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MP Politics : BJP में शामिल हुए तीन MLA में से दो की सदस्यता पर खतरा, सपा विधायक सेफ

हाल ही में BJP में शामिल हुए तीन MLA में से SP विधायक की सदस्यता पर किसी प्रकार का खतरा नहीं है. लेकिन BSP से BJP में शामिल हुए MLA की विधायकी खतरे में आ सकती है. इसके साथ ही बीजेपी में शामिल हुए निर्दलीय विधायक की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है. दलबदल निरोधक कानून के दायरे में ये दो विधायक हैं. (Three MLA in MP joined BJP) (Membership of two Mla in problem) (SP MLA safe defection law)

Two MLAs under anti defection law
तीन MLA में से दो की सदस्यता पर खतरा
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Published : Jun 16, 2022, 12:47 PM IST

भोपाल। चुनाव सरगर्मियां शुरू होते ही बीजेपी की तरफ अन्य दलों के विधायकों का आकर्षण बढ़ने लगता है. निकाय चुनाव के वक्त और खासतौर से राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग की सरगर्मियों के बीच मध्यप्रदेश में तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इनमें से सपा के राजेश शुक्ला, बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय राणा विक्रम सिंह हैं. बीजेपी के संपर्क में ये विधायक पहले से रहे हैं. राणा विक्रम सिंह का कहना है कि हम पहले से ही सीएम शिवराज के संपर्क में थे. लेकिन कह दिया गया था कि हमारा बहुमत नहीं है. लिहाजा हम सरकार बनाने का प्रयास नहीं कर रहे. इसलिए मुझे बीजेपी में शामिल नहीं किया गया और मैं निर्दलीय ही रहा. सपा और बसपा के विधायक कहते हैं कि बीजेपी सरकार में ही विकास होता है. लिहाजा मन और जनता की आवाज सुनकर हमने बीजेपी का दामन थामा है.

दलबदल कानून के दायरे में दो विधायक : बसपा से संजीव कुशवाहा और निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह की सदस्यता दलबदल कानून के तहत छिनेगी. जहां तक बसपा का सवाल है तो मध्यप्रदेश में उसके दो विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक बीजेपी में आ गया हैं. अब इन पर दलबदल कानून का शिकंजा कस गया है. वहीं निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह की विधायकी भी खतरे में है. नियम के मुताबिक वे निर्दलीय हैं. वह किसी भी दल में शामिल नहीं हो सकते. इन पर भी दलबदल कानून लगेगा लेकिन इस कानून के दायरे से सपा विधायक राजेश शुक्ला बच गए. क्योंकि सपा का मध्यप्रदेश में एक ही विधायक है.

क्या कहता है नियम : मध्यप्रदेश विधानसभा नियम 1986 के तहत अध्यक्ष को दलबदल के संबंध में आवेदन करना होता है. जब दल परिवर्तन पर शिकायतकर्ता प्रमाण प्रस्तुत करता है तो अध्यक्ष सुनवाई का फैसला देते हैं. दो तिहाई विधायक एक साथ दलबदल करें तो नहीं लगता दल बदल कानून. संविधान विशेषज्ञ का कहना है कि बसपा के दो विधायक हैं और ऐसे में सिर्फ एक ही विधायक गया है. ऐसे में यदि कोई विधानसभा सदस्य अध्यक्ष को शिकायत करता है तो अध्यक्ष को संज्ञान लेना होगा.

निर्दलीय विधायक भी बंधा है कानून से : पूर्व प्रमुख सचिव विधानसभा भगवानदेव इसरानी बताते हैं कि जहां तक निर्दलीय विधायक का सवाल है तो संविधान के मुताबिक वह और किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं कर सकता. किसी पार्टी को ज्वाइन करता है तो उस पर यह नियम लागू होता है. उसकी विधायकी जायेगी. जहां तक सपा के विधायक का सवाल है तो वह एक ही है तो उसका दलबदल 100% कहलाएगा.

