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Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी को इस विधि-विधान से पूजा कर भगवान गणेश को करें खुश, जानें शुभ मुहूर्त

इस साल 24 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. यह अश्विनी मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है. एक मास में दो बार चतुर्थी तिथि आती है, जिसमें गणपति की पूजा की जाती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहा जाता है, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहते हैं.

Sankashti Chaturthi 2021
संकष्टी चतुर्थी 2021
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Published : Sep 23, 2021, 2:22 PM IST

हैदराबाद। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के तीन दिन बाद संकष्टी चतुर्थी मनायी जाती है. इसे विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnraj Sankashti Chaturthi) भी कहा जाता है. इस साल 24 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. यह अश्विनी मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है. एक मास में दो बार चतुर्थी तिथि आती है, जिसमें गणपति की पूजा की जाती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहा जाता है, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहते हैं. आइए जानते हैं आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि एवं चंद्र दर्शन के समय के बारे में.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहुर्त (Sankashti Chaturthi 2021 shubh muhurat)
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 सितंबर (Sankashti Chaturthi 2021 September) के दिन यानि शुक्रवार को प्रात: 08 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसका समापन 25 सितंबर के दिन शनिवार को प्रात: 10 बजकर 36 मिनट पर होगा. इ​स दिन राहुकाल का ध्यान रखकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें. राहुकाल 24 सितंबर को दिन में 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi 2021 Puja Vidhi)

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने वाले लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफा वस्त्र पहनें.
  • इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
  • इसके बाद गणपति भगवान की पूजा शुरू करें.
  • पूजा के लिए जातक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
  • फिर गणपति जी को फूलों की माला से सजाएं.
  • इसके अलावा पूजा में तांबे के बर्तन में पानी, तिल, गुड़, लड्डू, धूप, चंदन और प्रसाद के तौर पर केला नारियल रखें.
  • अब गणपति को रोली लगाएं और फूल व जल अर्पित करें.
  • इसके बाद मोदक व लड्डू का भोग चढ़ाएं.
  • इस पूजा में देवी दुर्गा की मूर्ति को अपने पास रखना शुभ माना जाता है.
  • यह व्रत रात को चंद्रमा को देखकर खोला जाता है.

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का समय
अश्विनी मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन किया जाता है. उसे जल अर्पित किया जाता है. 24 सितंबर के दिन चंद्रमा के उदय होने का समय रात 08 बजकर 20 मिनट पर है. इस समय पर आप चंद्रमा का दर्शन कर सकते हैं.

Ganesh Visarjan 2021: 300 साल पुराना है चिंतामन गणेश मंदिर का इतिहास, दर्शन मात्र से दूर होती है परेशानी

संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi Mahatav)
हिंदुओं मान्याओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर पूजा करने से घर में सकरात्‍मक ऊर्जा (Positive Energy) का आती है और शांति का वास होता है. वहीं, चंद्रमा के दर्शन करना बेहद ही शुभ माना गया है. चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अर्घ्य दिया जाता है और व्रत खोला जाता है. वैसे, पूरे वर्ष में संकष्टी के 13 व्रत रखे जाते हैं और सभी संकष्टी व्रतों का अपना विशेष महत्‍व है. भक्‍त संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं.

हैदराबाद। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के तीन दिन बाद संकष्टी चतुर्थी मनायी जाती है. इसे विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnraj Sankashti Chaturthi) भी कहा जाता है. इस साल 24 सितंबर को संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है. यह अश्विनी मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को पड़ती है. एक मास में दो बार चतुर्थी तिथि आती है, जिसमें गणपति की पूजा की जाती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहा जाता है, और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहते हैं. आइए जानते हैं आश्विन मास की संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि एवं चंद्र दर्शन के समय के बारे में.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहुर्त (Sankashti Chaturthi 2021 shubh muhurat)
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 सितंबर (Sankashti Chaturthi 2021 September) के दिन यानि शुक्रवार को प्रात: 08 बजकर 29 मिनट पर प्रारंभ होगी. इसका समापन 25 सितंबर के दिन शनिवार को प्रात: 10 बजकर 36 मिनट पर होगा. इ​स दिन राहुकाल का ध्यान रखकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें. राहुकाल 24 सितंबर को दिन में 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi 2021 Puja Vidhi)

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने वाले लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफा वस्त्र पहनें.
  • इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
  • इसके बाद गणपति भगवान की पूजा शुरू करें.
  • पूजा के लिए जातक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.
  • फिर गणपति जी को फूलों की माला से सजाएं.
  • इसके अलावा पूजा में तांबे के बर्तन में पानी, तिल, गुड़, लड्डू, धूप, चंदन और प्रसाद के तौर पर केला नारियल रखें.
  • अब गणपति को रोली लगाएं और फूल व जल अर्पित करें.
  • इसके बाद मोदक व लड्डू का भोग चढ़ाएं.
  • इस पूजा में देवी दुर्गा की मूर्ति को अपने पास रखना शुभ माना जाता है.
  • यह व्रत रात को चंद्रमा को देखकर खोला जाता है.

संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन का समय
अश्विनी मास की संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन किया जाता है. उसे जल अर्पित किया जाता है. 24 सितंबर के दिन चंद्रमा के उदय होने का समय रात 08 बजकर 20 मिनट पर है. इस समय पर आप चंद्रमा का दर्शन कर सकते हैं.

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संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi Mahatav)
हिंदुओं मान्याओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर पूजा करने से घर में सकरात्‍मक ऊर्जा (Positive Energy) का आती है और शांति का वास होता है. वहीं, चंद्रमा के दर्शन करना बेहद ही शुभ माना गया है. चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अर्घ्य दिया जाता है और व्रत खोला जाता है. वैसे, पूरे वर्ष में संकष्टी के 13 व्रत रखे जाते हैं और सभी संकष्टी व्रतों का अपना विशेष महत्‍व है. भक्‍त संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन विधि-विधान से पूजा पाठ करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं.

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