भोपाल(PTI)। एमपी विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन राज्य सरकार ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि मध्य प्रदेश में इस कैलेंडर वर्ष के पहले तीन महीनों में लगभग 78 हजार बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. भोजन की कमी या उनके लिए अच्छे भोजन की कमी के कारण कुपोषित बच्चे अक्सर कमजोर और खराब स्वास्थ्य में होते हैं. यह बच्चों में बौनेपन और कमजोरी का कारण बन सकता है और उनका वजन कम हो सकता है.
इंदौर संभाग में कुपोशित बच्चे: भिंड जिले के लहार से कांग्रेस विधायक सिंह ने जानना चाहा था कि क्या इस साल के पहले तीन महीनों में लगभग 78,000 कुपोषित बच्चे पाए गए हैं. सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी बाल स्वास्थ्य और पोषण मिशन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस संख्या में 21,631 अति कुपोषित बच्चे शामिल हैं. सरकार के लिखित जवाब के अनुसार, इंदौर संभाग में राज्य में सबसे अधिक 22 हजार 721 कुपोषित बच्चे थे. इस संभाग में अलीराजपुर और झाबुआ के आदिवासी बहुल जिले शामिल हैं.
विधानसभा का मानसून सत्र: बता दें एमपी की 15वीं विधानसभा का ये आखिरी सत्र चल रहा है. विधानसभा का मानसून सत्र 11 जुलाई से शुरू हुआ जो 5 दिनों तक यानी शनिवार तक चलेगा. सत्र के पहले दिन कुछ खास कार्यवाही नहीं हो पाई थी. वहीं दूसरे दिन की कार्यवाही भी कुछ सवाल-जवाबों के बाद अगले दिन के लिए स्थगित कर दी गई है. बुधवार को एमपी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए एमपी में 2 करोड़ रुपए से कम आय वाले टोल नाकों का संचालन महिलाओं के स्व-सहायता समूह को देने का फैसला किया है.
Input-PTI