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vat savitri vrat 2021 mantra: वट सावित्री पर जपें ये अचूक मंत्र, पूरी होगी मनोकामना

बड़ अमावस्‍या यानी वट सावित्री व्रत, ईश्वर से अखंड सुहाग मांगने का दिन। पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन सावित्री यमराज के सम्मुख डट कर खड़ी रहीं और पति सत्‍यवान के प्राण वापस लेकर आईं. सावित्री की निडरता और सुहागन रहने की अटल इच्छा ही सुहागिनों के लिए प्रेरणा का सबब बनीं. इस व्रत को भी करने के नियम हैं और कुछ मंत्र हैं. इनके जप से दुख टलते है.

vat savitri vrat 2021 mantra
वट सावित्री व्रत 2021 मंत्र
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Published : Jun 9, 2021, 8:33 AM IST

भोपाल। वट सावित्री व्रत (vat savitri vrat 2021) 10 जून को है. इस दिन हर सुहागन सावित्री की मानिंद अपने पति को काल के निर्मम हाथों से खींच कर लाने की कामना करती है. उनकी इन इच्छाओं को हमारे शास्त्रों में वर्णित मंत्रों से बल मिलता है. कहा जाता है कि मंत्र हमारे जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं और अगर इनका निरंतर जाप किया जाए तो साधा भी जा सकता है. हर तीज त्योहार को करने का अपना तरीका होता है और कुछ खास मंत्रों के जाप से स्थितियां अनुकूल होती हैं. तो प्रस्तुत हैं ऐसे खास मंत्र जो सुहागिनों की घर परिवार को सकुशल रखने की इच्छा को पूर्ण करते हैं.

मान्यता है कि सावित्री को अर्घ्य देने से पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते.

पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते..

वट वृक्ष की पूजा करते समय करें इस मंत्र का जाप

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले.

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा..

बड़ अमावस्‍या यानी वट सावित्री व्रत बहुत ही महत्‍वपूर्ण व्रत ..

पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।

अंत में निम्न संकल्प लेकर उपवास रखें -

मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं

सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।

सौभाग्य का वरदान देता है वट वृक्ष

Vat vriksha puja 2021
वट वृक्ष पूजा 2021

मान्‍यता है कि पतिव्रता सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर कठोर तपस्‍या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा. इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगाकर कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है. साथ ही शुभ वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं. पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस लेकर आईं, इसलिए इस व्रत को बेहद खास माना जाता है और महिलाएं सावित्री जैसा अखंड सौभाग्‍य प्राप्‍त करने के लिए इस व्रत को पूरी श्रृद्धा और आस्‍था से करती हैं. वहीं ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए इस पेड़ की पूजा करने से तीनों देवों की कृपा से महिलाओं को अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 9 जून 2021 दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 10 जून दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर है. चूंकि स्नान, दान और व्रत आदि के लिए अमावस्या की उदय तिथि 10 जून को प्राप्त हो रही है.

ऐसे करें अराधना

महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले स्‍नान कर लें और सूर्य को अर्घ्‍य दें व व्रत करने का संकल्‍प लें. फिर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करें. इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को बांस की एक टोकरी में सही से रख लें फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई करने के बाद वहां गंगाजल छिड़ककर उस स्‍थान को पवित्र कर लें. सभी सामग्री रखने के बाद स्थान ग्रहण करें. इसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित करें, फिर अन्य सामग्री जैसे धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें। इसके बाद धागे को पेड़ में लपेटते हुए जितना संभव हो सके 5, 11, 21, 51 या फिर 108 बार बदगद के पेड़ की परिक्रमा करें.

भोपाल। वट सावित्री व्रत (vat savitri vrat 2021) 10 जून को है. इस दिन हर सुहागन सावित्री की मानिंद अपने पति को काल के निर्मम हाथों से खींच कर लाने की कामना करती है. उनकी इन इच्छाओं को हमारे शास्त्रों में वर्णित मंत्रों से बल मिलता है. कहा जाता है कि मंत्र हमारे जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं और अगर इनका निरंतर जाप किया जाए तो साधा भी जा सकता है. हर तीज त्योहार को करने का अपना तरीका होता है और कुछ खास मंत्रों के जाप से स्थितियां अनुकूल होती हैं. तो प्रस्तुत हैं ऐसे खास मंत्र जो सुहागिनों की घर परिवार को सकुशल रखने की इच्छा को पूर्ण करते हैं.

मान्यता है कि सावित्री को अर्घ्य देने से पहले इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते.

पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते..

वट वृक्ष की पूजा करते समय करें इस मंत्र का जाप

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले.

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा..

बड़ अमावस्‍या यानी वट सावित्री व्रत बहुत ही महत्‍वपूर्ण व्रत ..

पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।

अंत में निम्न संकल्प लेकर उपवास रखें -

मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं

सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।

सौभाग्य का वरदान देता है वट वृक्ष

Vat vriksha puja 2021
वट वृक्ष पूजा 2021

मान्‍यता है कि पतिव्रता सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर कठोर तपस्‍या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा. इस दिन वटवृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगाकर कच्चा सूत लपेटते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है. साथ ही शुभ वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं. पौराणिक मान्‍यता है कि इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति सत्‍यवान के प्राण वापस लेकर आईं, इसलिए इस व्रत को बेहद खास माना जाता है और महिलाएं सावित्री जैसा अखंड सौभाग्‍य प्राप्‍त करने के लिए इस व्रत को पूरी श्रृद्धा और आस्‍था से करती हैं. वहीं ज्‍योतिषीय मान्‍यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों का वास होता है, इसलिए इस पेड़ की पूजा करने से तीनों देवों की कृपा से महिलाओं को अखंड सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 9 जून 2021 दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 10 जून दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर है. चूंकि स्नान, दान और व्रत आदि के लिए अमावस्या की उदय तिथि 10 जून को प्राप्त हो रही है.

ऐसे करें अराधना

महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले स्‍नान कर लें और सूर्य को अर्घ्‍य दें व व्रत करने का संकल्‍प लें. फिर नए वस्त्र पहनकर, सोलह श्रृंगार करें. इसके बाद पूजन की सारी सामग्री को बांस की एक टोकरी में सही से रख लें फिर वट (बरगद) वृक्ष के नीचे सफाई करने के बाद वहां गंगाजल छिड़ककर उस स्‍थान को पवित्र कर लें. सभी सामग्री रखने के बाद स्थान ग्रहण करें. इसके बाद सबसे पहले सत्यवान और सावित्री की मूर्ति को वहां स्थापित करें, फिर अन्य सामग्री जैसे धूप, दीप, रोली, भिगोए चने, सिंदूर आदि से पूजन करें। इसके बाद धागे को पेड़ में लपेटते हुए जितना संभव हो सके 5, 11, 21, 51 या फिर 108 बार बदगद के पेड़ की परिक्रमा करें.

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