भोपाल। प्रदेश में महात्मा गांधी मनरेगा योजना में काम करने वाले श्रमिकों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिये होम-मेड मास्क बांटे जाएंगे. इन मास्क को ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत काम कर रही स्व-सहायता समूह की महिलाएं इन मास्क को बना रही है.
अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव ने बताया है कि महात्मा गांधी मनरेगा योजना में कार्यरत श्रमिकों को कोविड-19 वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए होम-मेड मास्क उपलब्ध करने की सलाह भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को दी गई है. उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में गठित महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित होम-मेड मास्क मनरेगा श्रमिकों को दिए जाने का निर्णय लिया गया है.
2.87 लाख महिला स्व-सहायता समूहों को मास्क बनाने की सलाह
उन्होंने बताया कि प्रदेश में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2 लाख 87 हजार स्व-सहायता समूह कार्यरत हैं. इन समूहों की महिला सदस्यों को मास्क तैयार करने की सलाह दी गई है, इनके द्वारा निर्मित मास्क को 'होम-मेड मास्क' नाम दिया गया है. मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि स्व-सहायता समूहों की महिला सदस्यों द्वारा निर्मित यह सामग्री मनरेगा के श्रमिकों के साथ-साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के गरीबों को भी यह मास्क दिया जाएगा.
25 लाख से अधिक मास्क और 26 हजार लीटर सेनिटाइजर तैयार
प्रदेश के अधिकांश जिलों में समूहों की महिला सदस्यों ने मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है. वहीं अभी तक 1927 समूहों ने 25 लाख 42 हजार से अधिक मास्क तैयार किए है, इसके साथ ही, 26 हजार 431 लीटर सेनिटाइजर, 3 हजार 866 पी.पी.ई. किट्स भी तैयार की जा चुके हैं. इन समूहों ने 52 हजार 246 हेंड-वाश साबुन का भी उत्पादन किया गया है.