हैदराबाद। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में एक युवक की अपने ही प्रयोग के परीक्षण के दौरान मौत हो गई. युवक खुद के बनाए हुए हेलीकॉप्टर का परीक्षण कर रहा था. तभी हेलीकॉप्टर की पंखुड़ी घूमते वक्त जोर से उसके सिर पर लगी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. यह हादसा बुधवार का है. युवक की मौत पर इलाके में हर कोई दुखी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह इस हेलीकॉप्टर से अपने गांव का नाम रोशन करना चाहता था.
आठवीं की पढ़ाई करने के बाद कर रहा था वेल्डिंग का काम
मिली जानकारी के मुताबिक, 24 वर्षीय इस्माइल शेख इब्राहिम यवतमाल जिले के फुलसवांगी एरिया में वेल्डिंग और फैब्रिकेशन का काम करता था. आठवीं क्लास में पढ़ाई छोड़ने के बाद इब्राहिम को हेलीकॉप्टर बनाने का शौक चढ़ा था. उन्होंने अपने इस हेलीकॉप्टर का नाम 'मुन्ना हेलीकॉप्टर' रखा था. वह पिछले दो साल से इसको बना रहे थे.
रोटर ब्लेड टूटकर सिर पर लगने से मौत
यवतमाल के एसपी दिलीप पाटिल भुजबल ने बताया कि बुधवार को जब इब्राहिम ने इसका ट्रायल रन करना चाहा. इंजन स्टार्ट करते ही इसकी एक रोटर ब्लेड टूट गई. ब्लेड उसके सर पर जा लगी, जिसके चलते इब्राहिम की मौके पर ही मौत हो गई. इब्राहिम रोजी-रोटी के लिए दिन में वेल्डिंग और फैब्रिकेशन का काम करता था और रात में अपने हेलीकॉप्टर का सपना पूरा करता था.
इब्राहिम का सपना था हेलीकाप्टर
इब्राहिम अपने दोस्तों से कहा करता था कि हेलीकॉप्टर करोड़ों रुपये में बिकते हैं और केवल अमीर लोग ही इन्हें उड़ा पाते हैं. इब्राहिम केवल 30 लाख रुपये की लागत से इस हेलीकॉप्टर को तैयार करना चाहता था, ताकि मिडिल क्लास लोग भी इसे खरीद सकें. साथ ही प्राकृतिक आपदा के दौरान भी इनका इस्तेमाल किया जा सके.
मारुति-800 के इंजन का किया था इस्तेमाल
पुलिस ने बताया कि घटना की जांच के दौरान पता चला है कि इब्राहिम ने इस हेलीकॉप्टर में मारुति-800 का इंजन इस्तेमाल किया था. साथ ही उसने इसके अन्य पार्ट्स कबाड़ के सामान से तैयार किए थे जिन्हें उसने एक लोकल स्क्रैप शॉप से खरीदा था. इस्माइल शेख इब्राहिम ने घर के निजी सामानों का भी हेलीकॉप्टर में यूज किया था, जैसे- कूलर और कपबोर्ड. पिछले दो सालों से वह हेलीकॉप्टर बना रहा था.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि इब्राहिम अक्सर इस बात का जिक्र करता था कि वो अपने इस हेलीकॉप्टर को 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत राष्ट्र को समर्पित करेगा. उन्होंने बताया कि इस्माइल का सपना एक दिन हमारे गांव के विश्वस्तर पर पहचान दिलाता, लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ.