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कैसे होगी MP में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति ? ऐसे बढ़ी डिमांड - Artificial oxygen shortage in hospitals of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश को हर दिन 20 टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन नागपुर से सप्लाई बंद होने के बाद प्रदेश में कृत्रिम ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी है. लिहाजा प्रदेश सरकार ऑक्सीजन को लेकर नए-नए तरीके खोज रहा है. सीएम ने भरोसा जताया है कि मरीजों को ऑक्सीजन की कमी नहीं होने देंगे.

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मेडिकल ऑक्सीजन
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Published : Sep 28, 2020, 6:50 AM IST

भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान मध्यप्रदेश के अस्पतालों में कृत्रिम ऑक्सीजन की किल्लत आखिर क्यों हुई है, यह एक बड़ा सवाल है. महाराष्ट्र के नागपुर स्थित आईनॉक्स प्लांट से मध्य प्रदेश को हर दिन 20 टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन नागपुर से सप्लाई बंद होने के बाद प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत होने के बाद प्रदेश सरकार नींद से जागी और अब होशंगाबाद के बाबई में 200 टन का कृत्रिम ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि अब महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश और गुजरात भी मध्य प्रदेश को कृत्रिम ऑक्सीजन देने पर राजी हो गए हैं.

मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड

मध्यप्रदेश में अगस्त महीने में बात करें तो हर दिन 90 टन ऑक्सीजन प्रदेश में उपयोग की गई है, लेकिन अब डिमांड दोगुनी हो गई है. क्योंकि मध्यप्रदेश में अब कोरोना के एक्टिव केस 18 हजार 435 हो गए हैं. इसके 20 फीसदी मरीजों को हर दिन ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है. सूबे के मुखिया शिवराज सिंह की माने तो इनका कहना है कि 'फुल कैपिसिटी पर ऑक्सीजन तैयार करने के निर्देश दिए हैं, और प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाते हैं कि किसी तरह की ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी'.

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 7 सितंबर को एक आदेश निकालकर 80 फीसदी ऑक्सीजन महाराष्ट्र के ही अस्पतालों में दिए जाने की बात कही थी. उधर गुजरात में भी 10 सितंबर को 50 फीसदी ऑक्सीजन गुजरात के अस्पतालों को सप्लाई करने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद मध्यप्रदेश की मुश्किलें बढ़ी हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र के सीएम से फोन पर चर्चा की साथ ही केंद्र सरकार ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कोई भी राज्य ऑक्सीजन ना रोके, लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है कि प्रदेश में कोरोना संकट में पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया था.

दरअसल, सितंबर महीने में हर दिन 2 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं और हर दिन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 130 टन हो गई है. अगर यही रफ्तार रही तो सितंबर माह के अंत तक और अक्टूबर के मध्य तक हर दिन 150 टन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत पहुंचने की संभावना है. वहीं प्रदेश सरकार ने उद्योगों को भी हिदायत दी है कि कमर्शियल ऑक्सीजन का उत्पादन घटाकर पहली प्राथमिकता मेडिकल ऑक्सीजन को दें.

ऐसे बढ़ी MP में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड

  • जुलाई से अगस्त तक 40 से 90 टन थी मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत
  • सितंबर महीने में 18 हजार के पार पहुंच गए कोरोना के एक्टिव केस
  • कोरोना संक्रमित मामले बढ़ने से बढ़ी मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड
  • अब हर दिन मध्यप्रदेश को करीब 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत
  • अब होशंगाबाद के बाबई में लगेगा 200 टन का प्लांट
  • 50 टन से बढ़ाकर 120 टन की गई मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता
  • 30 सितंबर तक 150 टन होगी होगी ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता
  • आईनॉक्स कंपनी के गुजरात और उत्तर प्रदेश प्लांट MP को देंगे आक्सीजन

भोपाल। कोरोना महामारी के दौरान मध्यप्रदेश के अस्पतालों में कृत्रिम ऑक्सीजन की किल्लत आखिर क्यों हुई है, यह एक बड़ा सवाल है. महाराष्ट्र के नागपुर स्थित आईनॉक्स प्लांट से मध्य प्रदेश को हर दिन 20 टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन नागपुर से सप्लाई बंद होने के बाद प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत होने के बाद प्रदेश सरकार नींद से जागी और अब होशंगाबाद के बाबई में 200 टन का कृत्रिम ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि अब महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश और गुजरात भी मध्य प्रदेश को कृत्रिम ऑक्सीजन देने पर राजी हो गए हैं.

मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड

मध्यप्रदेश में अगस्त महीने में बात करें तो हर दिन 90 टन ऑक्सीजन प्रदेश में उपयोग की गई है, लेकिन अब डिमांड दोगुनी हो गई है. क्योंकि मध्यप्रदेश में अब कोरोना के एक्टिव केस 18 हजार 435 हो गए हैं. इसके 20 फीसदी मरीजों को हर दिन ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है. सूबे के मुखिया शिवराज सिंह की माने तो इनका कहना है कि 'फुल कैपिसिटी पर ऑक्सीजन तैयार करने के निर्देश दिए हैं, और प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाते हैं कि किसी तरह की ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी'.

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 7 सितंबर को एक आदेश निकालकर 80 फीसदी ऑक्सीजन महाराष्ट्र के ही अस्पतालों में दिए जाने की बात कही थी. उधर गुजरात में भी 10 सितंबर को 50 फीसदी ऑक्सीजन गुजरात के अस्पतालों को सप्लाई करने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद मध्यप्रदेश की मुश्किलें बढ़ी हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराष्ट्र के सीएम से फोन पर चर्चा की साथ ही केंद्र सरकार ने भी हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कोई भी राज्य ऑक्सीजन ना रोके, लेकिन एक बड़ा सवाल ये भी है कि प्रदेश में कोरोना संकट में पर्याप्त मेडिकल ऑक्सीजन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया था.

दरअसल, सितंबर महीने में हर दिन 2 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं और हर दिन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 130 टन हो गई है. अगर यही रफ्तार रही तो सितंबर माह के अंत तक और अक्टूबर के मध्य तक हर दिन 150 टन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत पहुंचने की संभावना है. वहीं प्रदेश सरकार ने उद्योगों को भी हिदायत दी है कि कमर्शियल ऑक्सीजन का उत्पादन घटाकर पहली प्राथमिकता मेडिकल ऑक्सीजन को दें.

ऐसे बढ़ी MP में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड

  • जुलाई से अगस्त तक 40 से 90 टन थी मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत
  • सितंबर महीने में 18 हजार के पार पहुंच गए कोरोना के एक्टिव केस
  • कोरोना संक्रमित मामले बढ़ने से बढ़ी मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड
  • अब हर दिन मध्यप्रदेश को करीब 130 टन ऑक्सीजन की जरूरत
  • अब होशंगाबाद के बाबई में लगेगा 200 टन का प्लांट
  • 50 टन से बढ़ाकर 120 टन की गई मेडिकल ऑक्सीजन की क्षमता
  • 30 सितंबर तक 150 टन होगी होगी ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता
  • आईनॉक्स कंपनी के गुजरात और उत्तर प्रदेश प्लांट MP को देंगे आक्सीजन
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