है तो इससे पूरे ईको सिस्टम को बहुत लाभ होता है. इंडस्ट्री और खेती दोनों सेक्टर्स सेक्टर्स से जुड़े लोगों के साथ विशेष अभियान चलाकर इन्हें वाटर सिक्योरिटी के प्रति जागरूक करना चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि ड्रॉप मोर क्रॉप की पॉलिसी हम किसानों के लिए लेकर आए हैं. जल संरक्षण के लिए केंद्र ने अटल भूजल संरक्षण योजना को शुरू किया है. ये एक संवेदनशील अभियान है. इसे उतनी ही संवेदनशीलता से आगे बढ़ाने की जरूरत है. कई राज्यों ने वाटर कंजर्वेशन में अच्छा काम किया है.
जल जीवन मिशन से घर-घर पानी : इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि एमपी में कैसे 8 लाख हेक्टेयर से 45 लाख हेक्टेयर तक पानी पहुंचा है. सीएम शिवराज ने कहा कि पीएम मोदी के रूप में हमें विजनरी लीडर मिला है. वो कल्पनाशील मस्तिष्क के धनी हैं. वो संकल्प लेते हैं और खुद को ही नहीं झोंकते, हम सबको भी झोंकने की कोशिश करते हैं. जिन विषयों पर कभी विचार नहीं होता था, आज उन पर विचार हो रहा है. सीएम शिवराज ने कहा कि एमपी में 15 साल पहले सिंचाई रकबा 8 लाख हेक्टेयर था, लेकिन अब वो बढ़कर 45 लाख हेक्टेयर हो चुका है. ये संभव हो सका सकारात्मक पहल से.
सीएम ने बताए जल संरक्षण के उपाय : सीएम शिवराज ने बताया कि पहले प्रदेश के 14 फीसदी घरों को नल से पानी मिलता था. अब 47 फीसदी लोगों को नल से पानी दे रहे हैं. हमारे यहां एक प्रयोग हुआ कि खेत में तालाब बनाओ. अभियान चलाकर नर्मदा नदी किनारे पड़े लगाए. सीएम ने कहा कि नर्मदा नदी पेड़ों की जड़ से निकलती हैं. हमने नर्मदा सेवा यात्रा अभियान चलाकर नर्मदा जी के किनारों पर पेड़ लगाए. मप्र अपनी जल नीति बना रहा है. एक-दो महीने में ये नीति तैयार होगी. इसमें पानी को बचाने, बढ़ाने, बारिश के पानी को संरक्षित करने, सिंचाई में कम पानी कैसे लगे ? इस पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने मंत्रियों से कहा कि कल आप सब लोग मेरे साथ पेड़ लगाएं. जहां आप लोग पेड़ लगाएंगे, उस गार्डन का नाम हम वाटर विजन गार्डन रखेंगे. सत्र शुरू होने के पहले हम सब पेड़ लगाकर जल बचाने का संदेश पूरे देश को देंगे.