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भोपाल में होगा मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट, सांस संबंधी बीमारियों का होगा इलाज

मध्यप्रदेश में मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट होगा. इस इंस्टीट्यूट का निर्माण गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभाग की ओर से किया जाएगा.

भोपाल में होगा मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट
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Published : Aug 18, 2019, 7:55 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान को अब जल्द ही रीजनल रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टिट्यूट बनाया जाएगा. जिसके लिए गांधी मेडिकल कॉलेज की ओर से प्रस्ताव बनाकर तैयार कर लिया गया है.

भोपाल में होगा मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट

इस इंस्टिट्यूट की खास बात ये रहेगी कि यहां पर टीबी के अलावा सांस सम्बंधी सभी रोगों का इलाज किया जाएगा. साथ ही कठिन से कठिन से ऑपरेशन की भी सुविधा हॉस्पिटल में होगी. इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 71 करोड़ रुपये खर्च आयेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये इंस्टीट्यूट मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट होगा. जिसका निर्माण गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभाग की ओर से कराया जाएगा.

स्वास्थ्य विभाग ने इसी साल फरवरी में भोपाल समेत सागर और छिंदवाड़ा के टीबी अस्पतालों को चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपा था. अब इस इंस्टीट्यूट के खुलने से जीएमसी में पोस्ट ग्रेजुएशन की 11-14 सीटें बढ़ जाएंगी. जिसके चलते विशेषज्ञों की कमी को दूर किया जा सकेगा. यहां पर लाइब्रेरी, एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक, मल्टी परपस हॉल, स्टाफ क्वार्टर और रैन बसेरा भी बनेगा जाएगा.

भोपाल। राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान को अब जल्द ही रीजनल रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टिट्यूट बनाया जाएगा. जिसके लिए गांधी मेडिकल कॉलेज की ओर से प्रस्ताव बनाकर तैयार कर लिया गया है.

भोपाल में होगा मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट

इस इंस्टिट्यूट की खास बात ये रहेगी कि यहां पर टीबी के अलावा सांस सम्बंधी सभी रोगों का इलाज किया जाएगा. साथ ही कठिन से कठिन से ऑपरेशन की भी सुविधा हॉस्पिटल में होगी. इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 71 करोड़ रुपये खर्च आयेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये इंस्टीट्यूट मध्यभारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट होगा. जिसका निर्माण गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभाग की ओर से कराया जाएगा.

स्वास्थ्य विभाग ने इसी साल फरवरी में भोपाल समेत सागर और छिंदवाड़ा के टीबी अस्पतालों को चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपा था. अब इस इंस्टीट्यूट के खुलने से जीएमसी में पोस्ट ग्रेजुएशन की 11-14 सीटें बढ़ जाएंगी. जिसके चलते विशेषज्ञों की कमी को दूर किया जा सकेगा. यहां पर लाइब्रेरी, एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक, मल्टी परपस हॉल, स्टाफ क्वार्टर और रैन बसेरा भी बनेगा जाएगा.

Intro:भोपाल- राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय श्वसन रोग संस्थान को अब जल्द ही रीजनल रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टिट्यूट बनाया जाएगा जिसके लिए गांधी मेडिकल कॉलेज की ओर से प्रस्ताव बना लिया गया है।Body:इस इंस्टिट्यूट की खास बात यह रहेगी कि यहां पर टीबी के अलावा सांस सम्बंधित सभी रोगों का इलाज़ किया जाएगा इसके साथ ही कठिन से कठिन से ऑपरेशन की भी सुविधा यहां होंगी। इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 71 करोड़ का खर्चा होगा और अनुमान यह लगाया जा रहा है कि यह इंस्टीट्यूट मध्य भारत का सबसे बड़ा रेस्पिरेटरी डिसीज इंस्टीट्यूट होगा। सांस सम्बन्धी बीमारियों के विशेषज्ञों कमी के कारण इस इंस्टीट्यूट को बनाया जा रहा है। इसका निर्माण गांधी मेडिकल कॉलेज के पल्मोनरी विभाग की ओर से किया जाएगा। Conclusion:बता दें कि स्वास्थ्य विभाग ने इसी साल फरवरी में भोपाल समेत सागर और छिंदवाड़ा के टीबी अस्पतालों को चिकित्सा शिक्षा विभाग को सौंपा था, अब इस इंस्टीट्यूट के खुलने से जीएमसी में पोस्ट ग्रेजुएशन की 11-14 सीटें बढ़ जाएंगी जिसके चलते विशेषज्ञों की कमी को दूर किया जा सकेगा। यहां पर लाइब्रेरी,एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक,मल्टी परपस हॉल,स्टाफ क्वार्टर और रैन बसेरा भी बनेगा जाएगा। इसकी बिल्डिंग 4 मंजिला होगी।
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