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कांग्रेस से आए सचिन बिरला अभी भी विधायक : हालांकि खंडवा चुनाव के वक्त कांग्रेस विधायक सचिन बिरला भी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी के खेमे में आ गए, लेकिन अभी तक उनकी विधायकी की बरकरार है. सचिन बिरला की सदस्यता खत्म करने के आवेदन विधानसभा अध्यक्ष ने निरस्त कर दिए हैं. कांग्रेस विधायक दल की ओर से 2 आवेदन दिए गए थे, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने निरस्त कर दिया था. इससे पहले विधायक दिनेश अहिरवार और नारायण त्रिपाठी की सदस्यता भी समाप्त नहीं हो पाई थी. जानकारी के मुताबिक ये विधायक जब तक विधानसभा सचिवालय को भाजपा में शामिल होने की सूचना नहीं देते, तब तक दलीय स्थिति में कोई अंतर नहीं आएगा. (Three MLA in MP joined BJP) (Membership of two Mla in problem) ( SP MLA safe defection law)

भोपाल। चुनाव सरगर्मियां शुरू होते ही बीजेपी की तरफ अन्य दलों के विधायकों का आकर्षण बढ़ने लगता है. निकाय चुनाव के वक्त और खासतौर से राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग की सरगर्मियों के बीच मध्यप्रदेश में तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इनमें से सपा के राजेश शुक्ला, बसपा से संजीव कुशवाह और निर्दलीय राणा विक्रम सिंह हैं. बीजेपी के संपर्क में ये विधायक पहले से रहे हैं. राणा विक्रम सिंह का कहना है कि हम पहले से ही सीएम शिवराज के संपर्क में थे. लेकिन कह दिया गया था कि हमारा बहुमत नहीं है. लिहाजा हम सरकार बनाने का प्रयास नहीं कर रहे. इसलिए मुझे बीजेपी में शामिल नहीं किया गया और मैं निर्दलीय ही रहा. सपा और बसपा के विधायक कहते हैं कि बीजेपी सरकार में ही विकास होता है. लिहाजा मन और जनता की आवाज सुनकर हमने बीजेपी का दामन थामा है.

दलबदल कानून के दायरे में दो विधायक : बसपा से संजीव कुशवाहा और निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह की सदस्यता दलबदल कानून के तहत छिनेगी. जहां तक बसपा का सवाल है तो मध्यप्रदेश में उसके दो विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक बीजेपी में आ गया हैं. अब इन पर दलबदल कानून का शिकंजा कस गया है. वहीं निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह की विधायकी भी खतरे में है. नियम के मुताबिक वे निर्दलीय हैं. वह किसी भी दल में शामिल नहीं हो सकते. इन पर भी दलबदल कानून लगेगा लेकिन इस कानून के दायरे से सपा विधायक राजेश शुक्ला बच गए. क्योंकि सपा का मध्यप्रदेश में एक ही विधायक है.

क्या कहता है नियम : मध्यप्रदेश विधानसभा नियम 1986 के तहत अध्यक्ष को दलबदल के संबंध में आवेदन करना होता है. जब दल परिवर्तन पर शिकायतकर्ता प्रमाण प्रस्तुत करता है तो अध्यक्ष सुनवाई का फैसला देते हैं. दो तिहाई विधायक एक साथ दलबदल करें तो नहीं लगता दल बदल कानून. संविधान विशेषज्ञ का कहना है कि बसपा के दो विधायक हैं और ऐसे में सिर्फ एक ही विधायक गया है. ऐसे में यदि कोई विधानसभा सदस्य अध्यक्ष को शिकायत करता है तो अध्यक्ष को संज्ञान लेना होगा.

निर्दलीय विधायक भी बंधा है कानून से : पूर्व प्रमुख सचिव विधानसभा भगवानदेव इसरानी बताते हैं कि जहां तक निर्दलीय विधायक का सवाल है तो संविधान के मुताबिक वह और किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं कर सकता. किसी पार्टी को ज्वाइन करता है तो उस पर यह नियम लागू होता है. उसकी विधायकी जायेगी. जहां तक सपा के विधायक का सवाल है तो वह एक ही है तो उसका दलबदल 100% कहलाएगा.

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कांग्रेस से आए सचिन बिरला अभी भी विधायक : हालांकि खंडवा चुनाव के वक्त कांग्रेस विधायक सचिन बिरला भी कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी के खेमे में आ गए, लेकिन अभी तक उनकी विधायकी की बरकरार है. सचिन बिरला की सदस्यता खत्म करने के आवेदन विधानसभा अध्यक्ष ने निरस्त कर दिए हैं. कांग्रेस विधायक दल की ओर से 2 आवेदन दिए गए थे, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने निरस्त कर दिया था. इससे पहले विधायक दिनेश अहिरवार और नारायण त्रिपाठी की सदस्यता भी समाप्त नहीं हो पाई थी. जानकारी के मुताबिक ये विधायक जब तक विधानसभा सचिवालय को भाजपा में शामिल होने की सूचना नहीं देते, तब तक दलीय स्थिति में कोई अंतर नहीं आएगा. (Three MLA in MP joined BJP) (Membership of two Mla in problem) ( SP MLA safe defection law)

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