इंदौर। प्रदेश में आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त धांधली और अव्यवस्था से त्रस्त छात्र छात्राओं का अब प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता से भरोसा उठ रहा है. पटवारी चयन परीक्षा के अलावा पीएससी, शिक्षक और कृषि विस्तार अधिकारियों की भर्ती में तमाम गड़बड़ियों के कारण अब परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं भी अपने आपको ठगा हुआ मान रहे हैं लिहाजा विरोध स्वरूप अब इंदौर में मामा की टोपी अभियान चल रहा है.
मामा ने पहनाई टोपी: दरअसल कई वर्षों से लगातार कोचिंग की महंगी फीस और इंदौर शहर में रहने के महंगे खर्च के बावजूद हजारों छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जो प्रतियोगी परीक्षाएं दे दे कर थक गए हैं. एक तो विभिन्न पदों के लिए नियुक्तियां कई कई सालों में शुरू हो पा रही हैं. प्रक्रिया पूरी होने के पहले ही पर्चे आउट होने से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां सामने आ जाती हैं. लिहाजा परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं हर बार किसी न किसी कारण से अपना सिलेक्शन नहीं होने पाने के कारण निराश नजर आते हैं.
खुद पहन ली मामा की टोपी: हाल ही में एक के बाद एक करके जितनी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू हुई उन सभी में किसी न किसी कारण से छात्र छात्राओं को निराश होना पड़ा. यही वजह है कि अब नौकरी की लालसा में भटकने वाले छात्र मान रहे हैं कि इतने सालों से सरकार में रहने वाले उनके शिवराज मामा उन्हें लगातार टोपी पहना रहे हैं. लिहाजा अब वह भी इस बात को स्वीकार करके खुद ही मामा की टोपी अभियान का हिस्सा बन रहे हैं.
18 साल से पहना रहे टोपी: अब विपक्षी दल कांग्रेस का आरोप है कि बीते 18 सालों से मुख्यमंत्री पद पर बैठे लाडले बेटे बेटियों के मामा उन्हें झूठ बोलकर टोपी पहना रहे हैं. कांग्रेस के सचिव एवं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने लाडले लाडली बेटे बेटियों को उनके भविष्य अंधकारमय करने को लेकर भी टोपी पहन रखी है. हर बार लाडली और लाडले बच्चों के नाम पर छल करने वाले शिवराज मामा ने बच्चों के सपनों को भी टोपी पहना रखी है नतीजतन छात्र-छात्राएं अब पूरे प्रदेश में यह अभियान चला रहे हैं.
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मामा की टोपी पहनकर विरोध: हाल ही में घोषित हुए पटवारी परीक्षा के वे परिणाम में एक ही सेंटर के 7 टॉपर पटवारियों और उसी कॉलेज के 1000 चयन को लेकर प्रतियोगिता परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राएं नाराज हैं. इसके अलावा कई छात्र ऐसे हैं जिन्होंने नर्सिंग कॉलेज में पिछले शिक्षा सत्र में एडमिशन लिया था लेकिन पूरा 1 साल बीतने के बाद ना तो कॉलेज में उनका एडमिशन हो पाया ना ही पंजीयन ही हुआ है. इसके बावजूद कॉलेज अब उनकी ना तो फीस लौटाने को तैयार है ना दस्तावेज दे रहा है. लिहाजा पीड़ित छात्राएं टोपी पहन कर मामा से न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
यही स्थिति पीएससी परीक्षा देने वाले छात्रों की है जो 2019 के बाद से नियुक्तियां निकलने और पीएससी परीक्षा होने का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा शिक्षक वर्ग 3 की भर्ती के पेपर आउट होने और 2018 से सब इंस्पेक्टर पद की भर्ती नहीं निकलने से निराश छात्र-छात्राएं भी मामा की टोपी पहन कर उनके साथ हो रहे अन्याय का अपने स्तर पर विरोध करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.